जन्मदिन विशेष: हाईकोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस थीं लीला सेठ, 'मदर ऑफ लॉ' के पीछे की जानें कहानी

Justice Leila Seth Birthday: हम आज जिस शख्सियत की बात करने जा रहे हैं, उन्होंने न्यायपालिका के क्षेत्र में शिखर को छुआ। उनका नाम है जस्टिस लीला सेठ। 

Written By :  aman
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-10-20 02:47 GMT

लीला सेठ (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

Justice Leila Seth Birthday: हर साल, छोड़िए। यूं कहें तो प्रतिदिन। हमारे देश की आधी आबादी कहलाने वाली महिलाओं को लेकर कितने अच्छे-अच्छे बोल बोले जाते हैं। बेटियां पढ़ेंगी, तो आगे बढ़ेंगी। एक और 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ'। यह कहना-सुनना कानों को अच्छा लगता है। लेकिन महिलाओं को किसी खास क्षेत्र में एक मुकाम हासिल करने में आज भी मशक्कत करनी पड़ती है। उन्हें पुरुषों से बराबरी में आज भी जद्दोजहद करना पड़ता है। हम आज जिस शख्सियत की बात करने जा रहे हैं, उन्होंने न्यायपालिका के क्षेत्र में शिखर को छुआ। उनका नाम है जस्टिस लीला सेठ। 

लीला सेठ की बायोग्राफी (Leila Seth Biography In Hindi)

लीला सेठ का जन्म साल 1930 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। जब वो 11 साल की थीं, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। लेकिन इसका प्रभाव उनकी पढ़ाई पर नहीं पड़ा। उन्होंने दार्जिलिंग के एक विद्यालय में अपनी पढ़ाई पूरी की। लीला सेठ ने करियर की शुरुआत स्टेनोग्राफर के रूप की थी।          

हाईकोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस (High Court ki Pahli Mahila Mukhya Nyayadhish)

हमारा देश साल 1947 स्वतंत्र हुआ। भारतीय सुप्रीम कोर्ट वर्ष 1950 में अस्तित्व में आया। साल 1989 तक एक मात्र फातिमा बीबी ही ऐसा नाम था, जो सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज के रूप में जानी जाती थीं। उनके बाद से अब तक केवल सात महिलाएं ही सुप्रीम कोर्ट में जज बन पाई हैं। 

जस्टिस लीला सेठ को देश भर में इसलिए जाना जाता है, क्योंकि वह किसी भी हाईकोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं। उन्हें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस बनाया गया। जिसके बाद उन्हें पूरे देश भर में 'मदर इन लॉ' भी कहा जाने लगा। चीफ जस्टिस बनने से पहले वो दिल्ली हाईकोर्ट की पहली महिला जज बनीं।

लीला सेठ (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

लंदन बार की परीक्षा में टॉप किया 

जस्टिस लीला सेठ का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ। उनके पिता इम्पीरियल रेलवे सर्विस में काम किया करते थे। जैसा हमने पहले ही बताया कि जब वो महज 11 साल की थीं, तभी सर से पिता का साया उठ गया। पिता के गुजरने के बाद लीला की मां ने उनकी पढ़ाई (Leila Seth Education) की डोर थाम ली। उन्होंने बेटी की पढ़ाई में कोई कमी नहीं छोड़ी। लीला ने दार्जीलिंग के लॉरेटो कान्वेंट स्कूल से अपनी शिक्षा प्राप्त की। स्टेनोग्राफर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की।

इसी दौरान उनकी मुलाकात प्रेम सेठ (Prem Nath Seth) से हुई। आगे चलकर लीला ने प्रेम सेठ से शादी कर ली। शादी के बाद ये नव विवाहित जोड़ा लंदन चला गया। यहां रहने के दौरान लीला सेठ ने एक बार फिर अपनी अधूरी पढ़ाई शुरू की। लीला ने 27 साल की उम्र में एक बच्चे की मां होते हुए लंदन बार की परीक्षा में टॉप किया। यह उनका लगन ही था कि उन्होंने यह मुकाम हासिल किया। 

प्रेम सेठ पत्नी लीला सेठ (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

पटना में 10 साल की वकालत 

इसके बाद, एक बार लीला सेठ भारत वापस लौट आईं। जिसके बाद उन्होंने पटना में ही प्रैक्टिस शुरू कर दी। इतनी कम उम्र में लीला को कोर्ट रूम में देखकर लोगों को उनके अविवाहित होने तक का भी शक हुआ था। जस्टिस लीला सेठ ने पटना हाईकोर्ट में 10 साल तक वकालत की। दरअसल, उनके पति प्रेमनाथ सेठ दीघा स्थित बाटा कंपनी में मैनेजर बन कर आए थे। उन्होंने हाईकोर्ट में तत्कालीन एडवोकेट जनरल कृष्णा दास चटर्जी की देखरेख में वकालत की। वह बिहार-यूपी सीमा विवाद को सुनने वाले आयोग की भी सदस्य रहीं।

वकालत में शानदार रहा करियर (Law Career)

लीला सेठ ने 1957 में बैरिस्टर की परीक्षा पास की थी। साल 1977 में वो सीनियर एडवोकेट का दर्जा पाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इसके साथ-साथ 1978 में हाईकोर्ट की पहली महिला न्यायमूर्ति नियुक्त हुईं। आखिरकार, 1991 में लीला सेठ हाईकोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं। 1992 में वह हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रहते हुए रिटायर हुईं।

लीला सेठ (फाइल फोटोृ- सोशल मीडिया)

निर्भया मामले के बाद बनी कमिटी में थीं लीला  

संयुक्त हिंदू परिवार में बेटियों को बेटे के बराबर का दर्जा देने के लिए 'हिंदू उत्तराधिकार कानून' में हुए संशोधन जस्टिस लीला सेठ की ही देन है। वहीं, निर्भया कांड (nirbhaya kand) के बाद जस्टिस जे.एस. वर्मा कमेटी की सदस्य रहते हुए जस्टिस लीला सेठ ने दुष्कर्म एवं यौन संबंधित कानून को संशोधित कर कठोर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। जस्टिस वर्मा की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की इस कमिटी की एक सदस्य लीला सेठ भी थीं। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में 'मैरिटल रेप' को गैरकानूनी और अपराध की श्रेणी में डालने की बात की थी। लीला सेठ ने महिलाओं सहित समलैंगिकों के लिए भी आवाज उठाई। 

भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में अपना नाम दर्ज करने वाली जस्टिस लीला सेठ का निधन (leila seth death) 86 साल की उम्र में 5 मई, 2017 को दिल का दौरा पड़ने से हो गया था। 20 अक्टूबर को जस्टिस लीला सेठ के जन्मदिन पर newstrack.com उन्हें नमन करता है।

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