Balrampur News: धनतेरस पर बाजार में रही रौनक, खरीदारी को उमड़े लोग, खील-खिलौने की हो रही खूब बिक्री
Balrampur News: धनतेरस पर ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों में शुक्रवार सुबह से ही लोगों का पहुंचना शुरू हो गया। शहर के दुकानों पर भीड़ भाड़ देखी जा रही है।
Balrampur News: धनतेरस पर ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों में शुक्रवार सुबह से ही लोगों का पहुंचना शुरू हो गया। शहर के उतरौला बाजार, गैसढी बाजार, तुलसीपुर और बलरामपुर स्थित बाजारों में स्थित दुकानों पर भीड़ भाड़ देखी जा रही है। सबसे ज्यादा लोग सर्राफा, वाहन और बर्तन की दुकानों पर खरीदारी करते दिखाई दिए। देर रात तक यह सिलसिला चलने की संभावना है। शुक्रवार को पंच पर्व की धनतेरस के साथ शुरुआत हो गई। धनतेरस को लेकर दुकानदारों ने बृहस्पतिवार से ही तैयारियां शुरू कर दी थी। बर्तन की दुकानें रातभर सजाई गईं, तो सराफा, वाहन आदि के शोरूम भी सजधज तैयार हुए। शुक्रवार को सभी दुकानें फूलों की माला और इलेक्ट्रॉनिक झालरों से सजी दुकानों आकर्षक दिख रही है।
सुबह 10 बजे के बाद बाजार में भीड़ बढ़ना शुरू हो गया, कोई बर्तन की दुकानों पर स्टील, कांसा, तांबा और पीतल का बर्तन खरीद रहा था, तो कोई सर्राफा के शोरूम पर सोने-चांदी के आभूषण, लक्ष्मी, गणेश आदि को खरीदने में मसगूल रहा है। दो-पहिया और चारपहिया वाहन शोरूप पर भी सुबह से ही लोगों का पहुंचना शुरू हो गया। और यहां भारी भीड़ देखी गई। वहीं कुछ लोग तो धनतेरस से पहले ही गाडी व आभूषण तथा मिठाईयों को बुक करा गए थे। उन वाहनों को लेने आए थे। उन्हें वाहन की चाबी सौंपी गई, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। कपड़ों की दुकानों पर भी ग्राहक पहुंचे, महिलाओं ने जहां अपने लिए साड़ियां खरीदी, तो पुरुषों ने कुर्ता पैजामा और पैंट-शर्ट पसंद किया। बच्चों के लिए उनके अभिभावकों ने कपड़े खरीदे। इसके साथ ही खील-खिलौना की भी खूब बिक्री हो रही है। इसके साथ ही मिट्टी के दुकानों पर भी पर्याप्त मात्रा में भीड देखी गई है।
बता दें कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 10 अक्टूबर दिन शुक्रवार को है। शास्त्रों के अनुसार, इस तिथि को समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इस वजह से इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी तिथि के नाम से ही जाना जाता है। भगवान धन्वंतरि के अलावा इस दिन माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। इस दिन दीपावली का पर्व शुरू हो जाता है और इस दिन सोना-चांदी या नए बर्तन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है।
वहीं भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य को ही सबसे बड़ा धन माना गया है और इस दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंश माना जाता है और इन्होंने ही संसार में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया। इस दिन घर के द्वार पर तेरस दीपक जलाए जाने की प्रथा है। धनतेरस दो शब्दों से मिलकर बना है - पहला धन और दूसरा तेरस जिसका अर्थ होता है धन का तेरह गुना। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के कारण इस दिन को वैद्य समाज धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाता है।
शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिस तिथि को भगवान धन्वंतरि समुद्र से निकले, वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी। भगवान धन्वंतरि समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है। भगवान धन्वंतरि को विष्णु भगवान का अंश माना जाता है और इन्होंने ही पूरी दुनिया में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया। भगवान धन्वंतरि के बाद माता लक्ष्मी दो दिन बाद समुद्र से निकली थीं इसलिए उस दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इनकी पूजा-अर्चना करने से आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है।