Banda News: DM साहिबा! सुनें मरौली झील की पुकार, IAS अनुराग पटेल के प्रयासों को आगे बढ़ाने की दरकार

Banda News Today: बड़ोखर ब्लाक के परमपुरवा गांव में तकरीबन सवा सौ बीघे में पसरी मरौली झील को 2022 में दिन बहुरने का खुश्बूदार झोंका महसूस हुआ था। तत्कालीन डीएम अनुराग पटेल ने मरौली झील को अमृत सरोवर का दर्जा देकर पानीदार और दर्शनीय बनाने का संकल्प लिया था।;

Report :  Om Tiwari
Update:2025-02-03 16:05 IST

Banda News Today Condition of Water in Marauli Lake Report 

Banda News in Hindi: मरौली झील की यह पुकार रविवार को महसूस की गई, जब वन विभाग ने 'विश्व आर्द भूमि दिवस' मनाने की औपचारिकता निभाई। जलीय संरक्षण को लेकर जन जागरूकता के मकसद से कोसों दूर प्राथमिक कक्षाओं के करीब दो दर्जन बच्चों और विभागीय जनों में सिमटे रहे कार्यक्रम के दौरान भाषणबाजी, फोटोशूट और सेल्फी की बहार रही। दूसरी ओर, मरौली झील 'गुड़ दिखाकर ईंट मारने' की कहावत चरितार्थ करती अपनी व्यथा बयां करती दिखी। इस व्यथा पर जिनने कान दिया, उन्हें मरौली झील सुध लेने के लिए डीएम जे. रीभा को पुकारती महसूस हुई।

क्या नजारा था! आज भी लोगों के जेहन में कौंधती हैं पटेल के सिर पर सजी मिट्टी भरी डलिया की तस्वीरें

बड़ोखर ब्लाक के परमपुरवा गांव में तकरीबन सवा सौ बीघे में पसरी मरौली झील को 2022 में दिन बहुरने का खुश्बूदार झोंका महसूस हुआ था। तत्कालीन डीएम अनुराग पटेल ने मरौली झील को अमृत सरोवर का दर्जा देकर पानीदार और दर्शनीय बनाने का संकल्प लिया था। संकल्प को सिद्धि में बदलने का प्रयास किया था। क्या नजारा था। जन प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ श्रमदान के बीच पटेल के सिर पर सजी मिट्टी भरी डलिया की तस्वीरें आज भी लोगों के जेहन में कौंधती हैं। पटेल ने झील के चारो ओर कंटीली तारबंदी के साथ ही किनारों पर वृहद वृक्षारोपण कराया था। यह प्रयास रंग लाता नजर आता है। पौधे अंगड़ाई ले रहे हैं। उनकी कोशिश थी, चारो तरफ पैचिंग के साथ गहराई बढ़ाकर वर्षा जल से झील को बांध जैसे नजारे में बदलकर दर्शनीय बनाया जाए। वह सारी कवायदें अंजाम दी जाएं जो जिले और जिले से बाहर के लोगों को आकर्षित करने का सबब बनें।

पटेल के जाते ही ढर्रे पर लौटा वन महकमा, हाशिए में खुदाई और रखरखाव, पीना तो दूर- नहाने योग्य भी नहीं बचा खुचा पानी

तत्कालीन डीएम पटेल ने इसका जिम्मा वन विभाग को सौंपा था। लेकिन, पटेल का स्थानांतरण होते ही वन महकमा चलताऊ ढर्रे पर आ गया। गांव वाले बताते हैं, न तो झील की खुदाई हुई और न ही रखरखाव पर फोकस रहा। वन विभाग ने 14 घंटे की ड्यूटी के बदले 5000 रुपए मासिक पगार पर गांव के बच्चा नामक व्यक्ति को वाचर बना रखा है। बीते 8 माह से उसे यह मामूली पगार भी नहीं मिली। ऐसे में ड्यूटी के प्रति उसकी रुचि का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। नतीजतन, गंदगी का बोलबाला है। आधी झील कांसे (घास) से पटी है। सूख रही है। आधे से भी कम पानी बचा है। बचा हुआ पानी पीना तो छोड़िए, नहाने लायक भी नहीं है। ग्रामीण कहते हैं, नहाने पर खुजली घेर लेती है।

मछलियों और पक्षियों की मौत का सबब मानी जा रही झील में सिंघाड़े की खेती, दहाई के नीचे बतखों की तादाद

वन विभाग सिंघाड़े की खेती को प्रोत्साहन दे रहा है। लेकिन, मरौली झील में सिंघाड़े की खेती से जलीय जीव जंतुओं, मछलियों और पक्षियों की जान पर बन आई है। सिंघाड़ा किसान कीटनाशक उपयोग करते हैं। कीटनाशक मछलियों आदि की मौत का सबब बनता है। मृत मछलियों को आहार बनाने से पक्षियों की मौतें हो रही हैं। झील की खूबसूरती बढ़ाने वाला बतखों का विशाल झुंड दहाई के नीचे सिमट गया है। अन्य पक्षी भी प्रभावित हुए हैं।

DFO ए. पांडेय और ADFO प्रोमिला की मौजूदगी में पूरी हुई औपचारिकता, किसी को याद नहीं कि झील पर किसने क्या कहा

प्रभागीय वनाधिकारी अरविंद पांडेय और उप प्रभागीय वनाधिकारी प्रोमिला की मौजूदगी में 'विश्व आर्द भूमि दिवस' की औपचारिकता के दौरान फोटोशूट और सेल्फी की बहार के बीच जलीय संरक्षण पर जमकर ज्ञान बांटा गया। लेकिन इसे ग्रहण करने वाले एक ओर वे विभागीय लोग थे जिन्हें सब पता है, तो दूसरी प्राथमिक कक्षाओं के मुठ्ठी भर वे बच्चे जिन्हें शायद ही कुछ पल्ले पड़ा हो। इक्का दुक्का लोगों को छोड़ दें तो जन जागरूकता का मकसद धूल फांकता रह गया। मरौली झील पर किस वक्ता ने क्या कहा, किसी को याद नहीं आता। ऐसे, में डीएम रीभा से मरौली झील की मूक पुकार पर किसी को अचरज नहीं होता।

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