भाजपा विधायकों की दबंगई से उत्तर प्रदेश सरकार की फजीहत

Update:2018-11-30 15:11 IST

पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर: अनुशासन, निष्ठा और पार्टी विद डिफरेंस जैसे शब्दों और सूत्र वाक्यों की दुहाई देने वाली भाजपा के विधायक सत्ता पर काबिज होने के महज डेढ़ साल के अंदर ही दंबगई की इंतहा पार करते दिख रहे हैं। कोई विधायक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नहीं बनाए जाने पर सरेआम उत्पात करता दिख रहा है तो कोई मुख्यमंत्री की नाक के नीचे सरकारी पोखरे पर कब्जा करते हुए पकड़ा जा रहा है। गोरखपुर-बस्ती मंडल के इन माननीयों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आशीर्वाद और सरंक्षण में चुनाव जीता है।

गोरखपुर में सर्वाधिक विवादों में हैं पिपराइच से भाजपा विधायक महेन्द्र पाल सिंह। उन्हें योगी आदित्यनाथ के आशीर्वाद से टिकट मिला और पहले ही झटके में चुनाव भी जीत गए। महेन्द्र पाल बीते दिनों तब विवाद में आए जब गुलरिहा थाने में जमीन विवाद की पैरवी करने के दौरान थानाध्यक्ष से बातचीत का वीडियो वायरल हो गया। थानाध्यक्ष से सेटिंग-गेटिंग का प्रयास विफल हुआ तो विधायक इस्तीफे की पेशकश करने लगे। दुखड़ा रोते हुए बोले, जब विधायक की सुनवाई नहीं होगी तो हम क्या करेंगे। इससे तो बेहतर है कि हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस्तीफा दे दें। वीडियो वायरल होने के बाद विधायक बैकफुट पर आ गए। योगी से फजीहत झेलनी पड़ी वह अलग से।

पिछले दिनों विधायक महेन्द्र पाल सिंह शहर में पोखरे पर कब्जा करने को लेकर विवादों में फंस गये। शिकायत भाजपा के पार्षद गिरजेश पाल, राजेश तिवारी और संगठन में कार्य कर रहे मुकेश कुमार सिंह ने की थी। विवादों में फंसने के बाद विधायक ने मीडिया के सामने खुद को फंसाने का आरोप लगाते हुए डीएम से निष्पक्ष जांच की मांग की। बोले, पोखरे की पैमाइश करा ली जाए, दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। विधायक की मांग पर अपर नगर मजिस्ट्रेट ने तथ्यों की पड़ताल की तो अधिकारी ने महेन्द्र पाल सिंह को पोखरे पर कब्जे का दोषी बता दिया। रिपोर्ट में अधिकारी ने स्पष्ट लिखा है कि पोखरे की जमीन पर विधायक महेन्द्र पाल सिंह, सुबीर, सुमित और सब्रतो द्वारा कब्जे का प्रयास किया जा रहा है। रिपोर्ट में अवैध कब्जा तत्काल हटाने की बात कही गई है। योगी के करीबी और लगातार साफ सुथरी छवि के साथ विधायकी का चुनाव जीत रहे डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल का वीडियो महिला आईपीएस अधिकारी चारू निगम को धमकाते हुए वायरल हो चुका है। नेशलल मीडिया में हुई फजीहत और शीर्ष नेतृत्व के संदेश के बाद विधायक फिलहाल नरम हो गए हैं।

मुख्य अतिथि न बनाने पर गुंडागर्दी

कुशीनगर में दो विधायकों से जुड़ा ताजा विवाद चौंकाने वाला है। साथ ही विधायकों की दबंगई की गवाही भी देता है। दरअसल, कुशीनगर में निजी चीनी मिल के पेराई सत्र के शुभारंभ को लेकर आयोजित कार्यक्रम में प्रबंधन ने डीएम और एसपी को आमंत्रित किया। अफसरों को मुख्य अतिथि बनाया गया, लेकिन विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी और पवन केडिया का नाम निमंत्रण पत्र पर नहीं प्रकाशित किया गया। हालांकि प्रबंधन ने दोनों विधायकों को मौखिक निमंत्रण दिया था। शुभारंभ के मौके पर डीएम के नहीं आने के बाद एसपी ने पेराई सत्र का शुभारंभ किया। इस सूचना के बाद समर्थकों के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे विधायक रजनीकांत और पवन केडिया ने समर्थकों के साथ जमकर उत्पात मचाया।

