UP Congress: बृजलाल खाबरी बने कांग्रेस के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष, 6 प्रांतीय अध्यक्षों के नाम का भी एलान

UP Congress: जालौन से पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी को उत्तर प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया गया है। खाबरी को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने दलित समाज को साधने का एक बार फिर प्रयास किया है।

Update: 2022-10-01 09:30 GMT

Brijlal Khabri Uttar Pradesh Congress New President (Social Media)

UP Congress: जालौन-गरौठा से सांसद रहे बृजलाल खाबरी को उत्तर प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया गया है। खाबरी को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने दलित समाज को संदेश देने का प्रयास किया है। खाबरी ने इससे पहले राज्यसभा सदस्य के रूप में जिम्मेदारी निभाई है। वह पहले बसपा में थे। वर्तमान में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव है। यूपी कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष के साथ 6 प्रांतीय अध्यक्ष भी घोषित किए हैं. इनमें नसीमुद्दीन सिद्दीकी, अजय राय, नकुल दुबे, वीरेंद्र चौधरी, योगेश दीक्षित, अनिल यादव का नाम शामिल है। कांग्रेस की नई टीम के संबंध मे पार्टी महासचिव ने पत्र जारी किया है। जैसा कि लंबे अरसे से कयास लगाए जा रहे थे कि नया प्रदेश अध्यक्ष दलित ब्राह्मण हो सकता है प्रमोद तिवारी के राज्य सभा सांसद बनने के बाद लगभग तय था कि कोई दलित चेहरा ही प्रदेश अध्यक्ष बनेगा और अब उनके नाम का ऐलान हो गया है।

पूर्व सांसद ब्रजलाल खबरी को जिम्मेदारी

सोनिया गांधी ने जालौन के पूर्व सांसद ब्रजलाल खबरी को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. 61 वर्षीय खबरी के कंधों पर अब उत्तर प्रदेश की कमान है और वह कांग्रेस में जान फूंकने के लिए कार्य करेंगे वही जिनसे प्रांतीय अध्यक्षों के नामों की घोषणा की गई है उनमें पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, पूर्व विधायक अजय राय, वीरेंद्र चौधरी, नकुल दुबे, अनिल यादव (इटावा) और योगेश दीक्षित को जिम्मेदारी दी है। हालांकि बीते दिनों से ही कांग्रेस द्वारा राज्य में प्रदेश अध्यक्ष के साथ छह प्रांतीय अध्यक्ष नियुक्त करने की अटकलें चल रही थीं। जिसके बाद अब शनिवार को नामों का एलान हो गया है। नये प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी समेत 6 नवनियुक्त प्रांतीय अध्यक्षों में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व नकुल दुबे तीनों नेता बहुजन समाज पार्टी के बैकग्राउंड से निकलकर कांग्रेस की राजनीति में शामिल हुए हैं।

जातीय समीकरण बिठाने की कोशिश

सोनिया गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव से उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है. यूपी के प्रदेश अध्यक्ष और प्रांतीय अध्यक्ष के नामों को देखकर यह कहा जा सकता है कि उन्होंने पूरी तरह से समीकरण बिठाये बिठाये हैं. ब्रजलाल खबरी जहां दलितों का प्रतिनिधित्व करते हैं तो नसीमुद्दीन सिद्दीकी अल्पसंख्यक, जबकि नकुल दुबे और योगेश दीक्षित ब्राम्हण, अजय राय के जरिये भूमिहारों को साधने की कोशिश हुई है. इसके साथ ही अनिल यादव और वीरेंद्र चौधरी के जरिए ओबीसी ओबीसी की अन्य जातियों पर कांग्रेस की नजर है।  गौरतलब है कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बुरी पराजय के बाद कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने त्यागपत्र दे दिया था। उन्होंने कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी को इस्तीफा भेजा था। जिसके बाद से यह कुर्सी खाली चल रही थी और शनिवार एक अक्टूबर को नए प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर एक दलित चेहरे कमान सौंपकर दलितों में एक बड़ा संदेश देने की कोशिश हुई है।



कौन हैं कांग्रेस के नए अध्यक्ष बृजलाल खाबरी?

बुंदेलखंड के जालौन ज़िले में एक तहसील है-कोंच। कोंच के एक छोटे से खाबरी नाम के गाँव के रहने वाले हैं बृजलाल। बृजलाल से बृजलाल खाबरी बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। बात 1977 की है। खाबरी गाँव में दलित समाज के ऊपर आए दिन अत्याचार होता था। एक दिन एक दलित बृजलाल के पिता के पास आकार रोने लगा। तब 9 वीं क्लास में पढ़ने वाले बृजलाल ने ग़ुस्से में तमतमाए हुए उस दलित पीड़ित के साथ थाने पर पहुँच गये। दरोग़ा से दमदारी के साथ बात किए और दलितों के साथ मारपीट करने वालों पर मुक़दमा दर्ज करवा दिया। यहीं से बृजलाल से बृजलाल खाबरी बन गये। रोज़ाना थाने- कचहरी में बृजलाल खाबरी लड़ते- भिड़ते दिखने लगे।

छात्र राजनीति में लोकप्रिय छात्र नेता रहे हैं खाबरी। जालौन के डीएवी पीजी कालेज में बृजलाल खाबरी एक लोकप्रिय छात्रनेता के बतौर जाने जाते थे। छात्र राजनीति में कई आंदोलनों के अगुवा रहे। दो बार चुनाव लड़े लेकिन कुछ वोटों से हार गए। 'दलित मिशन' के लिए छोड़ दिया घर बार। इलाक़े के लोग बताते हैं की कांशीराम जी एक बार उरई आए थे। कैडर देने। कैडर देने का मतलब होता है प्रशिक्षण। बसपा में उन दिनों मिशन में नौजवानों को जोड़ने का बड़ा ज़ोर था। बसपा संस्थापक कांशीराम के भाषण से प्रभावित होकर बृजलाल खाबरी ने घर-बार छोड़ दिया। 1999 के लोकसभा चुनाव में बृजलाल खाबरी जालौन से सांसद चुने गये। अगला चुनाव खाबरी हार गए लेकिन कांशीराम ने उन्हें राज्य सभा भेज दिया।

बृजलाल खाबरी ने एक संगठनकर्ता के बतौर शायद ही यूपी का कोई ज़िला रहा हो जहां काम न किया हो। गोरखपुर, आज़मगढ़, इलाहाबाद, पश्चिम के कई ज़िलों में प्रभारी के बतौर काम किया है। कांग्रेस को बृजलाल खाबरी का सांगठनिक तजुर्बा और जातीय आधार दोनों ही मज़बूत करेगा।

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