मध्य प्रदेश में भाजपा को मिला सपा-बसपा का समर्थन, सपा ने उठाया ये बड़ा कदम

मध्य प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा दओ सीटों और कांग्रेसी एक सीट पर चुनाव जीतने में कामयाब रही।

Update: 2020-06-20 05:32 GMT

भोपाल: मध्य प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा दओ सीटों और कांग्रेसी एक सीट पर चुनाव जीतने में कामयाब रही। भाजपा प्रत्याशियों को जिताने में सपा और बसपा विधायकों की भी प्रमुख भूमिका रही। सपा के इकलौते विधायक और बसपा के दो विधायकों ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया। समाजवादी पार्टी ने पार्टी लाइन का उल्लंघन कर भाजपा को वोट देने पर मध्य प्रदेश से अपने इकलौते विधायक राजेश शुक्ला को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। बसपा ने अभी तक अपने दोनों विधायकों के बारे में कोई फैसला नहीं किया है।

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भाजपा ने दो और कांग्रेस में एक सीट जीती

मध्य प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा दो सीटें जीतने में कामयाब रही जबकि कांग्रेस को एक सीट पर विजय मिली है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया अब राज्यसभा की शोभा बढ़ाएंगे। भाजपा के भरत सिंह सोलंकी भी चुनाव जीतने में कामयाब रहे। कांग्रेस की ओर से चुनाव मैदान में उतरे वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को इस चुनाव में कामयाबी मिली है।

शिवराज सरकार का समर्थन

मध्यप्रदेश में सवा साल तक सत्तारूढ़ रहने वाली कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को सपा बसपा ने बाहर से समर्थन दिया हुआ था। कमलनाथ के सत्ता में रहने के दौरान तो सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा है मगर बाद में सियासी उठापटक के बाद मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान की ताजपोशी हो गई। शिवराज सिंह चौहान की ताजपोशी के बाद सपा के विधायक राजेश शुक्ला और बसपा के दोनों विधायक संजीव सिंह कुशवाहा और रामबाई परिहार भाजपा सरकार के समर्थन में आ गए। शिवराज सिंह चौहान निर्दलीय विधायकों का समर्थन जीतने में भी कामयाब रहे।

विश्वासमत के दौरान भी किया था समर्थन

सपा और बसपा के इन तीनों विधायकों ने विश्वासमत के दौरान भी पार्टी के व्हिप की अनदेखी करते हुए भाजपा सरकार का खुलकर समर्थन किया था। इन तीनों ने भाजपा विधायक दल की बैठक में भी हिस्सा लिया था। सपा विधायक राजेश शुक्ला के राज्यसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने पर पार्टी हाईकमान ने कड़ा रुख अपनाया है। राजेश शुक्ला को अनुशासनहीनता के मामले में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।

सपा ने विधायक को किया निष्कासित

सपा और बसपा के इन तीनों विधायकों पर दलबदल कानून का भी कोई असर नहीं पड़ने वाला है। इस कारण इन तीनों विभागों में निश्चिंतता दिख रही है क्योंकि उनका कोई राजनीतिक नुकसान नहीं होने वाला है। जानकारों का कहना है कि इसी कारण तीनों विधायकों ने अपने स्तर पर भाजपा सरकार का समर्थन करने का फैसला ले लिया। सपा ने तो आनन-फानन में फैसला करते हुए अपने विधायक को पार्टी से निष्कासित कर दिया मगर बसपा हाईकमान अभी तक अपने दोनों विधायकों के बारे में कोई फैसला नहीं ले सका है।

क्षेत्र के विकास के लिए किया फैसला

बसपा विधायक दल के नेता संजीव सिंह का कहना है कि उन्होंने और पार्टी की दूसरी विधायक रामबाई ने भाजपा प्रत्याशी को वोट देकर विजई बनाया है। उनका दावा है कि राज्यसभा चुनाव के संबंध में पार्टी हाईकमान की ओर से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं जारी किया गया था। इसलिए हमने अपने क्षेत्र के विकास के कामों को तेज करने के लिए भाजपा सरकार को समर्थन देने का फैसला लिया।

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उपचुनाव में सभी सीटों पर लड़ेगी बसपा

दूसरी ओर मध्य प्रदेश में बसपा प्रभारी अतर सिंह राव का कहना है कि बसपा ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने का फैसला नहीं लिया था। उन्होंने कहा कि इस बाबत कही जा रही बात बातों में कोई दम नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभा की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बसपा अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। सपा के प्रदेश प्रभारी जगदेव यादव का कहना है कि राज्य की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के बारे में कोई भी फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष ही लेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष मिले निर्देशों के अनुसार ही पार्टी की राज्य इकाई हिना उपचुनाव में काम करेगी।

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