Banda News: DM साहिबा जे. रीभा, यहां पढ़ें और जानें जन अपेक्षाएं
Banda News: समाज, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, खेल और पत्रकारिता की हस्तियों ने बेबाक अंदाज में अपनी बातें रखीं। सभी ने कहा, जिला वह चाहे जैसे चलाएं। लेकिन जिले के हित में उनसे कुछ अलग हटकर प्रस्तुत होने की उम्मीद तो बनती है।;
Banda News: नवागंतुक जिलाधिकारी IAS जे. रीभा ने कार्यभार संभाल लिया है। उनकी कार्यशैली को लेकर जिज्ञासाएं कुलांचे भर रही हैं। किसी का अनुमान है कि वह नई लकीर खींचेंगी। किसी को उम्मीद है कि जन जुड़ाव के मोर्चे पर मिसाल पेश करेंगी। जबकि कोई मानता है कि कुछ नहीं बदलने वाला। सब कुछ ढर्रागत रहना शासन-प्रशासन की नियति है। बहरहाल देखना होगा, क्या होता है। इस बीच Newstrack ने नवागंतुक जिलाधिकारी श्रीमती रीभा को लेकर जन अपेक्षाएं टटोली। समाज, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, खेल और पत्रकारिता की हस्तियों ने बेबाक अंदाज में अपनी बातें रखीं। सभी ने कहा, जिला वह चाहे जैसे चलाएं। लेकिन जिले के हित में उनसे कुछ अलग हटकर प्रस्तुत होने की उम्मीद तो बनती है। लगता है, जे. रीभा इस कसौटी पर खरी उतरेंगी। यदि यह सच हुआ तो उनका कार्यकाल ऐतिहासिक हो सकता है। बरस दर बरस उन्हें लोग सच्चा अभिभावक मानने को विवश हो सकते हैं।
पद्मश्री उमाशंकर पांडेय बोले- जल संरक्षण और वृक्षारोपण को तवज्जो दें DM जे. रीभा
पद्मश्री और जल योद्धा उमाशंकर पांडेय कहते हैं, नई जिलाधिकारी महिला हैं। जाहिर है कि उनकी संवेदनशीलता का स्तर ऊंचा रहने वाला है। इससे जनहित के साथ ही जल संरक्षण और वृक्षारोपण के मोर्चे पर उनसे ठोस कदमों की अपेक्षा की जा सकती है। उनका अनुरोध भी है कि इस ओर वह तवज्जो दें। इसके अलावा बुनियादी मसलों को नए आयाम देने की जरूरत है। खेती-बाड़ी, किसान-मजदूर और खेल-खिलाड़ी की दशा-दिशा को लेकर भी नवागंतुक जिलाधिकारी से कुछ नया कर दिखाने का भरोसा बांधने में उन्हें कोई हर्ज नहीं लगता।
पुंडरीक का सुझाव- साहित्यिक परंपरा को जानकर मुहैया कराएं प्रेक्षागृह
प्रगतिशील कविता के सशक्त हस्ताक्षर नरेंद्र पुंडरीक ने कहा, क्या कहूं। कहने से बेहतर है कि नवागंतुक जिलाधिकारी श्रीमती रीभा से अनुरोध किया जाए कि वह बांदा की गौरवशाली साहित्यिक परंपरा को जानें और उसे ठोस मुकाम दें। वास्तव में बांदा साहित्य और कला संस्कृति की नगरी है। बाल्मीकि, वेदव्यास, तुलसी, पदमाकर और केदारनाथ अग्रवाल की रचना भूमि है। लेकिन विडंबना देखिए कि बांदा में एक भी प्रेक्षागृह नहीं है। लेखक, कवि, रंगकर्मी अपने को कहां पेश करें। खुद को जन से कैसे जोड़ें। दुर्भाग्य से इस ओर अब तक किसी जिलाधिकारी ने ध्यान नहीं दिया। पर, उन्हें लगता है कि नवागंतुक डीएम श्रीमती रीभा जरूर सुध लेंगी। लेंगी तो हमेशा याद की जाएंगी।
DM रीभा.. सांस्कृतिक गतिविधियों के गढ़ में गढ़ो नया आयाम: कथक गुरु श्रद्धा
कमोवेश ऐसी ही बात नृत्यांगना श्रद्धा निगम ने भी कही। कथक गुरु के रूप में मशहूर श्रद्धा बोलीं- बांदा सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों का गढ़ है। आए दिन अनेक कार्यक्रम होते हैं। आडिटोरियम के अभाव में वि विवाह घरों, होटलों और अतिथि गृहों की शरण लेना मजबूरी होती है। कुछ समय पहले तत्कालीन चित्रकूटधाम कमिश्नर दिनेश सिंह ने आक्सीजन पार्क में मंच मुहैया कराया था। लेकिन यह सब भूली बिसरी दास्तान हो गया है। एक हार्पर क्लब था, जो स्पोर्ट्स क्लब के साथ विवाद क्लब बन गया है। मेडिकल कालेज स्थित आडिटोरियम सार्वजनिक नहीं है। इस विकट परिस्थिति में नवागंतुक महिला जिलाधिकारी से वह आडिटोरियम सुलभ कराने की पुरजोर गुजारिश करती हैं। यह तो तय है कि श्रीमती रीभा महिलाओं से जुड़े मामलों को प्राथमिकता देंगी। लेकिन महिलाओं को रोजगार से जोड़ने और उससे पहले उनके कौशल विकास को नया आयाम देना आज की जरूरत है।
