UP Politics : 2022 के लिए सभी धुरंधर तैयार, जनता किसका करेगी विश्वास!
UP Politics : 2022 में भाजपा यूपी में सरकार बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आ रही है। चुनाव में तकरीबन 6 महीने बाकी हैं।
UP Politics : अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव सभी दलों के लिए अहम हैं। जिसको देखते हुए राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गये हैं। इस चुनाव को भाजपा किसी भी कीमत पर हाथ से नहीं जाने देना चाहती। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी समेत बीजेपी का पूरा केंद्रीय नेतृत्व लग गया है।
अलीगढ़ में विशाल रैली कर और राजा महेंद्र सिंह के नाम से विश्वविद्यालय की घोषणा कर प्रधानमंत्री ने परोक्ष रूप से इसकी शुरूआत कर दी है। वहीं, कांग्रेस, सपा, और बसपा के साथ तमाम छोटे दल भी चुनावी मोड में आ गये हैं। सभी पार्टियां वोटरों को लुभाने के अलग-अलग हथकंडा अपना रही है।
जाट और पश्चिमी यूपी में किसानों को साधने का प्रयास
2022 में भाजपा यूपी में सरकार बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आ रही है। चुनाव में तकरीबन 6 महीने बाकी हैं। लेकिन भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने विधानसभा प्रभारी और उनकी टीम की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही पार्टी को बूथ स्तर पर मजबूत करने के लिए मीडिया प्रभारियों को ट्रेनिंग दी गयी।
ट्रेनिंग के दौरान उन्हें सरकार के काम को बताने के साथ ही अपनी बात जनता के बीच में रखने को कहा गया।.वहीं, भाजपा जिला स्तर पर खाली पदाधिकारियों के बचे हुए नामों की घोषणा कर रही है। ताकि कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ कर भाजपा के लिए वोट बैंक बनाने में जुट सकें।
वहीं, यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी बीजेपी ने 14 सितंबर को अलीगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रैली कर जाट और पश्चिमी यूपी में किसानों को साधने का भी प्रयास किया। उन्होंने योगी आदित्यनाथ की तारीफों का पुल बांधा और कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ऐसी है कि अपराधी भागे फिर रहे हैं।
राजा महेंद्र सिंह के नाम यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा के साथ, कल्याण सिंह और सुहेल देव को याद किया। पीएम मोदी ने इस दौरान बचपन की कहानी सुनाकर अपने अंदाज से जनता को 2022 के लिए तैयार रहने का संकेत दे दिया।
जनक्रांति यात्रा की शुरुआत
हालांकि 2022 के चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। जिसको ध्यान में रखते हुए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव फूंक-फूंक कर कदम आगे रख रहे हैं । पार्टी को मजबूत करने के लिए लगातार नेताओं को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
इसके साथ कई पार्टियों के नेता, पूर्व मंत्री, सांसद, विधायक और मजबूत लीडरों को अपनी उपस्थिति में सदस्यता दिलावा रहे हैं। इतना ही नहीं, अखिलेश यादव ने यह भी कहा है कि वह सभी नेताओं को सम्मान देंगे। पार्टी में स्वागत करेंगे। इससे पार्टी में शामिल होने वालों कि संख्या बढ़ रही है।
इसके साथ समाजवादी पार्टी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर वोटरों को लुभाने, भाजपा की कमियां गिनाने और अपनी ताकत दिखाने के लिए उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर बलिया से जनक्रांति यात्रा की शुरुआत की।
इस यात्रा को दौरान सपा ने सहयोगी दलों के नेताओं के साथ प्रदेश की जनता को अखिलेश के किये गये कामों और योगी सरकार की कमियों को बताने का प्रयास किया। 3 सितंबर को यात्रा के समापन के दौरान अखिलेश पार्टी कार्यकर्ताओं से मुखातिब हो रहे थे, तभी सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव पार्टी कार्यालय में आ धमके. अखिलेश ने उनसे आशीर्वाद लिया।
