Lucknow News: बसपा 9 अक्टूबर से दलितों-पिछड़ों के घर देंगी दस्तक, कांशीराम के सहारे जनाधार वापस पाने की तैयारी

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाने के लिए बीएसपी सुप्रीमो मायावती अपने पुराने ढर्रे पर वापस आ रही हैं

Update: 2022-10-05 06:44 GMT

कांशीराम (Pic: Social Media)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाने के लिए बीएसपी सुप्रीमो मायावती अपने पुराने ढर्रे पर वापस आ रही हैं। मायावती अब फिर से दलितों, पिछड़ों को जोड़ने का अभियान शुरू कर रही हैं. इसकी शुरुआत 9 अक्टूबर बसपा के संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि जिसे बसपा परिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाती है, उस दिन से शुरुआत होगी। मायावती ने अपने सभी सेक्टर प्रभारियों और जिला अध्यक्षों को निर्देश दिया है 9 अक्टूबर को सभी मण्डलों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। बसपा नेताओं द्वारा दलितों और पिछड़ों को पार्टी से जोड़ने के लिए विशेष अभियान भी शुरू किया जाएगा. काशीराम के पुण्यतिथि पर लखनऊ मंडल में भी 50 हजार लोगों की भीड़ जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।

उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी का एक दौर ऐसा भी था बिना उनके कोई सरकार नहीं बनती थी लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद बसपा के जनाधार में जो गिरावट शुरू हुई वह अब एक सीट तक उसे उत्तर प्रदेश में समेट दिया है। हालांकि 2022 के चुनाव से पहले मायावती ने एक बार फिर से अपने समीकरण बिठाने की कोशिश की थी। उन्होंने दलित, अल्पसंख्यक और ब्रह्मणों के सहारे 2007 की तरह यूपी की सत्ता हासिल करने की पुरजोर कोशिश की थी, लेकिन उनका यह प्लान कामयाब नहीं हुआ। जिसके बाद अब वह अपने पुराने समीकरण दलित और पिछड़ों के सहारे यूपी में जनाधार वापस पाने की जुगत कर रहीं हैं। क्योंकि नवंबर महीने में उत्तर प्रदेश में नगर निकाय के चुनाव होने हैं उसके बाद 2024 की सबसे बड़ी लड़ाई होगी। जिसके लिए मायावती तैयारियों में लगीं हैं।

मायावती जिस तरह से 2007 के विधानसभा चुनाव में पहली बार अपने बलबूते पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थीं। वह उनकी सबसे बड़ी जीत थी उसके बाद वह 2012 के चुनाव में बुरी तरह पराजित हुईं फिर 2014 में लोकसभा चुनाव में उनका खाता तक नहीं खुला। 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ी बसपा को 10 सीटें हासिल हुईु। उसके बाद 2022 के चुनाव में फिर अकेले दम पर मैदान उतरीँ मायावती सिर्फ एक विधानसभा सीट हासिल हुई, जिसके बाद वह अपने पुराने प्लान दलित, पिछड़ों का साथ पाना चाहती हैं. पार्टी में अब इन वर्ग के नेताओं को आगे किया जा रहा है। मेहनती और ईमानदार नेताओं की जिम्मेदारियां नए सिरे से तय की जा रही हैं। आने वाले दिनों में कुछ और बड़े बदलाव दिखाई देंगे. अगड़ों की जगह पिछड़े और दलित नेताओं को तरजीह दी जा रही है. मायावती के साथ जो बड़े-बड़े नेता थे वह सब दूसरे दलों में जा चुके हैं यहां तक कि मायावती के सबसे खास सिपहसालार सतीश चंद्र मिश्रा 2022 के चुनाव के बाद अब साइड दिखाई दे रहे हैं।

मायावती ने जो प्लान तैयार किया है उसके मुताबिक उन्होंने दलितों और अपने धर्मगुरुओं के लिए जो कार्य किए हैं, उनके द्वारा जो पार्क और प्रेरणा स्थल बनवाए गए हैं, उनकी प्रतिमाएं लगवाई हैं, उसकी जानकारी वह अपने समाज के साथ पिछड़ों तक घर-घर देने का कार्यक्रम चलाएंगे.

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