अब UP में भी होगा BJP अध्यक्ष के नाम का ऐलान, क्यों रेस में हैं ये तीन बड़े चेहरे

UP BJP Adhyaksh Name: उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी अध्यक्ष पद को लेकर हलचल तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि जल्द ही यूपी में बीजेपी प्रदेश के नाम की घोषणा हो सकती है। इसके लिए नाम भी तय किए जा चुके हैं।;

Written By :  Sakshi Singh
Update:2025-02-22 13:46 IST

तस्वीर में स्वतंत्र देव सिंह, दिनेश शर्मा और धर्मपाल सिंह हैं

UP BJP Adhyaksh Name: राजस्थान में आज भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा होने की खबर है। अब इसी के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी अध्यक्ष पद को लेकर हलचल तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि जल्द ही यूपी में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो सकती है। इसके लिए नाम भी तय किए जा चुके हैं। हर नाम के पीछे बकायदा पार्टी का प्लान है। आगामी चुनाव के लिए पूरी समीकरण तैयार है। जो चुनाव 2027 का किला को भेदने के लिए तैयार है।

उत्तर प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष को लेकर तीन नाम है उनमें से एक धर्मपाल सिंह जो राज्य में पशुधन मंत्री हैं। दूसरा नाम है स्वतंत्र देव सिंह जो कि पूर्व प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष रह चुके हैं। वर्तमान में सूबे में जल शक्ति मंत्रालय संभाल रहे हैं। ये दोनों नाम ओबीसी समुदाय से हैं। जो तीसरा और बड़ा नाम है वो है यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा का। इन नामों से तो ये तय है कि पार्टी आगामी चुनाव के लिए ब्राह्मण और ओबीसी को साधने की पुरजोर कोशिश में है।

यूपी में OBC की कीमत

कहा जाता है कि देश की राजनीति उत्तर प्रदेश से तय होती है। बता दें कि और यूपी की राजनीति में ओबीसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यूपी में वर्तमान में  36 से 40 प्रतिशत ओबीसी वोटर हैं। रही बीजेपी की तो, मुस्लिम वोट के साथ ही ओबीसी का भी वोट बेहद कम है। इसलिए बीजेपी की नजर अब ओबोसी मतदाताओं पर है। इस लिहाज से धर्मपाल सिंह और स्वतंत्र देव सिंह का नाम पार्टी यूपी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर आगे कर रही है।

BJP का फॉरवर्ड वोटर को लेकर समीकरण

बीजेपी के कोर वोटर्स की बात करें तो माना जाता है कि क्षत्रिय और बनिया ये भाजपा के कोर वोटर्स हैं। लेकिन ब्राह्मणों की पार्टी से जाहिर तौर पर नाराजगी है। यूपी में ब्राह्मण वोटर्स की बता करें तो प्रदेश में 12 प्रतिशत मतदाता ब्राह्मण हैं। प्रदेश में किस पार्टी का राजतिलक होगा ये ब्राह्मण मतदाता तय करते हैं। जो इनकाे साध लिया प्रदेश सत्ता उसी पार्टी की हो जाती है। बीजेपी इस बात से बखूबी परिचित है। वह इन्हें साधने में कोई कसर नहीं छोड़ती है।

ब्राह्मण को साधना इसलिए जरूरी

योगी सरकार 2.0 में बृजेश पाठक, शूर्य प्रताप शाही, ऐके शर्मा, प्रतिभा शुक्ला और योगेन्द्र तिवारी समेत सात ब्राह्मण मंत्री हैं। यूपी में कुल 46 ब्राह्मण विधायक हैं। यही नहीं उत्तर प्रदेश 17 ऐसे संसदीय क्षेत्र हैं जो ब्राह्मण बहुल्य है। जिनमें देवरिया, कुशीनगर, प्रयागराज, बनारास, कन्नौज, कानपुर, बांदा, मेरठ, नोएडा, श्रावस्ती, अंबेडकरनगर, बस्ती, झांसी, लखनऊ, बलिया, सुल्तानपुर और मथुरा शामिल है। हर एक संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र होने का अनुमान लगाएं तो 85 विधानसभा क्षेत्र को ब्राह्मण मतादाओं का प्रभाव है। मोटे तौर पर हम ये आंकड़ा 70 से 80 सीट भी ले सकते हैं। इसलिए दिनेश शर्मा का भी नाम बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के रेस में है।

जाट वोटर्स को इस तरह साधेगी बीजेपी

अभी यूपी में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी हैं। वह पश्चिमी यूपी से खास संबंध रखते हैं। तब पार्टी के पास जाट वोटर्स नहीं थे। जाट वोटरों को लुभाने के लिए बीजेपी ने 2024 आम चुनाव से पहले भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। चूंकि तब जयंत चौधरी से बीजेपी का एलायंस नहीं था। अब बीजेपी जाट वोटरों को गठबंधन के जरिए साधेगी। योगी 2.0 मंत्रिपरिषद में 5 जाट शामिल हैं। यूपी के कुल आबादी के जाट समुदाय 2% हिस्सा है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश की जनसंख्या 20 करोड़ है। इस हिसाब से जाट समुदाय की अबादी 40 लाख के करीब है।

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