यूपी विधानसभा चुनाव से पहले दिखा ब्यूरोक्रेसी में बदलाव, दिल्ली की तरफ किया रुख

भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत हर पांच साल में विधानसभा के चुनाव होते हैं। यूपी में हर पांच वर्ष में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले ब्यूरोक्रेसी में बदलाव दिखने को मिलने लगता है।

publised by- :  Monika
Update: 2021-04-04 10:44 GMT

UP assembly elections (फाइल फोटो )

लखनऊ: भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत हर पांच साल में विधानसभा के चुनाव होते हैं। जिसके बाद नई सरकार का गठन होता है पर पता नहीं ऐसी क्या बात है कि यूपी में हर पांच वर्ष में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले ब्यूरोक्रेसी में बदलाव दिखने को मिलने लगता है यानी कि अधिकतर आईएएस केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली की तरफ रुख कर लेते हैं और फिर नई सरकार गठन के बाद यूपी वापस लौटने अथवा न लोटने का फैसला लेते हैं।

दिल्ली की तरफ रुख 

एक बार फिर यूपी में ब्यूरोक्रेसी के भीतर दिल्ली की तरफ रुख करना शुरू कर दिया है। हांलाकि अभी यूपी में विधानसभा चुनाव होने में एक साल बाकी है पर देखा जाए तो केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर वरिष्ठ आईएएस दुर्गा शंकर मिश्र, संजय अग्रवाल, शालिनी प्रसाद, आलोक टण्डन, अरूण सिंघल, लीना नंदन, देवाशीष पाण्डा, सुनील कुमार, जीवेश नंदन, आलोक कुमार प्रथम, जुथिका पाटकर, अर्चना अग्रवाल, निवेदिता शुक्ला वर्मा, लीना जौहरी, अमित कुमार घोष, पार्थ सारथी सेन शर्मा, डा. अशीष कुमार गोयल, मृत्युंजय कुमार नारायण, अमृत अभिजात, नीतेश्वर कुमार, कामिनी चैहान रतन, नवदीप रिनवा, रविंदर, संयुक्त समाद्दर, के. धनलक्ष्मी दिल्ली में तैनात हैं।

पहले बार नहीं बदला ऐसा माहौल 

खास बात यह है कि इस तरह ब्यूरोक्रेसी में माहौल बदलता पहली बार नहीं दिख रहा है। पिछली अखिलेश सरकार में भी ऐसा ही हुआ था जबकि इसी तरह बसपा सरकार में भी सबसे ताकतवर दिवंगत कैबिनेट सेक्रेट्ररी शशांक शेखर सिंह के स्टाफ अफसर के पद पर रहे शशि प्रकाश गोयल केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए चले गए थे। फिर अखिलेश सरकार बनने पर वापस आ गए। उसके बाद फिर वह दिल्ली चले गए लेकिन 2017 में योगी सरकार बनने के बाद शशि प्रकाश गोयल की वापसी हुई और पिछले चार साल से प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री के पद पर तैनात हैं। अब केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए फिर से उनका इम्पैनल हो गया है।

आईएएस अधिकारी देवेश चतुर्वेदी

केन्द्र से आए आईएएस अधिकारी देवेश चतुर्वेदी भी यूपी आए थे। उम्मीद की जा रही थी कि उन्हे प्रमुख सचिव मुख्मयंत्री बनाया जाएगा पर ऐसा नहीं हो सका और अब एक बार फिर वह अब केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जाने को तैयार है। इसी तरह गन्ना उत्पादन में नम्बर एक यूपी में गन्ना, चीनी, आबकारी जैसे महत्वपूर्ण विभागों को संभाल रहे संजय भुसरेड्डी को मायावती सरकार के दौरान केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए नाकों-चने चबाना पड़ा था, तब सरकार से एनओसी मिली थी। मौजूदा समय संजय भुसरेड्डी फिर केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए इम्पैनल हो गए हैं। इसी तरह वरिष्ठ आईएएस रेणुका कुमार, अरविंद कुमार, भुवनेश कुमार का भी इम्पैनलमेंट हो गया है। वह भी सरकार से अनुमति का बाट जोह रहे हैं।

शासन के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा समय कई महत्वपूर्ण विभागों की कमान संभाल रहे काफी संख्या में वरिष्ठ आईएएस संजीव मित्तल, अनुराग श्रीवास्तव और मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी भी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहते हैं। परन्तु अपने चार साल पूरे करने जा रही योगी सरकार कई योजनाओं को पूरा होने के इंतजार ईमानदार और मेहनतकश अधिकारियों को छोड़ने को तैयार नहीं है।


रिपोर्ट - श्रीधर अग्निहोत्री


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