UP Election 2022: बीजेपी के लिए 'परिवारवाद' बड़ी चुनौती, दिग्गज नेता बच्चों के लिए मांग रहे टिकट
Up Election 2022 : 2022 के चुनाव में भाजपा के कई ऐसे दिग्गज हैं जो इस चुनाव में अपने बेटों को स्थापित करना चाहते हैं और उनके टिकट के लिए आलाकमान से लेकर संगठन तक जुगाड़ बैठा रहे हैं।;
बीजेपी फ्लैग (Social Media )
UP Election 2022 : भारतीय जनता पार्टी के लिए अभी तक जो मुद्दा विपक्ष पर हमले के लिए हुआ करता था अब वही उनके गले की फांस बनता जा रहा है। 2022 के चुनाव में भाजपा के कई ऐसे दिग्गज हैं , जो इस चुनाव में अपने बेटों को स्थापित करना चाहते हैं और उनके टिकट के लिए आलाकमान से लेकर संगठन तक जुगाड़ बैठा रहे हैं। हालांकि पार्टी आलाकमान परिवारवाद की राजनीति से बचना चाहते हैं। ऐसा नहीं है कि भाजपा में बेटे, बेटी, पत्नी को टिकट नहीं मिलता। ऐसे कई बड़े नेता हैं जो अपने परिवार के लोगों को चुनाव लड़ाकर सांसद, विधायक बना चुके हैं। इस बार बीजेपी में 75 साल पार कर चुके नेताओं की संख्या काफी बढ़ गई है इसलिए अब वह अपने परिवार के लोगों के लिए टिकट के लिए मशक्कत में जुटे हुए हैं।
कार्यकर्ताओं में भी एक गलत मैसेज जाएगा
इन नेताओं की दावेदारी से भाजपा शीर्ष नेतृत्व परेशान है कि उन्हें टिकट के लिए मना किया जाएगा तो वह नाराज होंगे। साथ ही कार्यकर्ताओं में भी एक गलत मैसेज जाएगा कि आम कार्यकर्ता का हक मारा जा रहा है। साथ ही विपक्षी दलों को भी चुनाव में घेरना का एक मौका मिल जायेगा। अभी हाल ही में बीजेपी का साथ छोड़ने वाले दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बारे में भी कहा जाता था कि वह अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे। बात नहीं बनी तो उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ दिया। हालांकि उनकी बेटी बदायूं से बीजेपी की सांसद हैं।
दो राज्यपाल बेटे के लिए मांग रहे टिकट
वैसे बीजेपी में बेटा, बेटी और पत्नी के लिए टिकट मांगने वाले नेताओं की फेहरिस्त लंबी है, लेकिन सबसे पहले आपको दो मौजूदा राज्यपाल का नाम बताते हैं जो अपने बेटे को टिकट दिलाना चाह रहे हैं। पहला नाम राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र का है, 2014 में उन्हें देवरिया से लोकसभा का प्रत्याशी बनाया था और वह जीतकर संसद पहुंचे थे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री भी रह चुके हैं। 2019 में उनका टिकट बुजुर्ग होने के नाते काटा गया था। उसके बाद पीएम मोदी ने उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया था। कलराज मिश्र अपने बेटे को देवरिया से टिकट दिलाना चाह रहे हैं। वह ब्राह्मण समाज के बड़े नेता भी हैं बीते दिनों दिल्ली में चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से उनकी मुलाकात भी हुई थी।
बिहार के राज्यपाल फागू चौहान
बिहार के राज्यपाल फागू चौहान अपने बेटे रामविलास चौहान को मऊ की मधुबन सीट से टिकट दिलाना चाह रहे हैं। मधुबन से विधायक रहे दारा सिंह चौहान के भाजपा से इस्तीफा देने के बाद उनका रास्ता साफ नजर आ रहा है। इस वजह से माना जा सकता है कि रामविलास चौहान बीजेपी के प्रत्याशी हो सकते हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह गौतमबुद्धनगर जिले की नोएडा सीट से बीजेपी के विधायक हैं, इस बार भी उनकी दावेदारी प्रबल मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि राजनाथ अपने दूसरे बेटे नीरज सिंह को भी लखनऊ से चुनाव लड़ाना चाह रहे हैं। नीरज के लिए कैंट या लखनऊ उत्तरी सीट से दावेदारी जताई गई है।
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित
