BJP Internal Report : भाजपा की आतंरिक रिपोर्ट ने किया यूपी में संगठन व सरकार को आमने-सामने

BJP Internal Report : पीएम मोदी और गृह मंत्री को सौंपी गई इंटरनल रिपोर्ट में पार्टी के खराब प्रदर्शन के कई कारण बताए हैं, जिसमें अधिकारियों और प्रशासन की मनमानी, सरकार के प्रति कार्यकर्ताओं का असंतोष, पिछले 6 साल में सरकारी नौकरियों के लीक हुए पेपर मुख्य वजह हैं।

Written By :  Yogesh Mishra
Update: 2024-07-18 13:45 GMT

BJP Internal Report : उत्तर प्रदेश में भाजपा के तिहत्तर से तैंतीस सांसद तक की यात्रा का ठीकरा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर फूटता नज़र आ रहा है। बीते दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाक़ात के दौरान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने जो लंबी चौड़ी रिपोर्ट सौंपी है, उससे यही खुलासा होता है। ग़ौरतलब है कि इस मुलाक़ात के समय उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी उपस्थित थे। सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात के दौरान भी भूपेन्द्र चौधरी ने रिपोर्ट के बारे में अवगत करा दिया। यह भी जता दिया कि भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं के साथ ही संगठन को भी सरकार की ओर से कोई मदद बिल्कुल नहीं मिली। अफ़सरशाही को मुख्यमंत्री की इतनी शह मिली है कि वे कोई सही बात भी सुनने को तैयार नहीं हैं। प्रशासन ने भाजपा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की।

चौधरी द्वारा पीएम मोदी और गृह मंत्री को सौंपी गई इंटरनल रिपोर्ट में पार्टी के खराब प्रदर्शन के कई कारण बताए हैं, जिसमें अधिकारियों और प्रशासन की मनमानी, सरकार के प्रति कार्यकर्ताओं का असंतोष, पिछले 6 साल में सरकारी नौकरियों के लीक हुए पेपर मुख्य वजह हैं।

- राज्य सरकार में संविदा कर्मियों की भर्ती में सामान्य वर्ग के लोगों को प्राथमिकता मिलने से विपक्ष के आरक्षण खत्म करने जैसे मुद्दे को बल मिला है।

- राजपूतों समाज की पार्टी से नाराजगी।

- संविधान बदलने पर पार्टी नेताओं द्वारा दिए गए बयान।

- जल्दी टिकट वितरण भी एक कारण है।

- 6 और 7वें चरण के मतदान तक कार्यकर्ताओं के जुनून में कमी आना।

- सरकारी अधिकारियों में ओल्ड पेंशन मुद्दा हावी रहा।

- अग्निवीर भी चुनाव का बड़ा मुद्दा बन गया।

- प्रदेश में अधिकारियों और प्रशासन की मनमानी।

- सरकार के प्रति पार्टी कार्यकर्ताओं का असंतोष।

- पिछले 6 साल में लगातार सरकारी नौकरियों के पेपर लीक होना।


रिपोर्ट में इन बातों का भी जिक्र

रिपोर्ट बताती है कि भाजपा के ख़राब प्रदर्शन का कारण केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना तो रही ही। पर इससे ज़्यादा नुक़सान राज्य सरकार की नौकरियों में ख़ाली पदों को न भरने से उठाना पड़ा है। यही नही , पर्चा आउट और इसके बाद भी परीक्षाओं की नई तारीख़ नहीं देने की वजह से भी युवाओं में भाजपा के प्रति आक्रोश पनपा। संगठन व सरकार के बीच तालमेल नहीं होना भी एक बड़ा कारण रहा। पुरानी पेंशन की बहाली न होने के चलते राज्य कर्मचारी नाराज़ रहे। टिकट वितरण को भी असफलता का एक बड़ा कारण बताया गया। पर यह नहीं कहा गया है कि टिकट गलत बाँटे गये बल्कि बचते बचाते सिर्फ़ यह कहा गया है कि जल्दी टिकट वितरण पराजय का एक कारण रहा।

राजपूत नेताओं में नाराजगी

मायावती के वोटों का कांग्रेस सपा गठबंधन की ओर कांग्रेस के चलते शिफ़्ट होना और ओबीसी वोटरों को अखिलेश यादव का पीडीए पसंद आना भी बड़े कारणों के रुप में रिपोर्ट में उजागर किया गया है। मायावती के कमजोर होने को भी महत्वपूर्ण माना गया है। राजपूत नेताओं की नाराज़गी को भी रिपोर्ट में एक बड़ा कारण बताया गया है। ग़ौरतलब है कि गुजरात के एक भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री ने अपनी जाति व जमात की तारीफ़ करते करते राजपूत समाज पर ओछी टिप्पणी कर दी थी, जिसे लेकर राजस्थान व उत्तर प्रदेश में इस समाज के वोटरों में नाराज़गी देखी गई। हद तो यह हुई कि भाजपा के राजपूत समाज के तमाम नेता अलग-अलग इलाक़ों में न केवल इस नाराज़गी को हवा दे रहे थे। बल्कि उन बैठकों की सदारत भी कर रहे थे, जिनमें भाजपा उम्मीदवार को वोट न देने का संकल्प लिया जा रहा था। हैरतअंगेज़ यह है कि इसे रोकने की कोई कोशिश संगठन या सरकार के तरफ़ से नहीं हुई। वह भी तब जब मुख्यमंत्री खुद इसी समाज से हैं। इसी के साथ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बाबा साहब की किताब को बदलने की चर्चा व आरक्षण के मुद्दे का उछलना भी कम महत्वपूर्ण कारण नहीं रहे।

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