आरुषि गैंगरेप हत्याकांड: दो साल बाद मिला इंसाफ, तीन दोषियों को हुई फांसी की सजा

अब दो वर्ष की सुनवाई के बाद कोर्ट से आरुषि को इंसाफ मिल गया है। मां ने कहा कि वह दरिंदों को फांसी पर लटकता देखना चाहती हैं। केस की सुनवाई के दौरान पुलिस की लापरवाही भी सामने आई

Update: 2021-03-24 09:54 GMT
बुलंदशहर: आरुषि गैंगरेप हत्या मामले में पॉक्सो अदालत ने तीन दोषियों को मौत की सजा सुनाई

बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर के बहुचर्चित आरुषि गैंगरेप और हत्याकांड (चलती कार में गैंगरेप और हत्याकांड) मामले में बड़ा फैसला आया है। केस में पॉक्सो कोर्ट ने तीनों गुनहगारों को फांसी की सजा सुनाई है। बता दें इस पूरी घटना ने उत्तर प्रदेश की सियासत में भूचाल ला दिया था। चलती कार में गैंगरेप और हत्याकांड की घटना से पुलिस के भी होश उड़ गए थे।

शव की शिनाख्त

चलती कार में NH-91 पर आरुषि के साथ बारी-बारी से दरिंदगी की गई थी। 4 जनवरी 2018 को दादरी कोतवाली क्षेत्र के रजवाहे में आरुषि का अज्ञात शव पड़ा मिला था। पुलिस जांच के बाद शव की शिनाख्त हुई और गैर समुदाय के तीन दरिंदों को परिजनों ने गैंगरेप और हत्या में नामजद कराया था।

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पुलिस की लापरवाही

अब दो वर्ष की सुनवाई के बाद कोर्ट से आरुषि को इंसाफ मिल गया है। मां ने कहा कि वह दरिंदों को फांसी पर लटकता देखना चाहती हैं। केस की सुनवाई के दौरान पुलिस की लापरवाही भी सामने आई और उसे अदालत से फटकार भी मिली। तत्कालीन चौकी इंचार्ज ने सील किए माल को कोर्ट में पेश नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि यह माल केस के निस्तारण के लिए अहम सबूत होता है। मामले में कोर्ट ने एसएसपी को पत्र लिखने की चेतावनी भी दी।

नाराजगी जाहिर की

बता दें तत्कालीन चौकी प्रभारी दलवीर सिंह अपने बयान दर्ज कराने कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने जब उनसे घटनास्थल पर सील किए गए माल (छात्रा की चप्पल, बैग, किताबें, बोतल आदि सामान) के बारे में पूछा तो पता चला कि वह इसे लेकर ही नहीं आए हैं। इस पर न्यायाधीश ने नाराजगी जाहिर की और इस संबंध में एसएसपी को पत्र लिखने की चेतावनी दी।

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गैंगरेप का मामला

बता दें कि 2 जनवरी 2018 टयूशन पढ़कर लौटती 16 वर्षीय छात्रा को कार सवार युवकों ने अगवा कर लिया था। इसके बाद चलती कार में उसके साथ गैंगरेप किया गया, फिर उसकी गला दबाकर हत्या कर दी गई। शव को दादरी क्षेत्र में नहर में फेंक दिया। इस घटना ने यूपी की सियासत में हड़कंप मचा दिया। भारी दबाव के बीच पुलिस ने करीब 10 दिन बाद खुलासा किया और 3 युवकों के शामिल होने की बात सामने आई। मामले में सिकंदराबाद निवासी आरोपी इजराइल, जुल्फिकार और दिलशाद को गिरफ्तार कर जेल भेजा।

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