UP 2020: BJP की दिखी ताकत, SP हुई आक्रामक, तो AIMIM-AAP ने मारी एंट्री

कोरोना काल में जहां हर तरफ सन्नाटा छाया हुआ था, तो वहीं इस समय का फायदा उठाते हुए बीजेपी ने ‘सेवा ही संगठन’ के नए नारे का ऐलान करते हुए विपक्षियों को अपने दबदबे का अहसास दिया है।

Update: 2020-12-31 14:37 GMT

लखनऊ: एक तरफ जहां कोरोना का काला साल 2020 अपने अंतिम पड़ाव पर है तो वहीं लंबे समय से रूकी हुई राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर से हलचल तेज हुई है। देश की अर्थव्यवस्था से लेकर राजनीतिक तक सभी क्षेत्रों को फिर से पटरी पर सुचारू रूप से लाने की कोशिश की जा रही है। अगर बात राजनीतिक की करें, तो देर से ही सही, शिक्षक व स्नातक क्षेत्र से विधान परिषद की 11 सीटों पर चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुए। तो वहीं 7 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव और राज्यसभा चुनाव भी सफल रहा। हालांकि साल के अंत में तीन कृषि कानून को लेकर पर किसान दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे है, जिसे लेकर देश की राजनीति गरमाई हुई है।

वर्तमान में ऐसा है राजनीतिक पार्टियों का हाल

जैसे कि बात हो रही है राजनीति की, तो बता दें कि वर्तमान समय में सभी राजनेता अपने-अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ किसान आंदोलन का मामला अपनी रोटी सेंकते नजर आ रहे है। एक तरफ उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी किसानों के समर्थन में गांवों में चौपाल लगा रही हैं तो वहीं कांग्रेस साल के अंत में अपनी डूबती नाव को बचाने में जुटी हुई है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM मौके का फायदा उठाते हुए प्रदेश में एंट्री मार दी है।

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बीजेपी ने ‘सेवा ही संगठन’ के जरिए दिखाई अपनी ताकत

कोरोना काल में जहां हर तरफ सन्नाटा छाया हुआ था, तो वहीं इस समय का फायदा उठाते हुए बीजेपी ने ‘सेवा ही संगठन’ के नए नारे का ऐलान करते हुए विपक्षियों को अपने दबदबे का अहसास दिया है। इस महामारी में बीजेपी ने लोगों का मसीहा बनते हुए लोगों से लगातार डिजिटल संवाद व संपर्क किया। वहीं पिछले माह में राज्यसभा की 10 सीटों के चुनाव जीतकर बीजेपी ने अपने बढ़ते ताकत का प्रदर्शन किया है। बीजेपी के इस बढ़ते ताकत से नए सियासी की उम्मीद जताई जा रही है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह समेत भाजपा के 8 नेता राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुन लिए गए।

साल के अंत में आक्रामक हुई सपा

बीजेपी के बाद अगर बात करें प्रदेश के समाजवादी पार्टी की, साल के अंत में सपा आक्रामक होते दिखी। सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नए कृषि बिलों के विरोध और किसान आंदोलन के समर्थन में इस साल के अंत तक अपने आक्रामक तेवर दिखाते नजर आए। 8 दिसंबर को उन्होंने किसान यात्रा में शामिल होने के लिए कन्नौज जाने का एलान किया था। तो वहीं, पुलिस ने विक्रमादित्य मार्ग पर उनके आवास से सपा मुख्यालय तक बैरिकेडिंग करके जबरदस्त घेराबंदी की। जानकारी के मुताबिक, उन्हें पहले बाहर निकलने रोका गया। लाख पाबंदियों के बावजूद वह बंदरिया बाग चौराहे तक पहुंचे गए। पुलिस ने उन्हें वहां रोका तो उन्होंने सड़क पर बैठकर धरना दिया। उनके खिलाफ महामारी एक्ट में केस दर्ज किया है।

इस साल मायावती ने दिया नए राजनीति संकेत

इसके अलावा बसपा के बारे में बात करें, तो बसपा उम्मीदवार गौतम के चार प्रस्तावकों ने नामांकन पत्र पर अपने हस्ताक्षर होने से इन्कार किया था। इसके बावजूद उनका नामांकन सही ठहराया गया। बसपा के कुछ विधायकों की बगावत के बाद मायावती ने यह कहकर नई राजनीति का संकेत दिया कि विधान परिषद चुनाव में सपा को हराने के लिए वह भाजपा का समर्थन कर सकती है। हालांकि बाद में उन्होंने सफाई दी कि उनके बयान को गलत ढंग से लिया गया है।

पार्टी को बचाने के लिए सड़क पर उतरी कांग्रेस

प्रदेश के तमाम विपक्षियों के बाद अगर बात हो कांग्रेस की, तो कांग्रेस अपने पार्टी को बचाने के लिए सड़कों पर संघर्ष करते हुए दिखी। इस साल कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपनी डूबती नाव को बचाने के लिए नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मुजफ्फरनगर से आजमगढ़ तक सड़कों पर नजर आईं। तो वहीं प्रियंका गांधी और राहुल गांधी हाथरस की बेटी को न्याय देने के लिए सड़कों पर लड़ते दिखे।

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यूपी में सियासी जमीन तलाश रही है AIMIM

प्रदेश के विपक्षी पार्टी के अलावा मौका देखते हुए अब दूसरे राज्य की पार्टियों ने यूपी में सियासी जमीन तलाशने में जुटी हुई है। बिहार चुनाव में 5 सीटें जीत हासिल करने वाली AIMIM पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में छोटे दलों के साथ मिलकर लड़ने का एलान किया है। यूपी में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए साल के अंत होने से पहले वह लखनऊ आ धमके और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात की। यूपी में सियासी जमीन पर पैर जमाने के लिए जल्द ही उनकी मुलाकात प्रसपा के मुखिया शिवपाल सिंह यादव व अन्य दलों के नेताओं से हो सकती है।

AAP ने भी यूपी में दिखाई सक्रियता

AIMIM के अलावा आम आदमी पार्टी (आप) ने भी एकाएक यूपी में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। प्रदेश प्रभारी प्रदेश संजय सिंह ने पल्स ऑक्सीमीटर व इंफ्रारेड थर्मामीटर खरीद घोटाला, हाथरस कांड, गन्ना किसानों के बकाया भुगतान, शिक्षक भर्ती में पिछड़ों का आरक्षण समेत कई मुद्दे उठाकर आप को चर्चा में बनाए रखा। तो वहीं दूसरी ओर साल के अंत में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बाकायदा यूपी में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।

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