Uttar Pradesh start-up : स्टार्ट अप कंपनी का उत्तर प्रदेश में बढ़ता प्रभाव, सामने आई ये रिपोर्ट
Uttar Pradesh Start up Company: 16 जनवरी 2016 को सम्पूर्ण भारत के लिए उत्तर प्रदेश सहित ’स्टार्ट-अप इण्डिया कार्यक्रम योजना’ की घोषणा की गयी।
Uttar Pradesh Start up Company: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पदभार संभालने के एक वर्ष पश्चात् ही 15 अगस्त 2015 के लाल किला से सम्बोधन में भारतीय अर्थव्यवस्था को नया स्वरूप व सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए 'स्टार्ट-अप इण्डिया' कार्यक्रम की घोषणा की। पाँच महीने के बाद 16 जनवरी 2016 से इस स्कीम को शुरू कर दिया गया। वास्तव में यह योजना भारत के युवा व उद्यमियों को ऐसा अवसर प्रदान करता है, जिसके अन्तर्गत वे अपने सपने, विचारों को वास्तविकता में बदल सकते हैं।
19 कार्य आइटम चिन्हित किये गए
16 जनवरी 2016 को सम्पूर्ण भारत के लिए उत्तर प्रदेश सहित 'स्टार्ट-अप इण्डिया कार्यक्रम योजना' की घोषणा की गयी। इसके अन्तर्गत 19 कार्य आइटम चिन्हित किये गए, जो मुख्य रूप से इन प्रमुख क्षेत्रों से आच्छादित होते हैं। इनमें 'सरलीकरण और मार्ग दर्शन', 'फंड की सहायता और प्रोत्साहन', 'उद्योग-शिक्षा जगत में तालमेल एंव उद्भवन' है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि मोदी सरकार ने एक अभिनव पहल किया, इसमें जिन्होनें कभी व्यापार या उद्योग का कार्य नही किए हैं, लेकिन उनके पास नवाचार या नए विचार होते हैं। ऐसे लोगों को उद्योग-व्यापार में आगे बढ़ाने के लिए यह पहल रंग लाने लगा है। स्टार्ट-अप कार्यक्रम उद्यमियों को सुगमता देने के लिए तीन-स्तरीय रणनीति बनाई है, जिसके अन्तर्गत एक कॉमन प्लेटफार्म बनाना, लाभान्वित करना और अन्य सम्बल प्रदान करना तथा क्षेत्रीय उद्यमियों को शामिल करते हुए उनके नवीन विचारों को व्यापारिक प्रयासों में सार्थक करना शामिल है।
30 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में स्टार्ट-अप
जनवरी 2016 से दिसंबर 2020 के दौरान भारत में 41,317 स्टार्ट-अप की पहचान की गई। लगभग 39,000 स्टार्ट-अप इकाइयों द्वारा लगभग 5 लाख प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन किया गया। वहीं, उक्त स्टार्ट-अप इकाइयों द्वारा रूपए 4,500 करोड के विशेष निधि से वित्तीय मदद की गई है। भारत के 30 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में स्टार्ट-अप के लिए विशेष नीति बनाई जा चुकी है। इसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है। लगभग आधी स्टार्ट-अप में कम से कम एक महिला निदेशक शामिल है। 600 जिलों में कम से कम एक स्टार्ट-अप इकाई स्थापित हो चुकी है। स्टार्ट-अप कार्यक्रम भारत में एक प्रभावशाली और समावेशी रूप को तेजी से आगे बढ़ा रहा है, जहां ऐसे लोग सामने आ रहे हैं, जो अभी तक सरकार के सहयोग व प्रोत्साहन के अभाव में अपने आइडिया को धरातल पर उतार नहीं पा रहे थे। अब यह सम्भव हो रहा है जिसका लाभ उद्यमी और भारतीय अर्थव्यवस्था दोनों को मिल रहा है। बहुत से स्टार्ट-अप में विदेशी निवेश आ रहा है, तो बहुत से स्टार्ट-अप में बड़ी कॉरपोरेट कंपनियां दिलचस्पी ले रही है। बहुत सी स्टार्ट-अप कम्पनियों ने उद्योग व व्यापार को एक नई दिशा देने का सफल कार्य किया है।
उत्तर प्रदेश देश का दूसरा सबसे अग्रणी राज्य
उत्तर प्रदेश में भी स्टार्ट-अप के लिए तेजी से अनुकूल व सार्थक होता जा रहा है। जिस प्रकार से व्यापार करने के सरलीकरण के सूचक के आधार पर उत्तर प्रदेश देश का दूसरा सबसे अग्रणी राज्य बन चुका है। उसका सीधा लाभ स्टार्ट-अप के लिए उपयुक्त इको सिस्टम के रूप में भी सामने आ रहा है। भारत सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में स्टार्ट-अप के तेजी से उभरने का इको-सिस्टम या वातावरण लगातार बेहतर होता जा रहा है। सार्थक परिणाम भी सामने आने लगे हैं।