Banda News: DM जे. रीभा के तेवरों से बदले-बदले नजर आ रहे विभागों के हाकिम, असमंजस में करिश्माई माननीय समेत 'चमचागिरी' के ख्वाहिशमंद
Banda News: रीभा की हिदायत पर अव्वल तो अनेक 'चमचानुमा' लोगों को गुलदस्तों संग प्रवेश ही नहीं मिला और जबरन प्रवेश पाए लोगों को अपने 'बुके' किनारे पड़ी एक मेज के हवाले कर 'लजाते' हुए कूच करना पड़ा।;
Banda News: जिलाधिकारी कैसा हो, इस पर बहस मुबाहिसों की पूरी गुंजाइश है। लेकिन उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में फिलहाल IAS जे. रीभा ने इस पैमाने पर अपने तमाम पूर्ववर्तियों को पीछे छोड़ नया 'ककहरा' पेश है। महज चार दिनों में 'जन चहेती' बनकर उभरीं रीभा ने किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। लेकिन सोमवार को समाधान दिवस में देर से पहुंचे अधिकारियों को जिस तरह से 'नो एंट्री' की सजा सुनाई, उसका असर मंगलवार और बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में चले बैठकों के दौर में बखूबी दिखा। सारे अधिकारी निर्धारित समय से पांच-दस मिनट पहले सभागार के बाहर हाजिरी बजाते नजर आए। इस बीच नवागंतुक डीएम से मिलने और बधाई देने के लिए लोगों की कतार लगी रही। लेकिन 'बुके' देकर 'चमचागिरी' के ज्यादातर चिरपरिचित ख्वाहिशमंद मुंह फुलाए बैरंग लौटते नजर आए।
डीएम आफिस में किनारे पड़ी मेज के हवाले करने को विवश हुई चमचानुमा जमात
रीभा की हिदायत पर अव्वल तो अनेक 'चमचानुमा' लोगों को गुलदस्तों संग प्रवेश ही नहीं मिला और जबरन प्रवेश पाए लोगों को अपने 'बुके' किनारे पड़ी एक मेज के हवाले कर 'लजाते' हुए कूच करना पड़ा। जिलाधिकारी रीभा ने सभी को पूरी विनम्रता से कहा, 'वह जनसेवक बनकर प्रस्तुत हैं। यह सब ठीक नहीं। आइंदा इसका ध्यान रखा जाए।'
निर्धारित समय से पांच-दस मिनट पहले बैठकों में हाजिरी बजाने को मजबूर हुए अफसर
किसी को याद नहीं आता कि समाधान दिवस जैसे आयोजनों में किस जिलाधिकारी ने विलंब से पहुंचे अधिकारियों को बाहर ही खड़े रहने को विवश किया। 'नो एंट्री'की सजा दी। इनमें सीएमओ जैसे आला अधिकारी भी शुमार रहे। जिलाधिकारी के इस अंदाज का महकमों में हल्ला हो गया। अगले दिन से बैठकों के दौरान निर्धारित समय से पहले अधिकारियों की आमद चर्चा का विषय रही। कर्मचारियों ने तफरी ली। बोले, 'जिलाधिकारी रीभा का प्रभाव अधिकारियों के चेहरों पर पढ़ा जा सकता है। सभी की सारी मनमानी काफूर हुई लगती है।'
डाक्टरों में हड़कंप, आफ द रेकार्ड बोले- कामकाज में डीएम रीभा की बेहद बारीक नजर
जिला अस्पताल का निरीक्षण अमूमन हर ने जिलाधिकारी का जाना-देखा ढर्रा है। लेकिन नवागंतुक जिलाधिकारी जे. रीभा ने जिन बिंदुओं का उल्लेख कर डाक्टरों को कटघरे में खड़ा किया, वह देखते बना। उन्होंने पूछा, समय-समय पर मरीजों का चेकअप करते हैं या नहीं, और यदि करते हैं तो मरीज डायरी में उसका उल्लेख क्यों नदारद है। इस सवाल पर डाक्टर बगलें झांकने लगे। इससे इतर मरीजों का हालचाल जानते हुए उनकी मनुहार और फटकार ने अलग ही रंग जमाया। बीमार और तीमारदार सभी उनकी बलैया लेने को उत्सुक दिखे। बीमार रामरती ने बाद में कहा भी, 'अफसर या बिटिया तान होउ चाही, जौन सही बात करय और करावय। डाक्टरन के घिग्घी बंधी रही है।'
धरी रह गई चमचागिरी की हसरत, बैरंग लौटे शूटर गुरू और लंबे वाले पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष
बुधवार और मंगलवार को नवागंतुक जिलाधिकारी से मुलाकात करने वह तमाम जाने-पहचाने चेहरे कलेक्ट्रेट सभागार तशरीफ़ लाए, जिनकी चमचागिरी की बदौलत शर्ट की कालर ऊंची दिखाना फितरत मानी जाती है। लेकिन शायद पहली बार सभी को 'बड़े बे आबरू होकर तेरे कूचे से निकले' जैसी स्थितियों से दो-चार होना पड़ा। इनमें शूटर गुरू से लेकर सत्तारूढ़ दल भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष समेत व्यापारी नेता आदि वह तमाम चेहरे शामिल हैं, जिनका निज छवि चमकाना एकमेव धंधा है। इन सबको पहला झटका लगा, जब दरबान ने पहले की तरह बुकों समेत प्रवेश पर टोंका। लेकिन येन केन प्रकारेण जबरन प्रवेश कर गए सभी को जिलाधिकारी रीभा ने आईना दिखाया। सारे के सारे मुंह लटकाए बैरंग लौटते नजर आए। निज छवि चमकाओ जमात के एक मठाधीश ने कहा भी, यह ' लगता नहीं कि यह डीएम कोई घास डालेगी।' यह मठाधीश इत्तेफाक से व्यापारी नेता थे और उन्होंने अपनी तथाकथित ठसक का यूं इजहार कर अपना चेहरा छिपाना मुनासिब समझा कि उद्योग बंधु और निवेश संबंधी बैठकों में वह भी डीएम को आईना दिखाएंगे। देखना होगा कि नौ मन तेल कब होगा और क्या राधा वैसे ही नाचेगी, जैसा वे चाहते हैं।
करिश्माई माननीय समेत फेंका फेंकी में सिद्धहस्त खोज रहे डीएम को प्रभावित करने की चतुराई
सर्वाधिक उधेड़बुन जिले के करिश्माई माननीय समेत उन रसूखदारों में देखी जा रही है, जो वाणी से वाचालपन, आचरण से दरिद्रता और व्यवहार से कुटिलता के लिए कुख्यात हो चले हैं। देहाती बोलना और डीएम को सरकार संबोधन से जन-प्रतिनिधि की गरिमा गिराने वालों को लग रहा है कि जे. रीभा से मुखातिब होते समय उनके सारे दांव उल्टे पड़ सकते हैं। और शायद यही वजह है कि फिलहाल सारे के सारे अपने दबड़ों में दुबके रहना ही मुनासिब मान रहे हैं।