Bada Mangal 2021: हनुमान मंदिर बंद, कैसे होंगे बजरंगबली के दर्शन, क्यों मनाते हैं बड़ा मंगल
Bada Mangal 2021: अगर आप भी हनुमान मंदिर जाने की सोच रहे हैं तो जान लें कि लखनऊ में कौन सा हनुमान मंदिर खुला है और कहां बजरंगबली के दर्शन मिल सकते हैं।
Bada Mangal 2021 : कोरोना संकट और कई तरह की पाबंदियों के बीच इस साल का पहला बड़ा मंगल आज (Pehla Bada Mangal Aaj) है। ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले मंगलवार को बड़ा मंगलवार कहा जाता है। श्रद्धालुओं में बड़ा मंगल को लेकर उत्सुकता दिखी जब कोरोना गाइडलाइन (Covid-19 Guidelines) के तहत लगे प्रतिबंधों के बावजूद राजधानी लखनऊ (Lucknow) में लोग हनुमानजी के दर्शन (Hanuman Ji Ke Darshan) करने पहुंचे। हालंकि हनुमान मंदिर (Hanuman Mandir) के कपाट बंद होने के कारण भक्तों को बाहर से ही बजरंगबलि (Bajrangbali) के दर्शन हुए और मंदिर के बाहर से ही उन्होंने पूजा अर्चना की।
कोरोना काल ने काफी कुछ बदल दिया। भले ही त्योहारों को लोग पहले की तरह नहीं मना पा रहे लेकिन आज बड़ा मंगल होने के मौके पर लोग हनुमान दर्शन के लिए घरों से जरूर निकले। ऐसे में तड़के मंदिर पूजा के लिए पहुंचे भक्तों को उस वक्त राहत मिली जब धूप के बीच मौसम सुहाना हो गया और तेज हवाएं चलने लगी। आंशिक कोरोना कर्फ्यू के चलते मंदिरों में भक्तों की भीड़ नहीं लगनी है और न ही प्रसाद दिया जाना है। इसके अलावा जगह जगह लगने वाले भंडारे भी इस बार नहीं दिखे।
राजधानी के प्रसिद्द हनुमान सेतु मंदिर समेत कई छोटे बड़े मंदिरों में भक्त बजरंगबली की पूजा में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। इस मौके पर यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा भी अपनी पत्नी संग हनुमान सेतु मंदिर पहुंचे।
लखनऊ के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर (Hanuman Mandir Lucknow)
अगर आप भी हनुमान मंदिर जाने की सोच रहे हैं तो जान लें कि लखनऊ में कौन सा हनुमान मंदिर खुला है।
हनुमान सेतु मंदिर- लखनऊ के हनुमान सेतु मंदिर में पहले बड़े मंगल के अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। लोग मास्क लगाए मंदिर के बाहर दर्शन के लिए लाइन में लगे नजर आये। हालांकि आज हनुमान सेतु मंदिर में प्रवेश पर रोक है। ऐसे में भक्त मंदिर के बाहर गेट से ही बजरंगबली के दर्शन कर लौट गए। वैसे व्हाट्सएप के जरिये हनुमान सेतु मंदिर के दर्शन कराये जा रहे हैं।
हजरतगंज का दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर - हनुमान भक्त हजरतगंज स्थित दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर पहुंचे, यहां मंदिर के पुजारी ने बड़ा मंगल के मौके पर बजरंगबली जी का श्रृंगार किया। हालांकि गर्भ गृह में प्रतिबंध होने की वजह से श्रद्धालुओं ने दूर से दर्शन और पूजन किया।
अलीगंज का पुराना हनुमान मंदिर - अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर के कपाट खोले गए। पूजन और आरती के दौरान मंदिर के द्वार भले ही खुल गए लेकिन भक्तों के मंदिर में प्रवेश पर रोक लगी रही। मंदिर के बाहर से ही पूजन कर भक्त लौट गए।
अलीगंज का नया हनुमान मंदिर- राजधानी लखनऊ के अलीगंज में नए हनुमान मंदिर को पहले ही बंद रखने की घोषणा हो चुकी थी। इस वजह से सुबह से ही मंदिर में पूजन के लिए भक्तों की कम संख्या दिखाई दी। जो श्रद्धालु आये भी, वह बाहर से ही मत्था टेक कर लौट गए। वहीं मंदिर के अंदर सेवादार ने हनुमान प्रतिमा पर नया चोला अर्पित कर उनका श्रृंगार किया और सुंदरकांड का पाठ किया गया।
अमीनाबाद हनुमान मंदिरः अमीनाबाद स्थिति हनुमान मंदिर के पट भी बंद रखे गए। वहीं मंदिर की आरती वॉट्सऐप के जरिये भक्तों तक पहुंचाई गयी । प्रसाद वितरण भी नहीं किया गया और अमीनाबाद में लगने वाले भंडारे भी इस बार आयोजित नहीं हो सके।
क्यों मनाते हैं बड़ा मंगल:
बड़ा मंगल की शुरुआत कब और कैसे हुई, इसपर कई कहानियां प्रचलित हैं लेकिन सबसे प्रसिद्द कथा है अवध की आलिया बेगम की, जिन्होनें अलीगंज में संतान की प्राप्ति के लिए हनुमान मंदिर बनाया था। इसकी बुर्जी पर आज भी चांद दिखायी देता है। जो कि हिन्दू मुस्लिम एकता का पर्याय सदियों से बना हुआ है।
लेकिन लखनऊ में हनुमान को पूजने के कई और भी कारण हैं। कहते हैं भगवान राम ने जब माता सीता को वनवास जाने को कहा था, तब माता सीता के पुत्र हनुमान भी साथ हो लिए थे। यह बात माता सीता और महाबली लक्ष्मण दोनो ही जानते थे कि हनुमान जी के साथ रहते माता सीता को वनवास भेजना संभव नहीं है। इसलिए लखनऊ में गोमती किनारे पहुंच कर तनिक विश्राम के बाद माता सीता ने हनुमान से कहा जब तक मै न लौटूं तुम यहां इंतजार करो।
सीता राम के कहने पर भक्त हनुमान यहीं बैठ कर इंतजार करने लगे। बाद में माता सीता को वन में छोड़ने के बाद लक्ष्मण भी हनुमान को क्या जवाब देंगे ये सोच कर गोमती के दूसरे किनारे पर रुक गए। जो स्थान लक्ष्मण टीला के नाम से प्रसिद्ध है। समय गुजरता गया काल का चक्र चलता गया। माता सीता वनवास से वापस नहीं लौटीं। लेकिन अजर अमर हनुमान अपनी जगह से टस से मस नहीं हुए। युगों बीत गए लोग इस बात को भूल भी गए कि हनुमान जी यहीं बैठे हैं।