Mathura News: मुड़िया पूर्णिमा मेला पर कोरोना का असर, डीएम ने दिया निरस्त करने का आदेश

Mathura News: जिले के डीएम द्वारा कोरोना संक्रमण के चलते गोवर्धन का विश्व प्रसिद्ध मुड़िया पूर्णिया मेला निरस्त कर दिया गया है।

Newstrack :  Network
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2021-07-09 07:13 IST

मथुरा का मुड़िया पूर्णिमा मेला इस बार निरस्त: फोटो- सोशल मीडिया

Mathura News: मथुरा जिले के गोवर्धन में प्रतिवर्ष पांच दिवसीय राजकीय मुड़िया पूर्णिमा मेला का आयोजन आषाढ़ पूर्णिमा पर होता है। इस बार यह मेला 20 से 24 जुलाई तक लगना था। कोरोना संक्रमण के चलते गोवर्धन का विश्व प्रसिद्ध मुड़िया पूर्णिया मेला निरस्त कर दिया गया है। जिलाधिकारी नवनीत सिंह ने देर रात आदेश जारी कर दिए। गोवर्धन पर्वत को भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात स्वरूप मानकर भक्त गिरिराजजी नाम से बुलाते हैं।

बता दें कि डीएम द्वारा गठित टीम की रिपोर्ट पर यह फैसला लिया गया। डीएम ने बताया कि राजकीय मुड़िया पूर्णिमा मेला गोवर्धन में आषाढ़ माह की एकादशी पर लगता है। जिसमें देश विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस बार यह यह मेला 20 से 24 जुलाई तक लगना था।

महामारी अधिनियम के प्रावधान वर्तमान समय में लागू

कोरोना महामारी अधिनियम के प्रावधान वर्तमान समय में लागू हैं। मेला लगे या नहीं, इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक गोवर्धन, सीओ गोवर्धन, एसडीएम गोवर्धन व एडीएम प्रशासन की संयुक्त समिति गठित की गई थी।  समिति ने दानघाटी, मानसी गंगा, मुखारबिंद व जतीपुरा के सेवायतों, संत-धर्माचायों  से वार्ता की गई।  सभी ने मेला निरस्त किए जाने का अनुरोध किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी।

एक स्थान पर 50 लोगों से अधिक लोग एकत्र नहीं हो सकते- डीएम

डीएम ने बताया कि चूंकि इस समय प्रदेश सरकार की कोरोना गाइड लाइन के हिसाब से ही बाजार व अन्य जगह खोली गई हैं, जिनमें एक स्थान पर 50 लोगों से अधिक लोग एकत्र नहीं हो सकते। ऐसे में लाखों लोगों से गाइड लाइन का पालन करना संभव नहीं है। इसलिए मुड़िया पूर्णिमा मेला को लोक स्वास्थ्य व जनहित में निरस्त किया जाता है।


463 वर्ष पुरानी परंपरा है ये: फोटो- सोशल मीडिया  


 क्यों मनाया जाता है मुड़िया पूर्णिमा मेला

बता दें कि 463 वर्ष पुरानी परंपरा है ये, आगामी 24 जुलाई आषाढ़ पूर्णिमा यानी मुड़िया पूर्णिमा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सनातन गोस्वामी का आविर्भाव वर्ष 1488 में पश्चिम बंगाल के रामकेली गांव, जिला मालदा के भारद्वाज गोत्रीय यजुर्वेदीय कर्णाट विप्र परिवार में हुआ था। वे पश्चिम बंगाल के राजा हुसैन शाह के यहां मंत्री थे। चैतन्य महाप्रभु की भक्ति से प्रभावित होकर सनातन गोस्वामी उनसे मिलने बनारस आ गए और उनकी प्रेरणा से ब्रजवास कर भगवान कृष्ण की भक्ति करने लगे।

मुड़िया संतों के अनुसार 1558 में सनातन गोस्वामी के गोलोक गमन हो जाने के बाद गौड़ीय संत एवं ब्रजजनों ने सिर मुंडवा कर उनके पार्थिव शरीर के साथ सात कोसीय गिरिराज परिक्रमा लगाई। तभी से गुरु पूर्णिमा को मुड़िया पूर्णिमा के नाम से जाना जाने लगा। आज भी सनातन गोस्वामी के तिरोभाव महोत्सव पर गौड़ीय संत एवं भक्त सिर मुड़वा कर मानसी गंगा की परिक्रमा कर परंपरा का निर्वहन करते हैं।

इस वर्ष 463वां मुड़िया महोत्सव मनाया जाएगा

24 जुलाई को सनातन  गोस्वामी के अनुयाई संत श्रीराधा श्याम सुंदर मंदिर चकलेश्वर गोवर्धन से 463वीं बार मुड़िया शोभा यात्रा भजन संकीर्तन के साथ निकालेंगे। मुड़िया पूर्णिमा के दिन 21 किमी परिक्रमा मार्ग में पांच दिनों तक अटूट मानव श्रृंखला मिनी विश्व का नजारा पेश करती आई है। लेकिन इस बार कोरोना के कारण मेला नहीं लगेगा। इस वर्ष 463वां मुड़िया महोत्सव मनाया जाएगा।

अनुयायी मुड़िया संत रामकिशन दास ने बताया कि इस बार कोरोना के चलते प्रमुख संत मंदिर में एकत्र होकर सिर मुड़वाएंगे, उसके बाद मानसी गंगा में स्नान कर सनातन गोस्वामी के चित्र के साथ हरिनाम संकीर्तन करते हुए मानसीगंगा की परिक्रमा लगाएंगे।

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