मुलायम को देखकर सपा प्रमुख ने कहा भी की नेता जी हमें आशीर्वाद देने आये हैं।.इसके बाद से लगातार सपा संरक्षक मुलायम सिंह पार्टी कार्यालय पहुंचकर कार्यकर्ताओं को 2022 के लिए तैयार कर उनका हौसला बढ़ा रहे हैं। जरुरत पड़ने पर प्रचार करने की बात कह रहे हैं।इससे सपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ता नजर आ रहा है।
2019 के लोकसभा चुनाव में कांगेस प्रियंका गांधी को यूपी चुनाव का प्रभारी बनाकर अपनी खोई हुई जमीन तलाशने की फिराक में लग गयी है। तभी से परोक्ष रूप से कांग्रेस यूपी में अपना जनाधार हासिल करने की कोशिश कर रही है।
जीता सबका दिल
जुलाई 2019 में सोनभद्र के उम्भा में हुए गोलीकांड में पीड़ित और उनके परिजनों से मिलने के लिए जाते समय योगी सरकार ने उनको रोक दिया। जिससे नाराज होकर वह धरने पर बैठ गयी। मृतकों को परिजनों को 10-10 लाख और घायलों को 1-1 लाख देने की घोषणा किया और दिया भी। जिससे सरकार बैकफुट पर आ गयी, अन्त में योगी सरकार के अधिकारियों ने पीड़ितों और उनके परिजनों को उनसे मिलाया।
घटना के कुछ दिन बाद प्रियंका उम्भा गांव गयी। जहां वह मंच पर न बैठकर पीड़ितों के साथ जमीन पर बैठी और उनकी बातों को सुना। इतना ही नहीं वह पीड़ितों के घर गयी और खेतों के मेड़ से होते हुए घटना स्थल पर जाकर सबका दिल जीत लिया।
2022 में कांग्रेस सत्ता में आने का भरसक प्रयास कर रही है। इसके लिए राहुल और प्रियंका ने 2020 में हाथरस कांड में सरकार के रोके जाने का बावजूद आने की कोशिश की। हालांकि सरकार ने शुरूआत में उन्हें वहां नहीं जाने दिया ।
घटना के कुछ दिनों के बाद राहुल और प्रियंका वहां गये। इस दौरान प्रियंका ने मृतक की मां को गले लगाकर उनके दुख में साथ रहने का भरोसा दिया। वहीं, प्रयागराज में मल्लाहों से मिलकर और गंगा स्नान करके प्रिंयंका कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए जुटी हैं।
बसपा को एक के बाद एक झटका
इतना ही नहीं 2022 के विधानसंभा चुनाव में उनको सीएम पद का उम्मीदवार बनाये जाने की मांग उठी है। संभावना जतायी जा रही है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वह कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए अमेठी से विधानसभा का चुनाव भी लड़ सकती हैं.
बसपा प्रमुख 2022 में सरकार बनाने का दावा कर रही हैं। लेकिन 2012 में सपा सरकार बनने के बाद से बसपा लगातार यूपी में संघर्ष कर रही है। कहीं न कहीं बसपा का जनाधार भी कम हुआ है। इसका अंदाजा 2014 के लोकसभा चुनाव से लगाया जा सकता है. जिसमें बहुजन समाजवादी पार्टी को एक भी सीट यूपी में हासिल नहीं हुई.
इसके बाद लगातर बसपा के नेता दूसरी पार्टी में जाते रहे। जिससे पार्टी को एक के बाद एक झटका लगता गया। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने सा के साथ गठबंधन किया तो 10 सीटें मिली।
हालांकि उसके बाद दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया और दोनों तरफ से आगे से किसी भी प्रकार का गठबंधन नहीं किये जाने के लिए कहा गया। राज्यसभा चुनाव में बसपा विधायकों के तोड़े जाने से नाराज मायावती ने कह दिया कि वह किसी के साथ चली जाएंगी लेकिन सपा को नहीं जीतने देंगी। जिसके बाद उनके ऊपर भाजपा से मिले होने का आरोप लगा।
हालांकि 2022 में सत्ता पाने के लिए बसपा राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा के नेतृत्व में प्रबुद्ध सम्मेलन करवाकर वोटरों को अपनी तरफ करना चाहती है. बसपा के द्वारा बताया जा रहा है कि बसपा सर्वसमाज की हितैषी पार्टी है। अब देखना होगा कि भाजपा, कांग्रेस सपा और बसपा की विधानसभा चुनाव में क्या स्थिति रहेगी।
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)