शिक्षा में सुधार, योजनाओं की जमीनी समीक्षा सुनिश्चित करें : गोपाल गोयल
पेशे से शिक्षक रहे और साहित्य व पत्रकारिता में भी छाप छोड़ने वाले गोपाल गोयल, नवागंतुक जिलाधिकारी श्रीमती रीभा का अभिनंदन कर अपनी बात शुरू करते हैं। गोयल ने कहा, सच तो यह है कि शिक्षा ही ऐसा क्षेत्र है जिसमें कुछ ठोस कर के अन्य क्षेत्रों को भी समृद्ध किया जा सकता है। वैसे यह नीति निर्धारकों की जद का मामला है। लेकिन नवागंतुक जिलाधिकारी श्रीमती रीभा से जिले में पठन-पाठन की दशा में सुधार की उम्मीद लाजिमी है। इसके अलावा श्रीमती रीभा से अपेक्षा है कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की जमीनी समीक्षा और निगरानी सुनिश्चित की जाए। तहसील, कचहरी और आफिसों में लोगों को याचक बनने की मजबूरी से उबारा जाए। राजस्व जुटाऊ योजनाओं में पारदर्शिता लाई जाए। इस सब से बांदा की खुशहाली का पथ प्रशस्त होगा।
अंजू दमेले - सरकारी योजनाओं से ज्यादा लोगों को लाभान्वित कराएं रीभा
महिला सशक्तिकरण की दिशा में नित नए सोपान तय कर रहीं सामाजिक कार्यकर्ता अंजू दमेले कहती हैं, महज प्रचार प्रसार के अभाव में बहुतेरे लोग UP गवर्नमेंट की योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। नवागंतुक जिलाधिकारी श्रीमती रीभा से इस दिशा में ठोस समाधान की दरकार है। जन समस्याओं का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित होना चाहिए। गांवों की जनता पर विशेष फोकस की जरूरत है। उन्हें लगता है कि श्रीमती रीभा के रहते महिलाओं की दिक्कतों को प्राथमिकता मिलेगी।
DM से बांदा स्टेडियम की दुर्दशा का संज्ञान लेने की गुजारिश: मौलि भारद्वाज
जिला क्रिकेट एसोसिएशन अध्यक्ष मौलि भारद्वाज बोले- नवागंतुक जिलाधिकारी श्रीमती रीभा से कुछेक नई पहलों की उम्मीद की जा सकती है। वह मानते हैं कि श्रीमती रीभा खेल और खिलाड़ियों को जरूरी तवज्जो देंगी। क्या ही बेहतर हो कि वह बांदा के एकमात्र सरदार वल्लभ भाई पटेल स्टेडियम की दुर्दशा का संज्ञान लें। हर विधा के खिलाड़ी एक ही मैदान में खेलने को अभिशप्त हैं। पेयजल जैसी दिक्कतें सिर उठाए हैं। सुविधाओं का फकत टोटा है। क्रिकेटरों की बड़ी पौध तैयार है। पर, जरूरी संसाधनों का अभाव उनके खिलने-खिलखिलाने में बाधा बना है। विधायक निधि की मदद भी मिली, पर बात नहीं बनी। बांदा स्टेडियम को एक पुरसाहाल की जरूरत है और यह कोई और नहीं, नवागंतुक जिलाधिकारी श्रीमती रीभा ही हो सकती हैं। बतौर डीसीए प्रमुख उनका अनुरोध भी नत्थी किया जाए कि श्रीमती रीभा बांदा जिला स्टेडियम का उद्धार करने को आगे आएं। ऐसा करके वह बांदा के खिलाड़ियों के हित में मील का पत्थर कायम करेंगी।
वरिष्ठ पत्रकार सुधीर निगम बोले- जे.रीभा को दिखानी होगी कार्यकुशलता
अंत में वरिष्ठ पत्रकार सुधीर निगम ने संपादकीय टिप्पणी की। उन्होंने कहा, बांदा की नई जिलाधिकारी श्रीमती रीभा युवा महिला हैं। जिले की बदहाल व्यवस्थाएं दुरुस्त करना तो उनकी प्राथमिकता रहेगी ही, लेकिन उनसे कार्यकुशलता की अपेक्षा ज्यादा है। उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि शासन की मंशानुरूप सड़कें गड्ढा मुक्त हों। महिला सुरक्षा मिसाल बने। वंचितों और गरीबों का शोषण थमे। कोढ़ में खाज बने अवैध खनन पर प्रभावी ऐक्शन सामने आए। स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र सुधार का इंतजार खत्म हो। यह सब श्रीमती रीभा के लिए चुनौती होगा और उम्मीद करनी चाहिए कि वह जरूर कुछ नया करके दिखाएंगी। उन्हें इसकी अग्रिम शुभकामनाएं।