समर्थकों ने न सिर्फ प्रबंधन से जुड़े लोगों के साथ मारपीट की बल्कि खाने के प्लेट इधर-उधर फेंक दिए। इसके बाद मिल के उप महाप्रबंधक सुधीर कुमार सिंह ने हाटा कोतवाली पुलिस को भाजपा के विधायकों रजनीकांत मणि त्रिपाठी व पवन केडिया, हाटा नगरपालिका के चेयरमैन मोहन वर्मा, पूर्व चेयरमैन नंदकिशोर उर्फ पप्पू नाथानी, रंजीत सिंह, ज्ञान विक्रम सिंह समेत सैकड़ों अज्ञात के खिलाफ तहरीर दिया। इतना ही नहीं प्रबंधन ने मिल पर तालाबंदी करने का भी ऐलान कर दिया। हालांकि सत्ता का दबाव पड़ा तो चंद घंटों बाद ही दूसरी तरहीर दी गई, जिसमें दोनों विधायकों का नाम निकाल दिया गया। पुलिस ने मामले में नपा अध्यक्ष समेत सात के खिलाफ नामजद और बीस अज्ञात पर मुकदमा दर्ज किया है। विधायक समर्थकों की हरकत से क्षुब्ध प्रबंधन ने पेराई बंद कर मामले की शिकायत सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से की थी।

सीएम विधायकों को पढ़ाएं अनुशासन का पाठ: कांग्रेस

कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार उर्फ लल्लू कहते हैं कि भाजपा विधायक खुद को अनुशासित, अपराध मुक्त समाज की चिंता करने वाला बताते हैं, लेकिन उनकी कारगुजारियों को जनता देख रही है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पुलिस को अपने ही विधायकों पर मुकदमा दर्ज कराना पड़ रहा है। बिना किसी जनाधार के लहर में जीते विधायकों को मालूम ही नहीं है कि उनके क्या अधिकार हैं। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण यह है कि गोरखपुर-बस्ती मंडल के जो भी विधायक विवादों में फंस रहे हैं वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरपरस्ती में जीते हैं। मुख्यमंत्री को अपने बिगड़ैल विधायकों की अनुशासन को लेकर क्लास लेनी चाहिए।

गेहूं की फसल कटवा ले गए विधायक समर्थक

महराजगंज की नौतनवा सीट से निर्दल जीते पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी के बेटे अमन मणि त्रिपाठी दबंगई को लेकर किसी परिचय के मोहताज नहीं है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों और गोरखनाथ मंदिर में उनकी मौजूदगी को लेकर चर्चाएं होती रहीं है। राज्यसभा के चुनाव में अमन द्वारा भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने के बाद यह साफ हो गया था कि उनका भाजपा को समर्थन है। पत्नी की हत्या के मामले में सीबीआई जांच में फंसे अमन मणि त्रिपाठी पर नगर पंचायत चुनाव के दौरान भाजपा के ही नेता जगदीश गुप्ता ने मुकदमा दर्ज कराया था। भोजपुरी गायक दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के कार्यक्रम को लेकर उठे विवाद के बाद जगदीश गुप्ता ने विधायक अमनमणि त्रिपाठी, गायक निरहुआ, पूर्व चेयरमैन गुड्डडू खान और उनके समर्थकों पर मुकदमा दर्ज कराया था। महराजगंज के ही पनियरा से विधायक और पूर्व मंत्री ज्ञानेन्द्र सिंह के समर्थकों पर परतावल के ब्लाक प्रमुख की करीब चार एकड़ खेत से जबरन गेहूं की फसल कटवा लेने का आरोप लगा था। ब्लाक प्रमुख ने विधायक के पुत्र निर्भय सिंह समेत उनके समर्थकों के खिलाफ डीएम से लेकर कमिश्नर तक से शिकायत की, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला।

विधायक की नसीहत, स्टे देने से पहले मुझसे पूछिये

बीते दिनों बस्ती में हरैया से बीजेपी विधायक अजय सिंह द्वारा प्रधानपति को धमकाने का वीडियो वायरल हुआ था जिसके बाद छावनी पुलिस ने विधायक के खिलाफ धमकाने का मुकदमा दर्ज किया था। बाद में विधायक की तहरीर पर प्रधानपति के खिलाफ भी बाउंड्रीवाल गिराने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। विधायक की दबंगई के बाद वकीलों के साथ भी उनकी तनातनी हुई थी। हरैया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष महावीर प्रसाद का आरोप है कि विधायक अजय सिंह ने अधिकारियों को बुलाकर वकीलों के खिलाफ बयानबाजी की। आरोप है कि विधायक ने अधिकारियों से कहा कि आप लोग जिन मुकदमों का फैसला करते हो, बाद में स्टे ऑर्डर दे देते हो। किसी भी मुकदमे में स्टे लेने से पहले मुझसे पूछ लिया करिए। यदि कोई वकील विरोध करता है तो मेरी बात करा दीजिए। बस्ती मंडल का सिद्धार्थनगर जिला भी भाजपा और समर्थक दलों के विधायकों में मनबढ़ई से अछूता नहीं है। अपना दल के विधायक चौधरी अमर सिंह पर सरकारी डॉक्टर के साथ अभद्रता व मारपीट करने का आरोप लगा था। एक शव का पोस्टमार्टम कराने को लेकर लेकर चिकित्सक व विधायक में तकरार हो गई थी जिसके बाद डाक्टरों ने इमरजेंसी सेवा ठप कर दी थी। इटवा विधायक राघवेन्द्र सिंह के भाई का भी एक आडियो क्लिप वायरल हो चुका है जिसमें वह खुद को मुख्यमंत्री का करीबी बताते हुए अपने विरोधी को धमकाते सुने जा सकते हैं।

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