रामलीला की सांस्कृतिक विरासत को दीर्घजीवी बनाएगा 'अयोध्या पंचांग', संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने किया लोकार्पण

रामलीला की सांस्कृतिक विरासत का न सिर्फ एक स्थान पर परिचय देते हैं, बल्कि उसे दीर्घजीवी भी बनाते हैं।

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2022-05-02 22:59 IST

 लखनऊ: 'अयोध्या पंचांग', संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने किया लोकार्पण

Lucknow: प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह (Culture and Tourism Minister Jaiveer Singh) ने अयोध्या शोध संस्थान के पंचांग का लोकार्पण करते हुए कहा है कि 'अयोध्या पंचांग' वैश्विक रामलीला, भारतीय नवसंवत्सर एवं अंग्रेजी तिथियों के आधार पर अनेक महत्वपूर्ण जानकारियों से युक्त है। ऐसे प्रयास रामलीला की सांस्कृतिक विरासत का न सिर्फ एक स्थान पर परिचय देते हैं, बल्कि उसे दीर्घजीवी भी बनाते हैं। जयवीर सिंह ने सोमवार को गोमती नगर स्थित पर्यटन भवन में 'अयोध्या पंचांग' का लोकार्पण किया।

सांस्कृतिक विरासत को दीर्घजीवी बनाएगा 'अयोध्या पंचांग'

समारोह में संस्कृति एवं पर्यटन विभाग (Department of Culture and Tourism) के प्रमुख सचिव व अयोध्या शोध संस्थान के अध्यक्ष मुकेश मेश्राम ने कहा कि यह पंचांग प्रदेश, देश एवं विश्व की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का महत्वपूर्ण प्रयास है। उन्होंने कहा कि संस्थान पिछले कई वर्षों से पंचांग के माध्यम से इस दायित्व का निर्वाह कर रहा है। संस्थान के निदेशक डॉ. लवकुश द्विवेदी ने कहा कि संस्थान का यह वार्षिक पंचांग श्रीराम संस्कृति को वैश्विक पटल पर समादृत करने में सहायक होगा। समारोह में संस्कृति निदेशालय के सहायक निदेशक अमित अग्निहोत्री सहित संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के कई प्रमुख अधिकारी उपस्थित थे। 


विभिन्न देशों की रामलीला को दर्शाता है पंचांग

'अयोध्या पंचांग' विक्रम संवंत 2079, शक संवंत 1944 और सन् 2022-23 पर आधारित है। रामलीला के आकर्षक चित्रों से युक्त है। पंचांग में नेपाल, इंडोनेशिया, कंबोडिया, रूस, थाईलैंड, बाली, श्रीलंका, सूरीनाम, त्रिनिदाद एवं टोबेगो जैसे देशों की प्रसिद्ध रामलीला के साथ ही देश के जम्मू, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश, नई दिल्ली के रामलीला के आकर्षक चित्र शामिल किए गए हैं।

इसके साथ ही पंचांग में प्रदेश के वाराणसी, रामनगर, अयोध्या, गोरखपुर, प्रयागराज, उरई, अकबरपुर, बलिया, जसवंत नगर, फिरोजाबाद की रामलीला के विविध प्रसंगों को दर्शाया गया है। पंचांग में रामलीला में प्रयुक्त होने वाले मुखौटों के चित्र भी दिए गए हैं। पंचांग में व्रत, उत्सव, पर्व, मुहूर्त, सूर्योदय. सूर्यास्त सहित विविध जानकारियों से परिपूर्ण है। 

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