Ayodhya Deepotsav 2022: अयोध्या की सरयू का बहुत खास है महत्व, गंगा के समान है दर्जा

Ayodhya Deepotsav 2022: सरयू का उद्गम स्थान मानसरोवर झील है जो अब चीन के कब्जे में है। वहां इसे जियागेलाहे नदी के नाम से पहचाना जाता है।

Report :  NathBux Singh
Update: 2022-10-23 06:34 GMT

अयोध्या में सरयू के तट पर दीपोत्सव मनाया जा रहा (photo: social media ) 

Ayodhya Deepotsav 2022: दीपावली के पावन पर्व पर अयोध्या में सरयू के तट पर दीपोत्सव मनाया जा रहा है। देश विदेश में धूम मची हुई है। दरअसल, सरयू नदी का सनातन धर्म में विशेष महत्व है और इस पावन नदी का दर्जा गंगा से कम नहीं है। इस पौराणिक नदी का महत्व इतना है जितना काशी में गंगा का मथुरा में यमुना का। इस नदी में पवित्र स्नान किये बिना अयोध्या की पवित्र यात्रा पूर्ण नहीं होती।

सरयू नदी का महत्व भारत के अध्यात्म और दर्शन क्षेत्र में बहुत अहम माना जाता है। अब भले ही सरयू की लंबाई सिमट कर मात्र 350 किमी के दायरे में रह गई हो, लेकिन, अगर इसके पौराणिक उद्गम स्थल से इसकी कुल लंबाई देखें तो यह करीब हजार किलोमीटर से भी अधिक लंबी नदी है। और इसके इतने लंबे मार्ग में कई प्रकार के अलग-अलग नाम भी प्रचलित हैं।

Ayodhya Deepotsav 2022 (photo: social media )

नदी एक, नाम अनेक

सरयू का उद्गम स्थान मानसरोवर झील है जो अब चीन के कब्जे में है। वहां इसे जियागेलाहे नदी के नाम से पहचाना जाता है। सरयू नदी अपने उद्गम स्थान मानसरोवर झील से लगभग 100 किलोमीटर आगे जाने के बाद ही नेपाल में प्रवेश कर जाती है जहां इसे मंचू और कर्णाली जैसे नामों से पहचाना जाता है। इसके बाद यह सरयू नदी उत्तराखंड प्रदेश में प्रवेश कर जाती है और फिर यूपी में बहराइच, गोंडा, अयोध्या और फिर पूर्वांचल के छोटे-बड़े कई शहरों को पवित्र करती हुई आगे बढ़ती जाती है, और बिहार में छपरा के पास यह एक बड़ी और प्रमुख सहायक नदी के रूप में गंगा नदी में मिल जाती है। उत्तराखंड में पहुंचते-पहुंचते एक बार फिर से सरयू नदी का नाम बदल कर करनाली नदी या फिर काली नदी हो जाता है। यही नदी जब उत्तर प्रदेश की सीमा में पहुंचती है तो शारदा कहलाती है।

सिर्फ उत्तर प्रदेश में गोंडा से अयोध्या के आस-पास तक ही यह नदी अपने प्राचीन और पौराणिक नाम यानी 'सरयू' के नाम से जानी जाती है। हैरानी की बात है कि इस पवित्र नदी का नाम अयोध्या से आगे जाकर घाघरा में बदल जाता है।

अयोध्या की सरयू का बहुत खास (photo: social media ) 

रामायण, ऋग्वेद में है उल्लेख

सरयू का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। माना जाता है कि ऋग्वेद में इंद्र द्वारा दो आर्यों के वध की कथा में जिस नदी के तट पर इस घटना के होने का वर्णन है वह यही नदी है। इसकी सहायक राप्ती नदी के भी अरिकावती नाम से उल्लेख का वर्णन मिलता है।

- रामायण में सरयू का विस्तृत उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि सरयू अयोध्या से होकर बहती है। वाल्मीकि रामायण के कई प्रसंगों में इस नदी का उल्लेख आया है। विश्वामित्र ऋषि के साथ शिक्षा के लिये जाते हुए श्रीराम द्वारा इसी नदी द्वारा अयोध्या से इसके गंगा के संगम तक नाव से यात्रा करते हुए जाने का वर्णन रामायण के बाल काण्ड में मिलता है।कालिदास के महाकाव्य रघुवंशम् में भी इस नदी का उल्लेख है। बाद के काल में रामचरित मानस में तुलसीदास ने इस नदी का गुणगान किया है।

- बौद्ध ग्रंथों में इसे सरभ के नाम से पुकारा गया है।

- ब्रिटिश इतिहासकार अलेक्जेंडर कनिंघम ने अपने एक मानचित्र पर इसे मेगस्थनीज द्वारा वर्णित सोलोमत्तिस नदी के रूप में चिन्हित किया है।

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