Shiv Pratap Shukla: जानिए कौन हैं शिव प्रताप शुक्ला, जिन्हें बीजेपी ने ब्राह्मणों को साधने वाली समिति का बनाया है प्रमुख
Shiv Pratap Shukla : भारतीय जनता पार्टी (Bjp) ने 16 सदस्यीय ब्राह्मण नेताओं की एक टीम गठित की है। इसकी जिम्मेदारी राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला (Rajya Sabha MP and former Union Minister Shiv Pratap Shukla) को सौंपी गई है
former Union Minister Shiv Pratap Shukla : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने और उन्हें साधने के लिए भारतीय जनता पार्टी (Bjp) ने 16 सदस्यीय ब्राह्मण नेताओं की एक टीम गठित की है। इसकी जिम्मेदारी राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला (Rajya Sabha MP and former Union Minister Shiv Pratap Shukla) को सौंपी गई है। शिव प्रताप शुक्ला (Shiv Pratap Shukla) की अगुवाई में यह ब्राह्मण नेता अपने-अपने इलाकों में जाकर पंडितों को मनाने, रिझाने का काम करेंगे। शिव प्रताप शुक्ला यूपी में ब्राह्मण (up Brahman) नेता के तौर पर अपनी अलग पहचान रखते हैं और वह गोरखपुर से लगातार चार बार विधायक और यूपी सरकार में करीब 8 साल तक मंत्री का दायित्व निभा चुके हैं। अब उन्हीं की अगुवाई में यूपी में बीजेपी ब्राह्मणों को साधेगी तो चलिए आपको बताते हैं कौन हैं शिव प्रताप शुक्ला जिनके कंधों पर बीजेपी आलाकमान ने यह दारोमदार सौंपा है।
कौन हैं शिव प्रताप शुक्ला?
शिव प्रताप शुक्ला का जन्म 1 अप्रैल 1969 को गोरखपुर जिले के खजनी इलाके के रुद्रपुर में हुआ था। वह 1968 में आरएसएस से जुड़े और 1970 में अपने छात्र राजनीति की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की। छात्र राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने वाले शिव प्रताप शुक्ला को मीसा के तहत 26 जून 1975 को जेल भेज दिया गया। करीब 19 महीने जेल में रहने के बाद 1977 में रिहा किया गया। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की है। उनके परिवार में पत्नी और तीन बेटियां हैं।
1989 में पहली बार बने विधायक
1977 में जेल से रिहा होने के बाद शिव प्रताप शुक्ला राजनीति में और भी सक्रिय हो गए। वर्ष 1989 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें गोरखपुर से अपना उम्मीदवार घोषित किया और वह चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद लगातार 1991, 1993 और 1996 चार बार विधायक इसी विधानसभा से चुने गए। शिव प्रताप शुक्ला चार बार विधायक रहते करीब 8 साल तक यूपी में अलग-अलग विभागों के मंत्री के रूप में भी कार्य किया। वह ग्रामीण विकास, शिक्षा, खेल, जेल जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री की जिम्मेदारी निभाई।
2002 में हारे चुनाव
लगातार चार बार विधायक रहने के बाद शिव प्रताप शुक्ला साल 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार हार गए। कहा जाता है कि इस चुनाव में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के लिए अपना प्रत्याशी उतारकर उन्हें चुनाव हरा दिया था। इसके बाद से शिव प्रताप शुक्ला और योगी आदित्यनाथ में ठन गई थी। लेकिन उनका जुड़ाव भारतीय जनता पार्टी से ख़त्म नहीं हुआ और वह पार्टी में रहकर ही कार्य करते रहे।
2016 में फिर हुआ उदय
2002 में गोरखपुर से चुनाव हारने के बाद शिव प्रताप शुक्ला धीरे-धीरे भाजपा से साइट लाइन होने लगे और एक दशक से ज्यादा समय तक वह भाजपा से जुड़े तो रहे लेकिन उनकी मौजूदगी ना के बराबर थी। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2016 में शिव प्रताप शुक्ला का उदय हुआ। उन्हें पीएम मोदी की संस्तुति पर राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने शिव प्रताप शुक्ला को अपने कैबिनेट में जगह दी और 2017 से 2019 तक वह केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री के तौर पर काम किया। 2019 में एक बार फिर जब मोदी की अगुवाई में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो उन्हें जगह नहीं मिली।
2022 के लिए मिली बड़ी जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश में 2022 का चुनाव बीजेपी के लिए जब नाक का सवाल बना हुआ है। ऐसे में बीजेपी से ब्राह्मणों की नाराजगी की खबरों के बीच बीजेपी आलाकमान एक बार फिर शिव प्रताप शुक्ला की अगुवाई में 16 सदस्य ब्राह्मण नेताओं की टीम तैयार कर यूपी के मैदान में उतार दिया है। यह 16 नेता अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर ब्राम्हण नेताओं से मिलेंगे और पार्टी से लेकर संगठन, सरकार तक में उनके समाज की भागीदारी और किए गए कार्यों की जानकारी देकर उन्हें अपने पाले में करने की हर मुमकिन कोशिश करेंगे। क्योंकि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की अच्छी खासी आबादी है। करीब 13% ब्राह्मण मतदाता उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने और बिगाड़ने की पूरी हैसियत रखते हैं। इसीलिए मायावती हों या अखिलेश यादव या फिर कांग्रेस सभी ब्राह्मणों पर फोकस कर रही है।
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