UP News: गिरफ्तारी से पहले कारण बताना जरूरी... इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जरूरी फैसला लिया है। अब गिरफ्तारी से पहले कारण बताना अनिवार्य है।;

Update:2025-04-12 15:26 IST

UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है, जिसे सभी नागरिकों को जानना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को बिना कारण और आधार बताए अगर गिरफ्तार किया जाता है तो वह असंवैधानिक है। इसे लेकर कोर्ट ने यूपी DGP को निर्देश दिया है कि वह एक सर्कुलर जारी करके सभी जिला के पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तारी के समय वैधानिक प्रावधानों का सख्ती से पालने करने के लिए निर्देशित करें।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्यों सुनाया आदेश?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर के मंजीत सिंह उर्फ इंदर की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। जस्टिस एमसी त्रिपाठी और प्रशांत कुमार की डिविजन बेंच ने यह आदेश दिया है।

याची के वकील का कहना था कि पुलिस ने मंजीत सिंह को गिरफ्तारी का कारण और आधार बताए बिना ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया और पहले से तैयार प्रोफार्मा पर गिरफ्तारी मेमो दे दिया, जिसमें जरूरी बातें नहीं लिखी गई। वकील ने आगे यह भी बताया कि गिरफ्तारी प्रक्रिया में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22(1) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 50, (अब भारतीय न्याय संहिता, BNS की धारा 47) का उल्लंघन हुआ है। इतना ही नहीं, जब याची को मजिस्ट्रेस के सामने पेश किया गया तब उन्हें अपनी बात रखने का भी मौका नहीं दिया गया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या कहा?

याची के वकील की तरफ से दी गई दलीले सुनने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि गिरफ्तारी मेमो में गिरफ्तारी को लेकर कोई स्पष्ट कारण और आधार नहीं बताया गया, जो कानून का उल्लंघन है। कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि किसी भी व्यक्ति को विविध सहायता लेने का पूरा अधिकार है। इस आधार पर कोर्ट ने मंजीत सिंह की याचिका स्वीकार करते हुए 26 दिसंबर 2024 को पारित गिरफ्तारी आदेश को रद्द कर दिया और राज्य पुलिस प्रमुख को आदेश दिया कि वह एक सर्कुलर जारी करें, जिसमें गिरफ्तारी की प्रक्रिया में कानून का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हो।  

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