उत्तर प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में शामिल किया जा सकता है, जहां पर स्टार्ट-अप की घोषणा वर्ष 2016 में ही कर दी गई थी । इसके बेहतरीन परिणाम भी पहले धीरे-धीरे और अब तेजी से सामने आने लगे हैं। उत्तर प्रदेश के बाद ही हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्यों में यह नीति घोषित की गई है। इसी नीति की रणनीति के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश में पांच स्थानों पर इनक्यूबेषन अथवा उद्भवन केन्द्रों की स्थापना की गई है। यह हैं आईआईएम लखनऊ IIM Lucknow), काषी हिन्दू विश्वविद्यालय (Kashi Hindu vishvvidhyalay) , वाराणसी, आईटी उपवन, कमला नेहरू (Kamala Nehru), तकनीकि संस्थान, सुल्तानपुर तथा आईबी हन्स, लखनऊ। इसी के साथ ही स्टार्ट-अप वातावरण में सर्वाधिक उत्तर अभ्यास को शामिल करने की नीति बनाई गई है। इन सबका सम्मिलित प्रभाव स्टार्ट-अप को क्रियान्वित् व पोषित करने के रूप में देखा जा सकता है। स्टार्ट-अप को भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत करने की रणनीति है, जिसके अन्तर्गत वर्ष 2021 में 1,641 आवेदको में से 79 केवल उत्तर प्रदेश से ही रहे हैं, जो यहाँ स्टार्ट-अप इकाइयों के बढ़ते हौंसलों का परिचायक है।
स्टार्ट-अप अपनीति 2016 घोषित की गई
दरअसल, उत्तर प्रदेश में प्रथम स्टार्ट-अप अपनीति 'उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी एंव स्टार्ट-अप अपनीति 2016' घोषित की गई थी। किन्तु इस पर और अधिक बल देते हुए इसे 2017 में संशोधित करके प्रस्तुत किया गया। बाद में राज्य सरकार ने स्टार्ट-अप नीति को पुनः 2020 में प्रस्तुत किया, ताकि इसे प्रदेश के युवाओं के लिए और ज्यादा समग्र एंव लाभप्रद बनाया जा सके। यह प्रदर्शित करता है कि राज्य सरकार ने स्टार्ट-अप नीति को विकास का एक प्रमुख हथियार बना लिया है। वास्तव में उत्तर प्रदेश में स्टार्ट-अप का मुख्य उददेश्य रोजगार् सृजन और बेहतर क्षेत्रों में उदीयमान प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित कर जमीन पर हकीकत में उतारना, जिससे कि अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डालर के स्तर पर शीघ्रता से ले जाया जा सके। उत्तर प्रदेश का यह लक्ष्य है कि स्टार्ट-अप के मामले में शीघ्र ही वह प्रथम तीन राज्यों में अपनी गिनती कर सके। इसी के साथ ही राज्य में 10000 स्टार्ट-अप की स्थापना हेतु अनुकूल वातावरण निर्मित करना है। यह लक्ष्य 2022 तक प्राप्त करना है।
उत्तर प्रदेश स्टार्ट-अप फण्ड की स्थापना
उत्तर प्रदेश में स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रकार की रणनीति निर्धारित की गई है। इसके अन्तर्गत सरकारी खरीद में स्टार्ट-अप को वरीयता देना है। वार्षिक स्टार्ट-अप अपरैकिंग में प्रतिस्पर्धा व प्रोत्साहन का वातावरण बनाना है। शैक्षणिक हस्तक्षेप से नवाचार को प्रोत्साहित करना है। छात्रों को भी इसमें ज्यादा से ज्यादा शामिल करना है। इसके लिए उत्तर प्रदेश में रू0 1000 करोड़ से उत्तर प्रदेश स्टार्ट-अप फण्ड की स्थापना की गयी है। प्रदेश की 'एक जिला, एक उत्पाद' कार्यक्रम को भी स्टार्ट-अप योजना से जोडा गया है। प्रवासी भारतीयों से भी मिलकर इस योजना को सफल बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में प्रदेश सरकार विभिन्न ब्राण्ड को प्रोत्साहित करने की रणनीति विकसित की है तथा प्रतिभाओं को भी सम्मानित किया जा रहा है।स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तर प्रदेश में व्यापक व्यवस्था की गई है। इसके लिए धन की व्यवस्था तो की ही गई है, साथ ही एक बडी सूची ऐसे लोगों की उद्योग जगत से तैयार की गई है जो इन नए उद्यमियों का आवश्यक मार्गदर्शन भी करते रहेगें। समय-समय पर उत्तर प्रदेश में ऐसे आयोजन भी किए जाते हैं जिनसे नए उद्यमियों को सहयोग तथा प्रोत्साहन मिल सके। उत्तर प्रदेश सरकार ने कई स्थानों पर स्टार्ट-अप को बढ़ाने के लिए विशिष्ट क्षेत्रों में सेन्टर ऑफ इक्सेलेन्स की स्थापना की हैं जिसका सीधा लाभ उद्यमियों को मिलता है। इसके अन्तर्गत 100 नए स्टार्ट-अप को लाभ पहुंचाने की योजना है। इसके अन्तर्गत संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सांइस संस्थान ने काफी उत्साहवर्द्धक कार्य किया है। अन्य संस्थानों ने भी बेहतर परिणाम दिए हैं। यह विभिन्न क्षेत्रों में हो रहा है। वर्ष 2020 में पूरी तरह से नए कलेवर में स्टार्ट-अप पॅालिसी को लागू किया गया हैं। इसे अब और भी तेजी से विस्तारित करके प्रदेश में आय व रोजगार बढाने पर जोर दिया जा रहा है। इस प्रकार उत्तर प्रदेश में स्टार्ट-अप के माध्यम से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत सम्बल प्रदान किया जा रहा है। इसके परिणाम भी अच्छे रूप में सामने आने लगे है।
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