UP News: सरकार कर रही पशु चिकित्सकों का शोषण! 24 घण्टे काम करने को मजबूर वेटरनरी डॉक्टर

पशु चिकित्सकों को चिकित्सा अधिकारी के बराबर समझा जाए। पशु चिकित्सा सेवा को इमरजेंसी सेवा घोषित करना। पशु चिकित्सकों और चिकित्सा अधिकारियों को तो पदनाम, वेतनमान, चयन, प्रशिक्षण, शिक्षण और शुरुआती वेतनमान तो बराबर मिलता है।

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Divyanshu Rao
Update: 2021-10-14 15:16 GMT

पशु चिकित्सक की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार अभी तक पशु चिकित्सकों (Veterinary Doctor) को 'कम्पलीट मेडिकल पैरिटी समझौता' का लाभ नहीं दे सकी है। पशु चिकित्सा सेवा को इमरजेंसी सेवा घोषित करने की मांग पर सरकार चुप्पी साधे हुए है। यूपी पशु चिकित्सा संघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार शुक्ला ने बताया कि "पिछले 3 सालों में शासन ने खुद के द्वारा किये गए समझौते पर ही कोई फैसला नहीं लिया और अभी तक हीलाहवाली कर रही है।" बता दें कि पशु चिकित्सकों को कंप्लीट मेडिकल पैरिटी देने के लिये, संस्तुति सहित प्रस्ताव पशुपालन विभाग के प्रशासन एवं विकास निदेशक द्वारा शासन को 3 वर्ष पहले ही भेज दिया गया है।

क्या है 'कंप्लीट मेडिकल पैरिटी'?

पशु चिकित्सकों को चिकित्सा अधिकारी के बराबर समझा जाए। पशु चिकित्सा सेवा को इमरजेंसी सेवा घोषित करना। पशु चिकित्सकों और चिकित्सा अधिकारियों को तो पदनाम, वेतनमान, चयन, प्रशिक्षण, शिक्षण और शुरुआती वेतनमान तो बराबर मिलता है। लेकिन प्रमोशन देने, ईएमओ रखने और अन्य सुविधाएं देने पर सरकार फैसला नहीं कर रही है। जबकि चार साल पहले ही पशु चिकित्सकों की सारी मांगों पर सहमति बन गई थी। लेकिन उसे आज तक उत्तर प्रदेश शासन द्वारा लागू नहीं किया जा सका।

पुश चिकित्सक की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

पशु चिकित्सकों और चिकित्सकों की सेवाओं में फर्क?

• चिकित्सा अधिकारियों का 4, 11, 17 और 24 साल पर प्रमोशन हो जाता है। जबकि, पशु चिकित्सकों को 10, 16 और 26 साल पर पदोन्नति मिलती है।

• चिकित्सा अधिकारियों को एनपीए (नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउन्स) मिल रहा है और निजी प्रैक्टिस बंद है। लेकिन पशु चिकित्सकों को 24 घण्टे कार्य करने का आदेश है। निजी प्रैक्टिस करने की भी मंज़ूरी मिली हुई है। मगर इन्हें एनपीए से वंचित रखा गया है।

• पशु चिकित्सकों का ओपीडी के बाद का समय सरकार ने गौशाला के लिये लगा रखा है। जिससे सरकार अपने ही आदेशों का उल्लंघन कर रही है।

• सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ईएमओ यानी इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर होते हैं, जो कि ओपीडी डॉक्टरों के अलावा रहते हैं। इन्हें इमरजेंसी पेशेंट को देखने के लिये रखा जाता है, जिनकी ड्यूटी आठ घण्टे की होती है। मग़र पशु चिकित्सालयों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यहां पर एक ही पशु चिकित्सक के ऊपर इमरजेंसी व ओपीडी दोनों का दबाव रहता है और ड्यूटी 24 घण्टे की रहती है।

7 राज्यों में दी जा रही 'कंप्लीट मेडिकल पैरिटी'

पशु चिकित्सकों को भारत सरकार, आर्मी, अर्ध सैनिक बलों और 7 राज्यों में कम्पलीट मेडिकल पैरिटी दी जा रही है। उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में ही एक्स-रे टेक्नीशियन, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट आदि को पहले से ही कम्पलीट मेडिकल पैरिटी दे दी गयी है। जबकि चार वर्ष पूर्व ही समझौता होने के बाद भी उत्तर प्रदेश में पशुचिकित्सकों को सरकार 'कम्पलीट मेडिकल पैरिटी' से वंचित किये हुए है।

पशु चिकित्सा सेवा को घोषित किया जाए इमरजेंसी सेवा

पशु चिकित्सक इमरजेंसी सेवाएं दे रहे हैं। पोस्टमार्टम, सर्जरी ऑपरेशन, वन विभाग के रेस्क्यू ऑपरेशन, टाइगर व तेंदुआ पकड़ने पर हेल्थ परीक्षण, पोस्टमार्टम परीक्षण और फोरेंसिक परीक्षण सहित अन्य कार्य पशु चिकित्सक कर रहे हैं। साथ ही परीक्षा में ड्यूटी, सफाई कर्मचारियों की निगरानी में ड्यूटी सहित सैकड़ों तरह की ड्यूटी करते हैं। लेकिन अभी तक पशु चिकित्सा सेवा को इमरजेंसी सेवा घोषित करने को लेकर शासन लापरवाही कर रहा है। गौरतलब है कि इसका संस्तुति सहित प्रस्ताव पशुपालन विभाग के प्रशासन एवं विकास निदेशक द्वारा 3 वर्ष पहले ही भेज दिया गया है।

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