Electricity Amendment Bill 2021: बिजली के निजीकरण के विरोध में लाखों कर्मियों का 15 दिसम्बर को जन्तर-मंतर में विरोध प्रदर्शन

Electricity Amendment Bill 2021: उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मी 15 दिसम्बर को दिल्ली में जन्तर मन्तर पर देश के अन्य प्रान्तों के बिजली कर्मियों के साथ विरोध प्रदर्शन में सम्मिलित होंगे। इसके पहले 8 दिसम्बर को राजधानी लखनऊ सहित सभी जनपदों व परियोजनाओं पर विरोध सभायें आयोजित की जाएगी।

Newstrack :  Network
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2021-12-07 12:40 GMT

इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल 2021 (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Electricity Amendment Bill 2021: उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मी 15 दिसम्बर को दिल्ली में जन्तर मन्तर पर देश के अन्य प्रान्तों के बिजली कर्मियों के साथ विरोध प्रदर्शन में सम्मिलित होंगे। इसके पहले 8 दिसम्बर को राजधानी लखनऊ सहित सभी जनपदों व परियोजनाओं पर विरोध सभायें आयोजित की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार (Central Government) द्वारा संसद के शीतकालीन सत्र (winter session of parliament) में बिजली के निजीकरण (Electricity privatization) के लिए लाए जा रहे इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2021 (Electricity Amendment Bill 2021) के विरोध में प्रदेश के बिजली कर्मी देश के अन्य प्रांतों के बिजली कर्मियों के साथ दिल्ली में जंतर मंतर (Jantar Mantar in Delhi) पर विशाल प्रदर्शन में बड़ी संख्या में सम्मिलित होने जा रहे है।

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ( Sangharsh Samiti Convenor Shailendra Dubey) ने कहा कि केंद्र सरकार (Central Government) निजीकरण की दृष्टि से इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2021 (Electricity Amendment Bill 2021) को संसद के शीतकालीन सत्र (winter session of parliament) में रखने जा रही है जिसका बिजली कर्मियों और बिजली उपभोक्ताओं पर व्यापक प्रतिगामी  प्रभाव पड़ने वाला है। उन्होंने बताया कि बिल पर बिजली कर्मचारियों और बिजली उपभोक्ताओं से कोई राय नहीं ली गई है केवल औद्योगिक घरानों से ही विचार विमर्श किया गया है। इस प्रकार केंद्र सरकार (Central Government) की इस एकतरफा कार्यवाही से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है। 

दुबे (Sangharsh Samiti Convenor Shailendra Dubey) ने कहा कि बिजली कर्मियों की यह मांग है इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2021 (Electricity Amendment Bill 2021) को जल्दबाजी में संसद से पारित कराने के बजाय इसे बिजली मामलों की लोकसभा (Lok Sabha) की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाए जिससे स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष बिजली कर्मी और उपभोक्ता अपना पक्ष रख सकें।

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