UP Assembly Election 2022: यूपी में गठबन्धन को तैयार जनता दल (यू), भाजपा में ना-नुकुर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले एक बार फिर भाजपा और जनता दल (यू) में गठबन्धन को लेकर चर्चाएं शुरू हो गयी हैं। जनता दल (यू) की यूपी इकाई ने 70 विधानसभा सीटों पर तैयारी शुरू कर दी है।

Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-08-24 11:39 GMT

जनता दल (यू) के प्रदेश अध्यक्ष अनूप सिंह: फोटो- सोशल मीडिया

UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले एक बार फिर भाजपा और जनता दल (यू) में गठबन्धन को लेकर चर्चाएं शुरू हो गयी हैं । जनता दल (यू) की यूपी इकाई ने वैसे तो अब तक 70 विधानसभा सीटों पर तैयारी शुरू कर दी है पर यदि भाजपा से गठबन्धन होता है तो वह कम से दस सीटों की मांग रखने को तैयार है।

खास बात यह है कि एनडीए में शामिल जनता दल (यू) यूपी में गठबन्धन करने की कोशिश में है पर भाजपा की प्रदेश इकाई गठबन्धन के पक्ष में नहीं दिख रहा है। भाजपा की प्रदेश इकाई का मानना है कि जनता दल (यू) का प्रदेश में वजूद खत्म हो चुका है। इसलिए अब हमे गठबन्धन की आवश्यकता नहीं है। जबकि जनता दल (यू) अपने अस्तित्व को बनाए रखना चाहता है।

प्रदेश की 70 सीटों पर हमारी पूरी तैयारी- अनूप सिंह

इस बारे में जब 'न्यूज ट्रैक' ने जनता दल (यू) के प्रदेश अध्यक्ष अनूप सिंह से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि प्रदेश की 70 सीटों पर हमारी पूरी तैयारी है। हम इसकी रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को आगामी 29 अगस्त को पटना में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक में सौंप देगें। इसके बाद हाईकमान को जो भी फैसला लेना होगा, वह लेगा।

जहां तक यूपी में जनतादल (यू) की बात है तो कभी जनता दल का प्रदेश में अच्छा खासा वजूद हुआ करता था। देश में जब 2004 में अटल विहारी वाजपेयी की सरकार थी तब जार्ज फर्नानीज शरद यादव ओर नीतिश कुमार के समय में हुए लोकसभा चुनाव में राजग ने जनता (यू) को आंवला, मेरठ और सलेमपुर सीट दी थी। इस चुनाव में जनता दल (यू) के आंवला सीट पर पार्टी के कुंवर सर्वराज सिंह चुनाव जीते थे।

2017 के विधानसभा चुनाव में भी विवादों के बीच जनता दल (यू) का राष्ट्रीय लोकदल और बीएस फोर से गठजोड़ तय हो गया, लेकिन बाद में आपसी बात बिगड़ गई। दल में विवाद कोई पहली बार नहीं हुआ है। इसके पहले 2012 के चुनाव में भी आपसी विवाद होने के कारण प्रत्याशियों की सूची काफी देर से जारी हुई थी और जद (यू) ने यह चुनाव भी अपने बूते पर लड़ा था। जिसका परिणाम यह रहा कि अधिकतर स्थानों पर इनके प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके थें। केवल बांसडीह ऐसी विधानसभा सीट थी जहां पर जनता दल (यू) का प्रत्याशी पांचवें स्थान पर आ सका था।

जनता दल (यू) की एक इकाई के प्रदेश अध्यक्ष रमापति चौधरी, प्रदेश प्रवक्ता सुभाष पाठक, महासचिव चन्द्रपाल सिंह वर्मा, प्रदेश महासचिव आरसी वर्मा, विजेन्द्र वर्मा मनोज सचान समेत कई नेता कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। अब तो जनता दल (यू) से अलग होकर शरद यादव ने भी अलग राह पकड़ते हुए लोकतांत्रिक जनता दल बना लिया है।

2012 के विधानसभा चुनाव में जनता दल (यू) ने बिहार में गठबन्धन टूटने के बाद अपने दम 219 प्रत्याशी उतारे तो अधिकतर स्थानों पर उसे 100 से 1000 तक ही मत मिल सके। जनता दल (यू) को मात्र 0,36 प्रतिशत मत ही मिल सके थें। कहीं कहीं तो प्रत्याशियों की हालत निर्दलीय प्रत्याशियों से भी बदत्तर रही थी। आंवल में पार्टी उम्मीदवार नेपाल सिंह को को मात्र 191 मत ही मिले थे।

आपसी विवाद ने पार्टी की राह मुश्किल की

पार्टी के आपसी विवाद के चलते ही गठबन्धन पर बात नहीं बन सकी थी। जनता दल (यू) 53 सीटों की मांग कर रहा था जबकि भाजपा नेतृत्व इसपर तैयार नहीं था। जबकि इसके पहले जनता दल (यू) भाजपा के साथ चुनाव लड़ा था तो भाजपा नेतृत्व ने उसे 16 सीटें दी थी। इस चुनाव में रारी सीट जनता दल (यू)के धनंजय सिंह ने जीती थी। जबकि 12 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हुई थी।

इसी तरह 2002 में भाजपा ने उसे 13 सीट दी थी तो जनता दल (यू) केवल एक सीट ही जीत सका था। 2014 में भी उप्र में जद (यू) के एक उम्मीदवार ने किस्मत आजमाई। तब भदोही संसदीय सीट पर तेज बहादुर यादव मैदान में उतरे और चौथे स्थान पर रहे। 2009 में गठबंधन में जनता दल (यू) को उत्तर प्रदेश की बदायूं और सलेमपुर सीट मिली थी लेकिन, कोई सफलता नहीं मिली।

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