संसद में हंगामे पर मायावती ने सत्तापक्ष व विपक्ष दोनों को कठघरें में किया खड़ा

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने संसद में कृषि बिल पर हुए हंगामे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों को कठघरें में खड़ा किया है।

Update: 2020-09-23 06:26 GMT
संसद में हंगामे पर मायावती ने सत्तापक्ष व विपक्ष दोनों को कठघरें में किया खड़ा (social media)

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने संसद में कृषि बिल पर हुए हंगामे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों को कठघरें में खड़ा किया है। बसपा सुप्रीमों ने जहां सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाया है तो वहीं विपक्षी दलों के व्यवहार को भी दुखद बताया है।

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बसपा सुप्रीमों मायावती ने को ट्वीट कर कहा

बसपा सुप्रीमों मायावती ने बुधवार को ट्वीट कर कहा है कि वैसे तो संसद लोकतंत्र का मंदिर ही कहलाता है फिर भी इसकी मर्यादा अनेकों बार तार-तार हुई है। वर्तमान संसद सत्र के दौरान भी सदन में सरकार की कार्यशैली व विपक्ष का जो व्यवहार देखने को मिला है वह संसद की मर्यादा संविधान की गरिमा व लोकतंत्र को शर्मशार करने वाला है। अति दुखद।



बता दे कि बीते रविवार को राज्यसभा में कृषि सुधार से संबंधित दो बिलों को ध्वनिमत से पारित होने के बाद कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों ने जोरदार हंगामा किया था। इन बिलों के पारित होने के बाद नाराज विपक्षी दल राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ले आए थे। कांग्रेस ने उपसभापति पर आरोप लगाया था कि बिल पर चर्चा के दौरान उनके रवैये ने लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाया है। इस दौरान विपक्षी दलों के कई सांसद उप सभापति के आसन तक पहुंच गए थे और रूल बुक को फाड़ दिया था।

मार्शलों को विपक्षी दलों के हंगामा करने वाले सांसदों को सदन से बाहर करना पड़ा था

ये हंगामा इतना ज्यादा था कि मार्शलों को विपक्षी दलों के हंगामा करने वाले सांसदों को सदन से बाहर करना पड़ा था। इसके बाद उप सभापति ने विपक्ष के 08 सांसदों को निलंबित कर दिया था। जिस पर विपक्षी सांसदों ने कृषि सुधार विधेयक तथा उनका निलंबन वापस लेने की मांग को लेकर राज्यसभा के बाहर ही धरना दे दिया था और पूरी रात वहीं धरना देते हुए गुजारी।

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अगले दिन सुबह उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह स्वयं चाय लेकर धरना दे रहे सांसदों के पास पहुंचे थे लेकिन सांसदों ने उनकी बात नहीं सुनी । हालांकि इसके बाद विपक्षी सांसदों ने अपना धरना तो समाप्त कर दिया था लेकिन निलंबन समाप्त होने तक सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करने का एलान कर दिया था।

मनीष श्रीवास्तव

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