दम तोड़ती गोमती: नाले में तब्दील हुई शक्ल, सफाई केवल कागजों पर
पूरे लखनऊ (Lucknow) को जीवन देने वाली गोमती नदी (Gomti River) का जीवन खुद संकट में आ गया है, जिसकी सीधी वजह नदी की नियमित सफाई न होना है।
लखनऊ: पूरे लखनऊ को जीवन देने वाली गोमती नदी का जीवन खुद संकट में आ गया है, जिसकी सीधी वजह नदी की नियमित सफाई न होना है। आलम यह हो गया यही कि अब नाले और गोमती नदी के पानी के में ज्यादा फर्क नहीं रह गया है।
अगर आप खुद रीवरफ्रंट के मुहाने पर खड़े हैं तो नदी से उठाने वाली दुर्गंध आपको वहां से हटने पर मजबूर कर देगी, लेकिन बावजूद इसके उत्तर प्रदेश सरकार इसकी सफाई के लिए कोई ठोस नहीं उठा रही है। सफाई अभियान के नाम पर सिर्फ कागज भरे जाते हैं और कागजों पर ही पूरा सफाई अभियान निपट जाता है.गोमती नदी की स्थिति जैसी की तैसी बनी रहती है
नालों के पानी को नहीं रोक पाई सरकार
गोमती को सबसे ज्यादा प्रदूषित करने में राजधानी लखनऊ के उन नालों का है जिनका पानी सीधे गोमती में आकर गिरता है, सरकार ने ये दावा किया था कि जल्द ही नदी में गिरने वालों नालों के पानी को रोका जायेगा,
लेकिन दावे आजतक धरातल तक नहीं उतर पाए, अधिकरी कहते हैं कि गोमती में गिरने वाले ज्यादातर नाले टैप किये जा चुके हैं। लेकिन अगर ऐसा है तो गोमती नदी का पानी लगातार गन्दा क्यों होता जा रहा है?
करोड़ों खर्च लेकिन परिणाम कुछ नहीं
गोमती नदी पर काम कर रही संस्थाओं की मानें तो अबतक गोमती नदी पर सफाई पर करोड़ों रूपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन उसका कहना है कि ये सफाई सिर्फ गोमती के ऊपर की जाती है, गोमती की तलहटी की सफाई आजतक नहीं की गयी है, और सरकार के पास उसकी सफाई की कोई कारगर योजना भी नहीं है अगर सरकार इस तरफ विचार करके गोमती की सफाई कराये तो निश्चित रूप से हमारी गोमती नदी साफ़ हो जाएगी।
लखनऊवासी भी जिम्मेदार
लखनऊ नदी को प्रदूषित करने में राजधानी लखनऊ के लोग भी पूरी तरह जिम्मेदार हैं, प्रायः देखने को मिलता है कि लोग नदी में अपने घर का कचड़ा, मूर्ती और पूजन सामग्री डालते हैं, यह भी कारण है जिससे गोमती नदी लगातार मैली होती जा रही है, जितनी जिम्मेदारी सरकार की है उतनी ही जिम्मेदारी हमारी भी है नदी को साफ़ रखने की।