राम मंदिर के नीचे सरयू: निर्माण में आई परेशानी, कमेटी ने उठाया ये कदम

राम मंदिर के निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री के पूर्व मुख्य सचिव नृपेंद्र मिश्रा की अगुआई में बनी निर्माण समिति ने मंगलवार को बैठक की। इस मीटिंग में तय किया गया है कि नींव के नीचे सरयू नदी की धारा मिलने के कारण मंदिर के लिए पहले से तैयार मॉडल सही नहीं है।

Update: 2020-12-30 06:36 GMT
राम मंदिर के नीचे सरयू: निर्माण में आई परेशानी, कमेटी ने उठाया ये कदम

लखनऊ: रामनगरी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू हो गया है और बहुत तेज़ी के साथ चल रहा है। लेकिन अभी खबर आई है कि अयोध्या में जारी राम मंदिर निर्माण में एक नई परेशानी सामने आ रही है। सूत्रों के मुताबिक मंदिर की नींव के नीचे सरयू नदी की धार मिली है, जिसकी वजह से निर्माणकार्य में मुश्किलें आ सकती हैं। इस समस्या को लेकर निर्माण कमेटी ने मंगलवार को चर्चा की। वहीं, मंदिर ट्रस्ट निर्माण के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) से मदद मांगी है। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले मंदिर निर्माण में चल रहे खंभों से जुड़े काम में भी दिक्कतों का सामना किया गया था।

सरयू नदी की धारा मिलने के कारण, पहले से तैयार मॉडल सही नहीं

राम मंदिर के निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री के पूर्व मुख्य सचिव नृपेंद्र मिश्रा की अगुआई में बनी निर्माण समिति ने मंगलवार को बैठक की। इस मीटिंग में तय किया गया है कि नींव के नीचे सरयू नदी की धारा मिलने के कारण मंदिर के लिए पहले से तैयार मॉडल सही नहीं है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में मौजूद सूत्रों ने बताया कि इस काम के लिए आईआईटी से मदद की अपील की गई है।

ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण के लिए आईआईटी से मांगी मदद

ट्रस्ट ने आईआईटी से मंदिर की मजबूत नींव के निर्माण के लिए मदद मांगी है। गौरतलब है कि मंदिर का निर्माण 2023 में पूरा होना है। सूत्रों ने बताया कि फिलहाल समिति दो तरीकों पर गौर कर रही है। पहला राफ्ट को सहायता देने के लिए वाइब्रो पत्थर का इस्तेमाल और दूसरा इंजीनियरिंग मिश्रण मिलाकर मिट्टी की क्वालिटी और पकड़ को बेहतर बनाया जाए।

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मंदिर का डिजाइन प्लान के अनुसार ठीक नहीं

अयोध्या में राम मंदिर का भक्तों को इंतजार है। यहां मंदिर बनाए जाने के लिए 1200 खंभों की ड्राइंग तैयार की गई थी। हालांकि, यह डिजाइन प्लान के अनुसार, सफल होती नहीं दिख रही है। दरअसल, मंदिर की बुनियाद के लिए खंभों की टेस्टिंग की गई थी। इस दौरान कुछ खंभों को 125 फीट गहराई में डाला। इनकी जांच करने के लिए करीब 30 दिनों तक छोड़ा गया। बाद में इस पर 700 टन का वजन डाला गया और भूकंप के झटके दिए गए, तो ये खंभे अपनी जगह से हिल गए और मुड़ भी गए।

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