लखनऊ: बसपा के कद्दावर नेता और राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी को लेकर बसपा में अंतर्कलह मची हुई है। पार्टी के जोनल कोआर्डिनेटरों ने नसीमुद्दीन पर चुनाव में उम्मीदवारों के चयन को लेकर धांधली का अारोप लगाया है। कोआर्डिनेटर अंदरखाने चल रही इस जंग को मायावती तक पहुंचाने की फिराक में हैं।
इस मामले में नसीमुद्दीन सिद्दीकी से कई बार बात करने की कोशिश की गई, लेकिन तकनीकी समस्याओं के चलते उनसे बात नहीं हो पाई है।
नसीमुद्दीन को 130 सीटों पर उम्मीदवार तय करने की जिम्मेदारी
पार्टी सूत्रों के मुताबिक मायावती ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को 130 सीटों पर उम्मीदवार तय करने की जिम्मेदारी दे रखी है। इनमें लखनऊ, मेरठ, बरेली और मुरादाबाद मंडल की सीटे हैं। साथ ही दर्जनों कोआर्डिनेटर और जोनल कोआर्डिनेटर भी लगाए गए हैं। पर हाल ही में सिद्दीकी ने बिना किसी कारण के 130 सीटों में से 70 फीसदी पर प्रत्याशी बदल दिए। इससे कोआर्डिनेटरों में आक्रोश है।
कमजोर प्रत्याशियों को दिया जा रहा टिकट
एक कोआर्डिनेटर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नसीमुद्दीन पूर्व जोनल कोआर्डिनेअर जुगुल किशोर के रास्ते पर चल रहे हैं। इस तरह कमजोर प्रत्याशियों को टिकट दे रहे हैं। इससे साफ दिख रहा है कि 90 फीसदी सीटें बसपा के हाथ से निकल जाएंगी। बसपा सुप्रीमो मायावती इससे पहले जुगुल किशोर को बाहर का रास्ता दिखा चुकी हैं।
इन कोआर्डिनेटरों को किया गया साइडलाइन
पार्टी सूत्रों के अनुसार जिन लोगों ने भी इस बारे में नसीमुद्दीन को हकीकत से रूबरू कराने की कोशिश की, उसको साइड लाइन कर दिया गया। इनमें कोआर्डिनेटर विजय प्रताप, धर्म प्रकाश भारती, गोरे लाल जाटव, अतर सिंह राव, त्रिभुवन दत्त, मिठाई लाल, छोटू राम, मुनकाद अली, बाबू सेवा राम, अशोक कुमार, गया चरण दिनकर और आरडी गौतम हैं।
मिशनरी कार्यकर्ताओं और कोआर्डिनेटरों को करते हैं हतोत्साहित
बसपा के कोआर्डिनेटरों का कहना है कि नसीमुद्दीन अक्सर पार्टी के मिशनरी कार्यकर्ताओं और कोआर्डिनेटरों को हतोत्साहित करते हैं। वह अक्सर कहते हैं कि ‘अम्बेडकर बनने की कोशिश न करो।’ जिससे कोआर्डिनेटरों में आक्रोश बढ़ रहा है।
मायावती को केंद्र की राजनीति में भेजने की साजिश
कई जोनल कोआर्डिनेटरों का कहना है वर्तमान में लोग कानून-व्यवस्था को लेकर अखिलेश सरकार से नाराज हैं। जिसका लाभ बसपा को मिलना तय माना जा रहा है। लेकिन कमजोर प्रत्याशी उतारे जाएंगे तो बसपा की हार निश्चित है। ऐसे में गठबंधन सरकार बनने की स्थिति में नसीमुद्दीन का नाम आगे किया जा सके और मायावती को केंद्र की राजनीति में भेजने का रास्ता साफ हो। पार्टी के अंदरखाने इस तरह की साजिश रची जा रही है।
शिकायत के डर से सच नहीं आ पा रहा सामने
एक कोआर्डिनेटर ने बताया कि वह समय-समय पर बसपा सुप्रीमो को सीधे रिपोर्ट कर कोआर्डिनेटरों की शिकायत करते हैं। इसी डर से कोआर्डिनेटर मायावती के सामने सच नहीं रख पा रहे हैं।
जुगुल किशोर ने भी मिशनरी कार्यकर्ताओं को किया था साइडलाइन
वर्ष 2012 के विधान सभा चुनाव में बसपा ने हार की समीक्षा की तो सामने आया कि जुगुल किशोर ने लगभग 120 सीटों पर ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दिए, जिनका कोई खास जनाधार नहीं था।
-पार्टी में अपना कद बढ़ाने के चक्कर में मिशनरी कार्यकर्ताओं और नेताओं को साइड लाइन करना शुरू कर दिया था।
-कई वरिष्ठ नेताओं ने मायावती को आगाह भी किया था।
-समय रहते कोई कार्रवाई न होने से बसपा ने लगभग 100 सीटें गवां दी थी।
-अब चार साल बाद फिर बसपा में यह एक बार फिर दोहराया जा रहा है।