लक्ष्मीकांत वाजपेयी: ये रावण का सुसराल है, पब्लिक का माथा घूम गया तो पुलिस को सबक सिखा देगी

मेरठ में कुछ दिनों पहले एक सांड की जहर देकर हत्या करने और एक अन्य को नशे का इंजेक्शन लगाकर बेहोश करने के मामले में अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

Update:2017-02-25 10:58 IST

मेरठ: लालकुर्ती थाना क्षेत्र में कुछ दिनों पहले एक सांड की जहर देकर हत्या करने और एक अन्य को नशे का इंजेक्शन लगाकर बेहोश करने के मामले में अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। इसको लेकर मेरठ शहर के प्रत्याशी और बीजेपी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी इंस्पेक्टर पर जमकर बरसते हुए दिखाई पड़े।

जिन्होंने गोवंश की हत्या करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इंस्पेक्टर साहब मेरठ जिला रावण की ससुराल है। यदि पब्लिक का माथा घूम गया तो वह सड़क पर उतर कर पुलिस को सबक सिखाने से भी पीछे नहीं हटेंगी। जिस पर इंस्पेक्टर ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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क्या है मामला?

-कुछ दिनों पूर्व लालकुर्ती क्षेत्र में एक सांड की जहर देकर हत्या कर दी गई थी।

-इसके बाद एक युवक ने दो युवकों को राजकीय इंटर कॉलेज के अंदर सांड को नशे का इंजेक्शन लगाते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया था।

-उसमें एक युवक मौके से फरार हो गया था, जबकि दूसरे को पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया था।

क्या बोले विधायक

-लक्ष्मीकांत वाजपेयी अपने समर्थकों के साथ लालकुर्ती थाने पहुंचे।

-जहां उन्होंने इंस्पेक्टर का घेराव करते हुए आरोप लगाया कि पुलिस गोवंश की हत्या करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती।

-जिनके खिलाफ कार्रवाई होती है, उन्हें सेटिंग के बाद थाने से छोड़ दिया जाता है।

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एक आरोपी ने कोर्ट से ली जमानत

जीआईसी में सांड को इंजेक्शन देकर बेहोश करने वाले युवकों पर कार्रवाई के विषय में विधायक ने जब सवाल उठाया तो इंस्पेक्टर ने बताया कि सदर निवासी रूपचंद ने गुरुवार को कोर्ट में पेश होकर जमानत ले ली थी। जबकि दूसरा अभी फरार है।

इंस्पेक्टर के बीच घंटों चली नोकझोंक

विधायक ने इसे पुलिस की लचर कार्यशैली बताते हुए आरोप लगाया कि पुलिस जानबूझकर ऐसी धाराओं में केस कायम करती है। इससे आरोपी को कोर्ट से तत्काल जमानत मिल जाती है। इस पर इंस्पेक्टर ने कहा कि ऐसा नहीं है, बल्कि होता यह है कि गोवंश पकड़ने वाले किसी के खिलाफ तहरीर नहीं देते। बाद में पुलिस को ही अपनी ओर से आरोपियों के खिलाफ केस कायम करना पड़ता है। जीआईसी प्रकरण में भी यहीं हुआ।

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