Ayodhya Ram Mandir: चंदे के पैसे में 18 करोड़ का फर्जीवाड़ा, विरोधी दलों ने भाजपा को घेरा
Ayodhya Ram Mandir: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के न्यासियों पर 18 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़ा का गंभीर आरोप लगा है।
Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के न्यासियों पर 18 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़ा का गंभीर आरोप लगा है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने लखनऊ में मीडिया को बताया ट्रस्ट ने अयोध्या में दो करोड़ रुपये में खरीदी जमीन को महज पांच मिनट बाद ही 18 करोड़ रुपये में खरीदकर श्रद्धालुओं से मिले चंदे की बंदरबांट की है। इस फर्जीवाड़े में ट्रस्ट के सदस्यों और भाजपा नेताओं के शामिल होने के सुबूत भी हैं।
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने रविवार को कहा कि श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट में पैसों की हेरा-फेरी का यह ऐसा मामला है जो शायद ही दूसरे किसी देश या धर्म के मानने वालों के बीच देखने को मिले। देश के करोड़ों हिन्दुओं और अन्य मतावलंबियों ने जिस भावना के तहत अरबों रुपये का चंदा जमा कराया है। ट्रस्ट के लोग उस भावना को धता बताकर अपनी जेब भरने में लगे हैं।
उन्होंने बताया कि 18 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा करने के लिए जमीन की दो बार खरीद कराई गई। रजिस्ट्री संबंधी कागजात मीडिया के सामने पेश करते हुए बताया कि अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्म भूमि पर बनने वाले मंदिर के निकट की जमीन खरीदने के नाम पर घोटाला किया गया है। अयोध्या में पांच करोड़ 80 लाख रुपये की जमीन को पहले दो करोड़ रुपये में खरीदा गया, उसके पांच मिनट बाद ट्रस्ट ने उसी जमीन को 18 करोड़ रुपये में खरीद लिया। रजिस्ट्री विभाग के दस्तावेज के अनुसार यह जमीन हरीश पाठक और कुसुम पाठक की है।
गाटा संख्या 243, 244, 246 को कुसुम पाठक व हरीश पाठक से सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी ने दो करोड़ रुपये में खरीदा। इसी जमीन को पांच मिनट बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने 18 करोड़ रुपये में सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी से खरीद लिया। दिलचस्प यह है कि हरीश पाठक व कुसुम पाठक से जब सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी ने जमीन खरीदी तो इसके गवाह श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सदस्य डॉ अनिल मिश्र व अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय थे और जब इन दोनों से जमीन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के लिए चंपतराय ने खरीदी तब भी गवाह यही दोनों शख्स डॉ अनिल मिश्र व ऋषिकेश उपाध्याय ही रहे।
आप सांसद ने बताया कि फर्जीवाड़ा को ऐसे भी समझा जा सकता है कि जब हरीश पाठक व कुसुम पाठक से जमीन खरीदने वाले रविमोहन तिवारी ने शाम पांच बजकर 22 मिनट पर स्टांप खरीदा और सुल्तान अंसारी व रविमोहन तिवारी से जमीन खरीदने का ट्रस्ट की ओर से जो एग्रीमेंट किया गया उसका स्टांप इस बैनामे से 11 मिनट पहले यानी पांच बजकर 11 मिनट पर खरीदा गया। जब सुल्तान अंसारी और रविमोहन तिवारी के पास जमीन की मिल्कियत नहीं थी तब उनके साथ एग्रीमेंट का स्टांप कैसे खरीदा जा सकता है। ऐसे में सवाल है कि ट्रस्ट के लोगों ने उस शख्स के साथ जमीन खरीद का एग्रीमेंट क्यों किया जिसके पास जमीन भी नहीं थी।
उन्होंने कहा कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने श्रद्धालुओं से मिले सैकड़ों करोड़ रुपये ऐसे ही फर्जीवाड़ा कर चंपत कर लिया है। इस मामले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ईडी व सीबीआई से जांच करानी चाहिए। ट्रस्ट की बोर्ड बैठक में जमीन खरीदने का प्रस्ताव लाया जाता है। उसके बाद जमीन खरीदी जाती है। जो जमीन सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी से खरीदी गई उसके वह पहले से मालिक नहीं थे। मालिक बनने के महज पांच मिनट के अंदर कैसे ट्रस्ट के न्यासियों की स्वीकृत मिली और कैसे जमीन इतने अधिक मूल्य देकर खरीदने का फैसला किया गया। इसकी जांच होनी चाहिए। दुनिया के किसी भी हिस्से में जमीन का मूल्य महज पांच मिनट के अंदर इतना नहीं बढ़ता है। साढ़े पांच लाख रुपये प्रति सेकंड की दर से जमीन महंगी कैसे हुई। दूसरा कौन सा खरीदार वहां मौजूद था जिसकी वजह से जमीन के दाम बढ़ाने पड़े हैं।