UP Lok Sabha Election: आखिर किसे कुचलने वाला है मायावती का हाथी? BJP, सपा-कांग्रेस सभी को बहनजी ने दिया झटका

UP Lok Sabha Election: मायावती ने ब्राह्मण उम्मीदवार खड़ा करके भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। उन्नाव में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 11 फ़ीसदी है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-04-16 15:43 IST

BSP on UP Lok Sabha Election (Photo: Social Media)

UP Lok Sabha Election: मौजूदा लोकसभा चुनाव में बसपा मुखिया मायावती का हाथी आखिर किसे कुचलने वाला है, इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं सुनी जा रही हैं। शुरुआत में चुनाव को लेकर ठंडा रुख अपनाने वाली मायावती ने अचानक जिस तरह सक्रियता बढ़ाई है,उसे लेकर सियासी दिग्गज भी हैरान हैं। उनकी सियासी चालों से सपा और कांग्रेस में ही नहीं बल्कि भाजपा खेमें में भी चिंता दिख रही है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में मुस्लिम उम्मीदवार अतहर जमाल लारी और जौनपुर लोकसभा सीट पर पूर्व सांसद और बाहुबली नेता धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला को टिकट देखकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर वे भाजपा को झटका देती हुई दिख रही हैं तो 11 सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट खड़ा करके उन्होंने सपा-कांग्रेस की राह भी मुश्किल बना दी है। मायावती के इस कदम से साफ हो गया है कि वे न केवल सपा-कांग्रेस बल्कि भाजपा को भी सियासी रूप से डैमेज करने की कोशिश में जुटी हुई हैं।

पश्चिमी यूपी में भाजपा के लिए मुश्किलें

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर मायावती ने भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। गाजियाबाद में मायावती ने नंदकिशोर पुंडीर को उतार कर भाजपा की सियासी राह मुश्किल बना दी है। बिजनौर सीट पर मायावती ने जाट नेता चौधरी वीरेंद्र सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है और इससे भाजपा की चुनावी संभावनाओं को झटका लगा है। 



बिजनौर सीट पर मायावती भी चुनाव जीत चुकी हैं और इस लोकसभा क्षेत्र में काफी संख्या में दलित वोटर हैं। 2019 में बसपा के मलूक नागर ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। मथुरा सीट पर मायावती ने देवव्रत त्यागी को अपना उम्मीदवार बनाया है। उनके इस कदम से भाजपा के त्यागी वोट बैंक में सेंध लगने की संभावना पैदा हो गई है।

मायावती के दांव में बालियान भी फंसे

मुजफ्फरनगर में मायावती में मुस्लिम उम्मीदवार न उतार कर भाजपा प्रत्याशी संजीव बालियान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बसपा ने इस सीट पर दारा सिंह प्रजापति को अपना उम्मीदवार बनाया है। सपा ने इस सीट पर हरेंद्र मलिक को चुनाव मैदान में उतारा है और यदि मलिक को मुस्लिम मतदाताओं का एकतरफा समर्थन मिला तो संजीव बालियान की सियासी राह मुश्किल हो सकती है।

इसी तरह बागपत सीट पर भी मायावती का कदम भाजपा को झटका देने वाला साबित हो रहा है। बागपत में मायावती ने प्रवीण बंसल को अपना उम्मीदवार बनाया है जिनका ताल्लुक बनिया समाज से है। बनिया समाज को भाजपा का हार्डकोर वाटर माना जाता रहा है मगर अब इस वोट बैंक में सेंध लगने की संभावनाएं पैदा हो गई हैं।



ब्राह्मण उम्मीदवारों का भी खेल

लखीमपुर जिले की धौरहरा सीट पर श्याम किशोर अवस्थी बसपा के उम्मीदवार हैं जो कि भाजपा के बागी हैं। लखीमपुर खीरी जिले में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है और यहां पर मायावती ने ब्राह्मण उम्मीदवार खड़ा करके भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। उन्नाव में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 11 फ़ीसदी है और यहां मायावती ने ब्राह्मण उम्मीदवार अशोक पांडेय को चुनाव मैदान में उतारा है।

यहां पर दलित मतदाताओं की संख्या गरीब 24 फ़ीसदी है। ऐसे में दलित और ब्राह्मण मतदाता भाजपा और सपा उम्मीदवार दोनों का खेल बिगाड़ेंगे। ऐसा ही खेल मायावती ने अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र में भी खेल दिया है जहां उन्होंने हितेंद्र कुमार और उर्फ बंटी उपाध्याय को चुनाव मैदान में उतारकर भाजपा को झटका देने की कोशिश की है।