विधानसभा अध्यक्ष श्री देवनारायण दीक्षित भी अपने बेटे दिलीप दीक्षित के लिए उन्नाव की पुरवा सीट से टिकट चाह रहे हैं। पुरवा से अभी अनिल सिंह विधायक हैं, अनिल सिंह ने 2018 में हुए राज्यसभा चुनाव में बसपा से बगावत कर भाजपा उम्मीदवार को वोट दिया था। तब से वह भाजपाई माने जाते हैं और उनकी इस सीट पर दावेदारी भी मजबूत दिखती है। लेकिन हृदय नारायण दीक्षित के बेटे के लिए टिकट मांगने से इस सीट का भी समीकरण फंसा हुआ है।
केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर
केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर लखनऊ की मोहनलालगंज लोकसभा सीट से सांसद है और मोदी सरकार में मंत्री भी हैं। कौशल किशोर की पत्नी जय देवी मलीहाबाद से विधायक हैं। इस बार कौशल किशोर अपने बेटे विकास किशोर को मलिहाबाद और दूसरे बेटे प्रभात किशोर को सीतापुर के सिधौली सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसके लिए वह लखनऊ से दिल्ली तक समीकरण बनाने में लगे हैं।
केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल
2017 में टूंडला विधानसभा से जीत कर आए एसपी सिंह बघेल 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़े और जीतकर दिल्ली पहुंच गए अब वह मोदी सरकार में मंत्री हैं। एसपी बघेल अब अपनी पत्नी के लिए टूंडला से टिकट की मांग कर रहे हैं।
मंत्री सूर्य प्रताप शाही
योगी सरकार में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही अपने ब्लॉक प्रमुख बेटे सुब्रत शाही के लिए पथरदेवा सीट छोड़ने को तैयार हैं। शाही का प्रयास है कि पार्टी उनके बेटे को पथरदेवा सीट से उम्मीदवार बना दे और उन्हें देवरिया सदर से चुनाव लड़ा दे।
कानपुर नगर सांसद सत्यदेव पचौरी, पूर्व मंत्री राजेश अग्रवाल
कानपुर नगर के सांसद सत्यदेव पचौरी अपने बेटे अनूप पचौरी के लिए कानपुर की गोविंद नगर सीट से टिकट मांग रहे हैं। वहीं योगी सरकार में पूर्व वित्त मंत्री रहे राजेश अग्रवाल को 75 वर्ष की आयु पूरी करने के कारण मंत्री पद से हटाया गया था। अब वह बीजेपी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हैं, वह बरेली कैंट से अपने बेटे आशीष अग्रवाल के लिए टिकट मांग रहे हैं। राजेश अग्रवाल इस सीट से कई बार विधायक चुनकर आ चुके हैं। अब इस सीट को वह अपने बेटे के लिए तैयार करना चाहते हैं।
प्रयागराज सांसद रीता बहुगुणा जोशी
2017 में लखनऊ की कैंट सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची रीता बहुगुणा जोशी योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें प्रयागराज से लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया और वह जीतकर सांसद बन गईं। रीता बहुगुणा जोशी अब कैंट सीट से अपने बेटे मयंक जोशी को टिकट दिलाना चाह रही हैं। क्योंकि वह इस सीट पर 2 बार विधायक बन चुकी हैं।उनके बेटे मयंक जोशी लखनऊ में काफी एक्टिव हैं इसलिए वह अब उन्हें चुनाव मैदान में उतारना चाह रही हैं।
यह ऐसे कुछ चंद बड़े नाम बड़े थे जो बीजेपी आलाकमान से टिकट मांगकर शीर्ष नेतृत्व का सिर दर्द बढ़ा दिए हैं। ऐसे और भी नेता हैं जो अपने बच्चों के लिए टिकट की चाह रखते हैं, लेकिन अब बीजेपी शीर्ष नेतृत्व को तय करना है कि वह आम कार्यकर्ताओं का ख्याल रखते हुए, विपक्ष के वार से बचकर इन नेताओं को कैसे संतुष्ट करते हैं। क्योंकि पिछले दिनों स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी समेत कई विधायकों के इस्तीफे से बीजेपी में खलबली है और नेताओं की टिकट की डिमांड पूरी नहीं होगी तो वह पाला बदलने में देरी नहीं लगाते। ऐसे तमाम उदाहरण उनके सामने आ चुके हैं।
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