Bakhira Lake: अपने बदहाली पर आंसू बहा रही है बखिरा झील, सुंदरीकरण का देख रही रास्ता

Bakhira Lake: हजारों एकड़ क्षेत्रफल में फैला बखिरा झील आज अपने बदहाली पर आंसू बहा रही है झील का सुंदरीकरण न होने से अब यह झील झाडझंखाड में बदल गयी है।

Report :  Amit Pandey
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2022-04-08 16:04 IST

Sant Kabir Nagar: "हज़ारों साल रोती है नर्गिस अपनी बेनूरी पर, बड़ी मुश्किल से पैदा होता है चमन में दीदवर कोई" किसी मशहूर शायर की ये पंक्तियां बदहाली की शिकार भारत की बड़ी झीलों में से एक झील- बखिरा झील (Bakhira Lake) पर एकदम सटीक बैठती है क्योंकि हजारों एकड़ क्षेत्रफल में फैला यह झील आज अपने बदहाली पर आंसू बहा रही है झील का सुंदरीकरण न होने से अब यह झील झाडझंखाड में बदल गयी है, जो पर्यटन की दृष्टि काफी घातक साबित हो रही है। प्रशासनिक उपेक्षा के चलते अब इस झील में आने वाले पर्यटकों की संख्या न के बराबर हो गयी है जो कभी पर्यटकों और प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुआ करती थी।

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जनपद के मुख्यालय खलीलाबाद से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है। इसका क्षेत्रफल 28.94 किमी में फैला हुआ है। इतिहास के पन्नों में मोतीझील के नाम से अंकित बखिरा झील को 14 मई, 1990 को उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए 'बखिरा पक्षी विहार' का दर्जा प्रदान किया था।


झील में पक्षियों का शिकार प्रतिबंधित है

तभी से झील में पक्षियों का शिकार प्रतिबंधित कर दिया गया है। विदेश से आए सैलानियों के प्राणों की रक्षा व पर्यटकीय दृष्टि से इस स्थान को राष्ट्रीय फलक पर स्थापित करवाने की बातें कही गई थी जो सिर्फ कागजी साबित हो रही है। इस झील को महाराजगंज के साहगी बरवां क्षेत्र से जोड़ते हुए वर्ष 1997 में यहां रेंज कार्यालय की स्थापना की गई थी लेकिन समय के साथ-साथ सत्ता बदली निजाम बदले, लेकिन बखिरा झील की सूरत आज वैसी ही है।


सैलानिया की संख्या दिन ब दिन कम होती जा रही

बखिरा झील को दर्जा मिलने के बाद मंशा यह थी कि खलीलाबाद से 16-20 किमी दूर उत्तरी हिस्से में स्थित, मेहदावल मार्ग पर बसे बखिरा कसबे के पूर्वी भाग में स्थित इस पक्षी बिहार के विस्तृत भू-भाग में विचरते पक्षियों को देखने के लिए सैलानी यहां आ सकें लेकिन झील का विस्तारीकरण न होने के कारण यह सैलानिया की संख्या दिन ब दिन कम होती जा रही है।

जब टीम ने पड़ताल के दौरान पर्यटकों से बात की तो उन्होंने बताया कि झील का नाम तो बहुत सुने थे लेकिन यहां देखने लायक कोई चीज ही नही जो कही न कही प्रशासनिक उपेक्षा दर्शिती है। अगर इसकी देखरेख के साथ इसका सुदंरीकरण किया जाए तब झील की सूरत बदल सकती है।

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