पूर्वी यूपी में भी भाजपा को दिया झटका

पूर्वी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर भी मायावती ने भाजपा को झटका देने वाला कदम उठाया है। आजमगढ़ में मायावती ने अपनी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को टिकट दिया है। मायावती का यह कदम भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ के लिए खतरा पैदा करने वाला है।

घोसी संसदीय सीट पर मायावती ने बालकृष्ण चौहान को चुनाव मैदान में उतार दिया है। इस लोकसभा सीट पर सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर एनडीए प्रत्याशी हैं और मायावती के इस कदम से उनका कमजोर होना तय हो गया है। इस सीट पर करीब दो लाख चौहान मतदाता हैं। ऐसे में दारा सिंह चौहान भी राजभर की कितनी मदद कर पाएंगे, इसे लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं। बस्ती में मायावती ने दो बार के सांसद हरीश द्विवेदी के खिलाफ भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष दयाशंकर मिश्र को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है जिससे ब्राह्मण मतों का बंटना तय हो गया है। इससे भी भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है।



जौनपुर में बहनजी का बड़ा फैसला

मायावती ने सबसे बड़ा खेल तो जौनपुर लोकसभा सीट पर किया है। उन्होंने यहां पर पूर्व सांसद और बाहुबली नेता धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। श्रीकला सिंह मौजूदा समय में जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। भाजपा ने इस सीट पर महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है जो कि मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले हैं। धनंजय और कृपाशंकर दोनों का ताल्लुक ठाकुर बिरादरी से है। मायावती का यह कदम कृपाशंकर सिंह को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। सपा ने यहां पर मायावती सरकार में मंत्री रह चुके बाबू सिंह कुशवाहा को अपना प्रत्याशी बनाया है। मायावती का यह कदम बाबू सिंह कुशवाहा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।



मुस्लिम प्रत्याशी बिगाड़ेंगे सपा-कांग्रेस का खेल

वैसे यह भी सच्चाई है कि मायावती सिर्फ भाजपा को ही नुकसान नहीं पहुंचा रही हैं। वे कई सीटों पर सपा-कांग्रेस गठबंधन को भी झटका दे रही हैं। मायावती ने अभी तक 11 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं और मायावती का यह कदम सपा-कांग्रेस गठबंधन को झटका देने वाला साबित हो सकता है।

मायावती ने मुरादाबाद, रामपुर, संभल, सहारनपुर,आंवला,पीलीभीत, अमरोहा, लखनऊ और कन्नौज आदि लोकसभा सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार कर इंडिया गठबंधन को झटका देने की तैयारी की है। इनमें से कई सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है मगर मायावती के मुस्लिम उम्मीदवार उतारने से मुस्लिम मतों का बंटवारा तय हो गया है।



सहारनपुर में कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद को बसपा के माजिद अली बड़ा झटका दे सकते हैं। 47 फ़ीसदी मुस्लिम वोटर वाले इलाके मुरादाबाद में मायावती ने इरफान सैनी को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस तरह मायावती ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा करके सपा-कांग्रेस गठबंधन का खेल खराब कर दिया है।

मैनपुरी में उतारा यादव प्रत्याशी

मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में मायावती ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है। उन्होंने इस सीट पर गुलशन देव शाक्य का टिकट काटकर शिवप्रसाद यादव को चुनाव मैदान में उतार दिया है। इस सीट पर सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल सपा के प्रत्याशी हैं। यादव वोटर में पैठ होने के कारण शिवप्रसाद यादव डिंपल यादव को नुकसान पहुंचाएंगे। भाजपा नहीं सीट पर प्रदेश के मंत्री जयवीर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।



सियासी जानकारों का मानना है कि मायावती ने खामोशी के साथ गहरी सियासी चाल चल दी है। सपा और कांग्रेस के नेता उन्हें भाजपा की बी टीम बताते रहे हैं मगर कई सीटों पर मायावती ने भाजपा के लिए भी मुश्किलें पैदा कर दी हैं। वहीं कई सीटों पर उन्होंने ऐसे प्रत्याशियों को खड़ा कर दिया है जो सपा और कांग्रेस का खेल बिगाड़ेंगे। 

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