Mahendra Singh Tikait Wiki: जहां बैठकर हुक्का गुडगुडा देते वहां उमड़ पड़ता किसानों का हुजूम
किसानों के मसीहा के कहे जाने वाले महेन्द्र सिंह टिकैत की आज जयंती है। बालियान खाप के मुखिया चौहल सिंह टिकैत और माता मुख्त्यारी देवी के यहां छह अक्तूबर 1935 को सिसौली में महेंद्र सिंह का जन्म हुआ था। महेन्द्र सिंह टिकैत ने चौधरी कबूल सिंह के सहयोग से किसानों के लिए काम करना शुरू किया। बाद में अपने पूरे जीवन किसानों के लिए समर्पण कर दिया।
Mahendra Singh Tikait Wiki: देश व प्रदेश मे जब भी किसान आंदोलनों :(Kisan Andolan) की बात होती है तो सबसे पहले यदि किसी का नाम आता है तो वह भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) के अध्यक्ष नरेश टिकैत (Naresh Tikait) और उनके छोटे भाई राकेश टिकैत के पिता महेन्द्र सिंह टिकैत (Rakesh Tikait Father Mahendra Singh Tikait)। उन्होंने अपने जीवन में किसानों के हितों को लेकर न जाने कितने आंदोलन किए। टिकैत के आंदोलनों की ताकत के आगे लखनऊ से दिल्ली तक सरकारें झुक जाती थीं। किसानों के मसीहा के कहे जाने वाले महेन्द्र सिंह टिकैत की आज जयंती है। बालियान खाप के मुखिया चौहल सिंह टिकैत और माता मुख्त्यारी देवी के यहां छह अक्तूबर 1935 को सिसौली में महेंद्र सिंह का जन्म हुआ था। महेन्द्र सिंह टिकैत ने चौधरी कबूल सिंह के सहयोग से किसानों के लिए काम करना शुरू किया। बाद में अपने पूरे जीवन किसानों के लिए समर्पण कर दिया।
महेन्द्र सिंह टिकैत का जीवन परिचय (Mahendra Singh Tikait Jivan Parichay)
सादगी और ठेठ देहाती अंदाज को महेन्द्र सिंह टिकैत (Mahendra Singh Tikait wikipedia) ने कभी खुद से जुदा नहीं किया। उन्हें किसानों ने महात्मा टिकैत और बाबा टिकैत नाम दिया। चौधरी टिकैत ने देश के किसान आंदोलनों को मजबूत बनाने में जो भूमिका निभाई उसी राह पर उनके दोनो बेटे नरेश टिकैत और राकेश टिकैत चल रहे हैं। किसानों के बीच उनकी साख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी एक आवाज पर लाखों किसानों की भीड़ इकठ्ठा हो जाती थी। जहां बैठकर हुक्का गुडगुडा देते वहां किसान और कमेरे वर्ग के हुजूम जुड़ जाते जहां आते जाते खड़े हो जाते हैं। वहां पंचायत शुरू हो जाती थी उनकी रैली और धरनों में भोजन की व्यवस्था हमेशा साथ रहती ग्रामीण क्षेत्रों से भी अन्य जल भोजन की व्यवस्था सुचारू रहती थी।
कई बड़े आंदोलनों का नेतृत्व कर सरकारों को चुनौती देने का काम करते रहे हैं। मायावती पर जातिसूचक टिप्पणी प्रदेश मे जब मायावती के नेतृत्व वाली 2007 में बसपा की सरकार थी तो बिजनौर में किसानों की एक रैली में किसान यूनियन के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह टिकेत ने मायावती पर कथित तौर पर जातिसूचक टिप्पणी कर दी। इसकी गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई दी। जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मायाावती ने प्रमुख सचिव गृह जेएन चैम्बर को महेन्द्र सिंह टिकैत की गिरफ्तारी के आदेश दिए। आनन फानन में कोतवाली में टिकैत के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद पुलिस गिरफ्तार करने के लिए उनके गांव सिसौली पहुंच गई।
शहीद स्थलों पर हुए कार्यक्रम किसानों ने पूरे गांव को कर दिया था ब्लाक पर जैसे ही किसानों को इस बात की भनक लगी तो उन्होंने पूरे गांव को घेर लिया और कह दिया ''बाबा को गिरफ्तार नही होने देगें।'' पुलिस के खिलाफ किसानों ने ट्रैक्टरों बुग्गी ट्राली से पूरे गांव को ब्लाक कर दिया। हाल यह रहा कि पुलिस गांव में तीन दिन तक घुस ही नहीं पाई। इसके बाद अधिकारियों ने हेलीकाप्टर से उनके घर पहुंचना पड़ा था। करमूखेड़ी में किसानों ने चार दिन का दिया धरना इससे पहले जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह थे तब भी भारतीय किसान यूनियन ने एक बड़ा आंदोलन किया था। शामली के करमूखेड़ी बिजलीघर पर उनके नेतृत्व में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर चार दिन का धरना दिया था। चौधरी टिकैत की हुंकार पर एक मार्च, 1987 को करमूखेड़ी में ही प्रदर्शन के लिए गए किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने फायरिंग कर दी, जिसमें एक किसान की मौत हो गयी। इसके बाद भाकियू के विरोध के चलते तत्कालीन यूपी के सीएम वीर बहादुर सिंह को करमूखेड़ी की घटना पर अफसोस दर्ज कराने के लिए 11 अगस्त को सिसौली आना पड़ा था।
इसके बाद मेरठ कमिश्नरी पर वर्ष 1988 में उनके घेराव और धरने ने उन्हें राष्ट्रीय सुर्खियां दी। रजबपुर तत्कालीन अमरोहा (जेपी नगर) सत्याग्रह के बाद नई दिल्ली के वोट क्लब पर हुई किसान पंचायत में किसानों के राष्ट्रीय मुद्दे उठाए गए और 14 राज्यों के किसान नेताओं ने चौधरी टिकैत की नेतृत्व क्षमता में विश्वास जताया। अलीगढ़ के खैर में पुलिस अत्याचार के खिलाफ आंदोलन और भोपा मुजफ्फरनगर में नईमा अपहरण कांड को लेकर चले ऐतिहासिक धरने से भाकियू एक शक्तिशाली अराजनैतिक संगठन बन कर उभरा।