बड़ी खबरः मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक, बनेंगे किसान आंदोलन का हिस्सा, ठोकेंगे ताल

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व रालोद के जयंत चौधरी इन दिनों सत्यपाल मलिक के लिए पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं। यदि सब ठीक रहा तो जुलाई, 2022 में रालोद व सपा की ओर से वह राज्य सभा भेज दिये जाएँगे।

Written By :  Yogesh Mishra
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-11-11 21:24 IST

Lucknow : राज्यपाल रहते हुए केंद्र सरकार के किसान बिल के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वाले सत्यपाल मलिक किसान आंदोलन का हिस्सा बनेंगे। उनकी रणनीति के जानकारों का कहना है कि वह केवल इस कोशिश में हैं कि उन्हें राज्यपाल पद से भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार बर्खास्त कर दे ताकि उन्हें शहीद बन कर किसानों की सहानुभूति पाने का अवसर मिल जाये। क्यों कि वह जानते हैं कि भाजपा में उनके लिए अब कोई जगह नहीं है। इसकी वजह मार्ग दर्शक मंडल में जाने की उनकी उम्र का इस साल हो जाना है। यदि केंद्र ने उन्हें शहीद बनने का मौक़ा नहीं दिया तो दिसंबर के पहले हफ़्ते में वह इस्तीफ़ा दे देंगे।

सूत्रों की मानें तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व रालोद के जयंत चौधरी इन दिनों सत्यपाल मलिक के लिए पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं। यदि सब ठीक रहा तो जुलाई, 2022 में रालोद व सपा की ओर से वह राज्य सभा भेज दिये जाएँगे।

राज्य के इक्कीस वें गवर्नर

संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, बीकेडी, लोकदल, कांग्रेस व जनता दल से होते हुए सत्यपाल मलिक ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय भाजपा का दामन थामा था। तब से वह भाजपा में बने हुए हैं। हालाँकि उस दौर में इन्हें कोई लाभ नहीं मिला।


पर नरेंद्र मोदी व अमित शाह की भाजपा में अचानक इनका महत्व इतना बढ़ गया कि जिस पद पर पार्टी अपने बुजुर्ग व नींव के पत्थर रहे नेताओं को बिठा रही थी, सत्यपाल मलिक को भी उसी पद के काबिल समझ लिया गया।वह इस सरकार में उड़ीसा, बिहार, जम्मू कश्मीर, गोवा तथा मेघालय के राज्यपाल के पद पर बैठाये गये।

अभी वह मेघालय के राज्यपाल के पद पर 18 अगस्त, 2020 से क़ाबिज़ हैं। वह इस राज्य के इक्कीस वें गवर्नर हैं। वह उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले के निवासी हैं। काग़ज़ पर इनकी जन्म तिथि 24 जुलाई, 1946 है।

सत्यपाल मलिक चरण सिंह की पार्टी बीकेटी से 1974 में उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पहुँचने में कामयाब हो गये थे। एक बार 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की आँधी में जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से सांसद बनने में भी कामयाब रहे।1980 से 1989 तक ये राज्य सभा के सदस्य भी रहे। केंद्र में संसदीय कार्य व पर्यटन के राज्य मंत्री भी रहे। वह प्रतिष्ठित मेरठ कॉलेज के अध्यक्ष भी रहे।

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