Balrampur: 'पराली से पशु चारा और कंपोस्ट खाद बनाएं,...जलाएं नहीं', बलरामपुर DM की किसानों से अपील

Balrampur News : बलरामपुर डीएम अरविंद कुमार सिंह ने कहा, 'जिले में विशेष अभियान 'पराली दो, खाद लो' कार्यक्रम का संचालन कराया जाए। साथ ही पराली की उपयोगिता के लिए जागरूकता अभियान चलाएं।'

Update:2023-10-30 23:02 IST

बलरामपुर के डीएम अरविंद कुमार सिंह (Social Media)

Balrampur News : पराली जलाने की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने तथा पराली प्रबंधन के संबंध में संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। बलरामपुर के डीएम अरविंद कुमार सिंह ने किसानों से अपील की है कि वो पराली का इस्तेमाल पशु चारा के रूप में करें या उसका कंपोस्ट खाद बना लें, लेकिन उसे जलाएं नहीं। पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ता है।'   

उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन प्रयोजन के लिए विशेष निर्मित कृषि यंत्र के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए उनकी जानकारी किसानों को दी। कई आवश्यक निर्देश भी दिए। जिलाधिकारी अरविंद कुमार सिंह ने कहा, 'किसानों को इन कृषि यंत्रों हेतु 50 प्रतिशत अनुदान तथा कृषि उत्पादन संघ एवं ग्राम पंचायत को फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना हेतु 80 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। साथ ही, इसके व्यापक प्रचार प्रसार संबंधित जानकारी अधिकारियों देने के निर्देश दिए।'

डीएम बोले- किसानों को करें जागरूक 

डीएम अरविंद कुमार सिंह ने कहा, 'कृषक भाईयो को पराली को न जलाने तथा इसका प्रयोग पशु चारा, कंपोस्ट खाद बनाने ,बायोकोल, बायोफ्यूल एवं सीबीजी आदि के रूप में प्रयोग के बारे में जन जागरूक किया जाए। इसके लिए पूरे जनपद में 24,000 बायो डी कंपोजर बोतल, कैप्सूल का वितरण कृषकों को निशुल्क किया जाएगा। उन्होंने बताया कि, बायो डी कंपोजर की एक बोतल,कैप्सूल पैक 1 एकड़ क्षेत्रफल में पर्याप्त होती है। डी कंपोजर के प्रयोग से शीघ्रता से फसल अवशेषों को सड़ाया जा सकता है।

खाद के लिए गड्ढे का हो खुदान 

जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि डी कंपोजर का उपयोग पराली को कंपोस्ट बनाकर कृषक के खेत में इन सीटू प्रबंध कर तथा सामुदायिक तौर पर प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए सामुदायिक स्थलों पर कंपोस्ट खाद के लिए गड्ढे का खुदान कराया जाए।

'पराली दो, खाद लो' कार्यक्रम चलाएं 

उन्होंने किसानों से पराली संग्रह कर निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल पर लाने का निर्देश दिया। इसके लिए विशेष कार्य योजना बनाएं जाने का निर्देश दिया। विशेषकर जिन कृषकों के खेत में फसल अवशेष जलाने की घटनाएं गत वर्षो में सामने आई है उन कृषकों के खेत पर सतत दृष्टि रखी जाए तथा उनको पराली प्रबंधन हेतु प्रेरित किया जाए तथा उनसे भी  पराली संग्रह कर गौशालाओं में दान कराई जाए। जनपद में विशेष अभियान 'पराली दो, खाद लो' कार्यक्रम का संचालन कराया जाए।

'पराली जलाना अपराध है'

उन्होंने आगे कहा, कि 'पराली जलाना प्रतिबंधित होने के साथ ही अपराध भी है। ऐसा करने वाले किसानों से 2500 से लेकर 15000 रुपए तक का जुर्माना वसूलने के साथ ही उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है। कहा कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण, तापमान में बढ़ोतरी होने के साथ ही मानव स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति तथा भूमि में पाये जाने वाले लाभदायक जीवाणु नष्ट हो रहे हैं। जिससे उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। पराली व फसल अपशिष्ट को आधुनिक कृषि यंत्रों तथा मल्चर, रिवर्सिबल, एमबी प्लाऊ, थ्रेडर, रोटावेटर, रोटरी स्लेशर, हैरो आदि यंत्रों का प्रयोग कर खेत में मिलाकर खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाई जा सकती है। साथ ही उसको कंपोस्ट पिट में डालकर उसे सड़ाकर खाद बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि साथ ही ग्राम पंचायत, न्याय पंचायत, विकासखंड एवं तहसीलवार क्षेत्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। जो किसानों की निगरानी करने के साथ ही उन्हें जागरूक भी करेंगे।'

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