Birsa Munda Jayanti: धरती अब्बा बिरसा मुंडाः जयंती पर बीबीएयू में वेबिनार के जरिये याद किये गए महानायक

Birsa Munda Jayanti: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के आजादी का अमृत महोत्सव समिति और एनसीसी "जनजातीय गौरव दिवस " के अवसर पर आयोजित वेबिनार यूनिट द्वारा बिरसा मुंडा की जयंती मनाई गई।

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Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-11-15 12:31 GMT

बिरसा मुंडा जयंती: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय 

Lucknow News: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (Babasaheb Bhimrao Ambedkar University), लखनऊ के आजादी का अमृत महोत्सव समिति और एनसीसी यूनिट द्वारा बिरसा मुंडा की जयंती (Birsa Munda's birth anniversary) "जनजातीय गौरव दिवस " के अवसर पर आयोजित वेबिनार में आंध्र प्रदेश सीटीयूएपी के वीसी प्रो. टी. वी. कट्टीमनी (Pro. TV Kattimani) ने कहा कि वर्तमान सरकार की पहल से आज महान आदिवासी नायक (tribal hero) और स्वतंत्रता सेनानी, "धरती अब्बा" बिरसा मुंडा की जयंती को हम जनजातीय गौरव दिवस (Tribal Pride Day) के रूप में मना रहे हैं । इसके माध्यम से पूरा देश धरती अब्बा की स्वतंत्रता संग्राम मे भूमिका के बारे में और आदिवासी समुदाय के गौरवशाली संस्कृति और सभ्यता के बारे में भी जानेगा।

उन्होंने बताया कि ब्रिटिश काल (British period) मे जनजातीय समुदाय सबसे ज्यादा उपेक्षित था। ब्रिटिश सरकार को जनजातीय समुदाय प्रजा के रूप मे स्वीकार्य नहीं था। अपने आत्मसम्मान और संस्कृति की रक्षा के लिए सबसे पहले आदिवासी समुदाय ने स्वतंत्रता संग्राम छेड़ा था। बिरसा मुंडा का देहांत 25 वर्ष की आयु मे ही हो गया था, मगर अपने अल्प जीवन काल मे ही उन्होंने कई आंदोलनों का नेतृत्व किया।

जंगलों की कटाई रोकने एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए बिरसा मुंडा ने उठाई आवाज

पहली बार उन्होंने ही जंगलों की कटाई रोकने एवं पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई थी । मगर भारतीय इतिहास मे उनकी चर्चा कम ही मिलती है। कार्यक्रम विवि के कुलपति आचार्य संजय सिंह के संरक्षण मे आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विवि के कुलसचिव प्रो. एस. विक्टर बाबू ने की।

कुलसचिव प्रो. एस. विक्टर बाबू ने अपना अध्यक्षीय उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए कहा कि हमारे इतिहास में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े चुनिंदा जन नायकों की ही व्याख्या मिलती है । आदिवासी और दलित समुदाय से जुड़े नायकों की चर्चा कम मिलती है । जनजातीय गौरव दिवस के माध्यम से बिरसा मुंडा के जीवन से जुड़े तथ्यों को देश के सामने उजागर करने का मौका मिलेगा ।


बिरसा मुंडा ने आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए संघर्ष किया

विवि के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. बी. एस. भदौरिया (Pro. B. S. Bhadauria) ने बताया कि बिरसा मुंडा बहुत ही कम समय मे देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी एक अलग जगह बनाई है । उन्होंने आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए संघर्ष किया । युवाओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए देश और संस्कृति की रक्षा मे अपना योगदान सुनिश्चित करना चाहिए।

प्रो. शिल्पी वर्मा, अध्यक्ष, आजादी का अमृत महोत्सव समिति, ने बताया कि बिरसा मुंडा (Birsa Munda) ने ब्रिटिश दमन के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया। जनजातीय समुदाय और उनकी संस्कृति को औपनिवेशिक ताकतों से बचाने मे उन्होंने विशेष योगदान दिया है। देश के प्रति उनकी सच्ची श्रद्धा को हम नमन करते हैं ।

बिरसा मुंडा की जयंती को गौरव दिवस के रूप में मनाना प्रशंसनीय

आयोजन समिति के सदस्य डॉ. सर्वेश सिंह ने मुख्य अतिथि का परिचय प्रस्तुत किया और साथ ही वर्तमान सरकार द्वारा बिरसा मुंडा की जयंती को गौरव दिवस के रूप मे मनाने की घोषणा पर अपनी प्रशंसा व्यक्त की ।

कार्यक्रम की संयोजक डॉ. राजश्री ने कार्यक्रम का संचालन किया । उन्होंने बिरसा मुंडा के जीवन और देश मे उनके योगदान पर प्रकाश डाला और कार्यक्रम के अंत मे उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विवि के शिक्षक, विद्यार्थी, एनसीसी केडेट्स एवं कर्मचारी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

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