Jhansi News: ब्रिटिश काल के समय के पुल आज भी झाँसी मंडल में मौजूद, मजबूती पर अब खड़े हो रहे सवाल
Jhansi News: झाँसी रेल में कई पुल हैं जो 100 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। इन पुल की समय-समय पर मरम्मत और रखरखाव भी किया जाता है ताकि इसकी मजबूती बनी रहे।
Jhansi News: गुजरात के मोरबी जिले में हुई भयावह घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया था। मोरबी जिले में पुल के ढहने के बाद पुराने पुलों की मजबूती पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। भविष्य में फिर से ऐसी दुर्घटनाएं न हो इसके लिए झाँसी रेल मंडल में मौजूद 100 साल से अधिक पुराने पुलों की स्थिति की जांच करना काफी जरुरी है। मोरबी में मच्छू नदी पर जो पुल ढहा वो ब्रिटिश काल के समय से बना हुआ था। ये पुल झुलता पुल के नाम से काफी ज्यादा प्रसिद्ध था। नदी का नजारा देखने के लिए पुल पर चढ़ने के लिए लोगों से शुल्क लिया जाता था।
झाँसी रेल में कई पुल हैं जो 100 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। इन पुल की समय-समय पर मरम्मत और रखरखाव भी किया जाता है ताकि इसकी मजबूती बनी रहे। झाँसी रेल मंडल में 19 महत्वपूर्ण प्रमुख पुल है। यह पुल चंबल, यमुना, बेतवा केन, धसान नदी, सिंधू नदी आदि स्थानों पर है। बताते चले कि यमुना पुल का निर्माण 1866 में हुआ था। पहले इस पुल को सिंगल लाइन ब्रिज बनाया गया था लेकिन 1934 में इसे डबल लाइन ब्रिज तक बढ़ा दिया गया था। झाँसी रेल मंडल में प्रमुख पुल 19, मेजर ब्रिज 174 और माइनर ब्रिज 2171 है।
झाँसी रेल मंडल में 2364 पुल
रेल मंडल में छोटे-बड़े पुलों की संख्या 2364 है। इनमें 750 पुल सौ साल पुराने हो चुके हैं। इनमें बीना-आगरा कैंट रेल लाइन पर 309 पुल, झाँसी-कानपुर रेल लाइन पर सात पुल, झाँसी-मानिकपुर रेल लाइन पर 303, एट-कोट रेल लाइन पर नौ, धौलपुर छोटी लाइन पर 46 व ग्वालियर-श्योपुर कला छोटी लाइन पर 117 पुल शामिल है। खासकर इसमें माताटील पर बेतवा नदी का बना पुल, चंबल नदी पर बने दो पुल, कानपुर रुट पर यमुना नदी पर बने दो पुल, पहूंज नगी पर बना पुल, बिजौली में बना पुल शामिल हैं। आमतौर पर एक पुल की अधिकतम आयु सौ साल मानी जाती है। एेसे में अपनी उम्र पूरी कर चुके इन पुलों के दौबारा निर्माण की जरुरत महसूस की जाने लगी है। इस ओर रेलवे अफसरों को ध्यान देना चाहिए।
क्या पुलों की निर्धारित आयु
रेलवे बोर्ड द्वारा गठित समिति के अनुसार स्टील वर्क्स के ब्रिज की उम्र 60 साल, मेसोनरी ब्रिज की 100, स्ट्रक्चर स्टील ब्रिज की 60 साल, मेसोनरी एंड सीमेंट कंक्रीट ब्रिज की 65 साल, आरसीसी ब्रिज की 60 साल एवं कंक्रीट ब्रिज की औसत उम्र 40 साल तय की गई है।
रेलवे बुलट ट्रेन चलाने की तैयारी में
रेलवे बुलट ट्रेन चलाने की तैयारी कर रहा है जबकि रेल लाइन पर बने पुल काफी पुराने हो चुके हैं। वर्तमान में सेमी हाईस्पीड ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस व शताब्दी एक्सप्रेस भी इन बूढ़े पुलों से ही गुजर रही हैं। यही ट्रेनों की लेटलतीफी का बड़ा कारण भी है। सूत्रों की मानें तो ऐसे पुलों से जब ट्रेन गुजरती है तो रफ्तार कम कर दी जाती है। उदाहरण के लिए यदि सामान्य ट्रैक पर ट्रेन 90 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है तो इन पुलों से गुजरते समय रफ्तार आधी रह जाती है। यदि पुल की स्थिति खराब है तो कॉशन लेकर ट्रेन निकाली जाती है। इससे ट्रेनों की टाइमिंग 3 से 5 मिनट तक प्रभावित होती है।
ओवर ओल रेटिंग नंबर के आधार पर किया जाता है पुल का निरीक्षण
झाँसी रेल मंडल के पीआरओ मनोज कुमार सिंह ने बताया है कि रेलवे पुलों के निरीक्षण के लिए एक व्यवस्थित प्रक्रिया है। रेलवे साल में दो बार पुल का निरीक्षण करता है। पहला मानसून से पहले और दूसरा मानसून मौसम के बाद। जब पुलों का निरीक्षण हो जाता है तब हर पुल को एक समग्र रेटिंग संख्या यानि की ओवर ओल रेटिंग नंबर के आधार पर बांटा जाता है। इन नंबरों के आधार पर ही पुल का पुननिर्माण किया जाता है।