कोसल राज्य का एक हिस्सा है बलरामपुर, खास इसकी शान-ओ-शौकत, आइए जाने इसके बारे में

Balrampur : बलरामपुर जिले का गठन 25 मई, 1997 को जिला गोंडा से विभाजन करके बनाया गया। बलरामपुर के उत्तर में नेपाल है और जिले के उत्तर में हिमालय की शिवालिक पर्वतमाला स्थित है जिसे तराई क्षेत्र कहा जाता है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-12-11 08:13 GMT

Balrampur : सरयू नदी परियोजना के लोकार्पण के साथ बलरामपुर का नाम सुर्ख़ियों में है। इस मौके पर बलरामपुर के बारे में भी जानना जरूरी हो जाता है। नेपाल सीमा और शिवालिक पर्वतमाला के पास स्थित बलरामपुर का अपना एक ख़ास महत्त्व है।

बलरामपुर राप्ती नदी के तट पर स्थित है। बलरामपुर जिले का गठन 25 मई, 1997 को जिला गोंडा से विभाजन करके बनाया गया। बलरामपुर के उत्तर में नेपाल है और जिले के उत्तर में हिमालय की शिवालिक पर्वतमाला स्थित है जिसे तराई क्षेत्र कहा जाता है।

बलरामपुर का इतिहास
Balrampur Ka Itihaas

बलरामपुर जिले का क्षेत्र प्राचीन समय में कोसल राज्य का एक हिस्सा था। प्राचीन काल में श्रावस्ती कोसल की राजधानी थी। साहेत में प्राचीन श्रावस्ती के खंडहर करीब डेढ़ किलोमीटर के दायरे में फैले हुए हैं। इसके अलावा राप्ती नदी की तरफ उत्तर में है, महेट का प्राचीन शहर है। महेट में किले का प्रवेश द्वार मिट्टी से बना है, जिसका निर्माण अर्धचंद्राकार है।

शोभनाथ मंदिर में महान स्तूप (Great Stupa at Shobhanath Temple) हैं। ये स्तूप बौद्ध परंपरा और बलरामपुर में मठों के इतिहास (Balrampur History) को दर्शाते हैं। जीतनव मठ देश के सबसे पुराने मठों में से एक गौतम बुद्ध के पसंदीदा स्थलों में से एक कहा जाता है। इसमें 12 वीं शताब्दी के शिलालेख हैं।

- मुगल शासन के दौरान बलरामपुर अवध सूबे की बहराइच सरकार का एक हिस्सा था। बाद में, यह ब्रिटिश सरकार द्वारा फरवरी, 1856 में किये डिक्लेरेशन के जरिये अवध के शासक के नियंत्रण में आ गया। ब्रिटिश सरकार ने गोंडा को बहराइच से अलग कर दिया और यह गोंडा का एक हिस्सा बन गया।

- अंगुलिमाल की प्रसिद्ध घटना श्रावस्ती के जंगल में हुई थी। कहा जाता है कि अंगुलिमाल डकैत जिन लोगों को मरता था उनकी उंगलियों की माला पहना करता था। इसी डाकू को गौतम बुद्ध ने प्रबुद्ध किया था।

- कहा जाता है कि जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर महावीर जैन ने श्रावस्ती को प्रभावित किया था। इसमें श्वेतांबर मंदिर (Shwetambar Temple) है।

फोटो- सोशल मीडिया

- प्रसिद्द देवी पाटन मंदिर तुलसीपुर में बलरामपुर जिला मुख्यालय से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर को हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में शामिल होने का गौरव प्राप्त है।

- बलरामपुर राजवंश का संबंध जनवार क्षत्रिय (जनमेजय के वंशज महान कुरु राजा और अर्जुन के महान पौत्र) से है जो भारत में अत्यंत समृद्ध वंश में से एक है। वर्तमान में महाराजा धर्मेन्द्र प्रसाद सिंह बलरामपुर रियासत का मुकुट धारण करते हैं।

- बलरामपुर नगर का नाम यहाँ के एक पुराने ताल्लुकेदार राजा बलरामदास (Raja Balramdas) के नाम पर है। यह नगर अधिक पुराना नहीं है। महाराजा दिग्विजय सिंह के समय में इसने काफ़ी उन्नति की।

- राजा साहब का पुराना महल (सिटी पैलेस), महाविद्यालय तथा उसमें स्थापित महाराजा दिग्विजय सिंह एवं पाटेश्वरीप्रसाद की मूर्तियाँ, नीलबाग़ महल, राज अतिथिगृह आदि बलरामपुर के दर्शनीय स्थल में शामिल हैं।

- बलरामपुर का क्षेत्रफल 3457 किलोमीटर है और यहाँ की आबादी करीब 22 लाख है।

- बलरामपुर में चार विधानसभा क्षेत्र आते हैं।

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