पं. दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि, जौनपुर में BJP ने मनाया समर्पण दिवस

जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने पंडित जी बारे में विस्तार से बताते हुये कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक प्रखर विचारक, उत्कृष्ट संगठनकर्ता तथा एक ऐसे नेता थे जिन्होंने जीवनपर्यंन्त अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी व सत्यनिष्ठा को महत्त्व दिया।

Update:2021-02-11 17:57 IST
पं. दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि, जौनपुर में BJP ने मनाया समर्पण दिवस

जौनपुर। भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह के नेतृत्व में आज खरका कालोनी स्थित पार्क में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के मूर्ति पर माल्यार्पण कर के भाजपा जनों ने उनकी पुण्यतिथि को समर्पण दिवस के रूप में मनाया। इस अवसर पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई इस अवसर पर अपने सम्बोधन में राज्यमंत्री गिरीश चन्द्र यादव ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जब भारतीय जनसंघ की स्थापना की तब दीनदयाल उपाध्याय को प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया था। उन्होंने 15 वर्षों तक महासचिव के रूप में जनसंघ की सेवा की और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के देहांत के बाद उन्हें भारतीय जनसंघ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसके साथ ही साथ भारतीय राजनीति के पुरोधा भी थे।

पं. दीनदयाल उपाध्याय एक प्रखर विचारक

जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने पंडित जी बारे में विस्तार से बताते हुये कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक प्रखर विचारक, उत्कृष्ट संगठनकर्ता तथा एक ऐसे नेता थे जिन्होंने जीवनपर्यंन्त अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी व सत्यनिष्ठा को महत्त्व दिया। वे भारतीय जनता पार्टी के लिए वैचारिक मार्गदर्शन और नैतिक प्रेरणा के स्रोत रहे हैं।

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दीनदयाल उपाध्याय की पुस्तक एकात्म मानववाद

पंडित दीनदयाल उपाध्याय मज़हब और संप्रदाय के आधार पर भारतीय संस्कृति का विभाजन करने वालों को देश के विभाजन का ज़िम्मेदार मानते थे। वह हिन्दू राष्ट्रवादी तो थे ही, दीनदयाल की मान्यता थी कि हिन्दू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय संस्कृति हैं। दीनदयाल उपाध्याय की पुस्तक एकात्म मानववाद है जिसमें साम्यवाद और पूंजीवाद, दोनों की समालोचना की गई है। एकात्म मानववाद में मानव जाति की मूलभूत आवश्यकताओं और सृजित क़ानूनों के अनुरुप राजनीतिक कार्रवाई हेतु एक वैकल्पिक सन्दर्भ दिया गया है।

“राष्ट्र धर्म” में थे पत्रकार

प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि वे बहुत अच्छे पत्रकार भी थे। वह लखनऊ में प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका “राष्ट्र धर्म” में एक पत्रकार के रूप में कार्य किया, उन्होंने कई साहित्यिक कृतियां भी लिखी है जैसे सम्राट चंद्रगुप्त, जगतगुरू शंकराचार्य, अखंड भारत क्यों हैं, राष्ट्र जीवन की समस्याएं, राष्ट्र चिंतन और राष्ट्र जीवन की दिशा इत्यादि। उन्होंने आगे कहा कि 11 फ़रवरी 1968 को उनका मृत शरीर मुग़ल सराय रेलवे स्टेशन पर संदिग्ध हालत में पाया गया जो आज भी रहस्य बना हुआ है।उनके नाम पर केंद्र सरकार ने मुगलसराय स्टेशन का नाम पण्डित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन रखा है।

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कार्यक्रम में रहें मौजूद

कार्यक्रम में जिला महामंत्री पीयूष गुप्ता, रामसूरत बिन्द, अशोक मौर्य, जिला उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंघानियां, अमित श्रीवास्तव, किरण श्रीवास्तव, जिला मंत्री राजू दादा, श्याम मोहन अग्रवाल, मीडिया प्रभारी आमोद सिंह, आदि उपस्थित रहें।

रिपोर्ट- कपिल देव मौर्य

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