Uttarkashi Tunnel Rescue: बुलंदशहर के इन 5 माइनर्स का अथक प्रयास, 27 घंटे की मेहनत...और असंभव को किया संभव
Uttarkashi Tunnel Rescue: बुलंदशहर के देवेंद्र, जतिन, सौरभ, मोनू और अंकुर भी टनल ऑपरेशन में थे शामिल। इन रैट माइनर्स ने हाथों से ही चीर डाला सुरंग का सीना।
Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल धंसने की वजह से मलबे में फंसे 41 मजदूरों को 17वें दिन सुरक्षित निकाल लिया गया। युद्धस्तर पर चले इस राहत और बचाव कार्य में विदेशी विशेषज्ञ के साथ-साथ कई बड़ी मशीनों की भी मदद ली गई। विदेश से मंगाई मशीनों से जब आशातीत सफलता नहीं मिली, तो 27 नवंबर को मैनुअल ड्रिलिंग (Manual Drilling) के लिए हाथ लगाया गया। इसकी जिम्मेदारी 'रैट माइनर्स' (Rat Miners) को सौंपी गई।
'रैट माइनर्स'ने कमाल कर दिया। उन्होंने महज डेढ़ दिन में खुदाई पूरी कर दी और मजदूरों तक वो पाइप पहुंचा दी, जिसके जरिए एक-एक कर सभी 41 मजदूरों को टनल से बाहर निकाला गया।
बुलंदशहर के 5 रैट माइनर्स की अहम भूमिका
आपको बता दें, 'उत्तराखंड टनल ऑपरेशन' को सफलतापूर्वक अंजाम देने में बुलंदशहर के 5 रैट माइनर्स ने भी अहम भूमिका निभाई। उनके अथक प्रयास ने 41 जिंदगियां बचाई। यूपी के बुलंदशहर के रैट माइनर्स की सफलता ने हर किसी को भावुक कर दिया। इन लोगों ने सुरंग का सीना चीरकर 41 मज़दूरों को बाहर लाया। रैट माइनर्स के परिवार वाले भी ख़ुशी नहीं समा रहे।
परिवार हुआ भावुक
सिल्क्यारा टनल ऑपरेशन के सफल होने पर रेस्क्यू में अहम भूमिका निभाने वाले रैट माइनर्स के परिवार काफी भावुक दिखे। उन्हें अपने परिवार के सदस्य पर गर्व है। आपको बता दें, 12 रैट माइनर्स की टीम में बुलंदशहर के देवेंद्र, जतिन, सौरभ, मोनू और अंकुर भी शामिल थे। टनल ऑपरेशन में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।
बुलंदशहर के गांव
खास बात ये है कि, ये सभी बुलंदशहर के अखितयारपुर के रहने वाले हैं। पांचों रैट माइनर्स दलित परिवार से हैं। जब मशीनें फेल हो गई तब इन रैट माइनर्स को ऑपरेशन की कमान सौंपी गई। 27 घंटे की अथक कोशिश के बाद इन रैट माइनर्स ने हाथों से ही सुरंग का सीना चीर डाला। 41 ज़िन्दगियों को 17 दिन बाद सकुशल बाहर ला में महती भूमिका अदा की। आज इन रैट होल माइनर्स की हर तरफ चर्चा हो रही है।
1 दिसंबर को बुलंदशहर पहुंच सकते हैं
जानकारी के अनुसार, पांचों रैट माइनर्स 1 दिसंबर को बुलंदशहर स्थित अपने घर पहुंच सकते हैं। कैमरे पर ऑपरेशन के बारे में बताते हुए सभी काफी भावुक दिखे थे। बुलंदशहर निवासी रैट माइनर्स को आज देश सलाम कर रहा है।
रैट माइनर्स ने मांगा था 36 घंटे का वक़्त
ऑगर मशीन खराब होने के बाद बचाव कार्य को तेज झटका लगा था। तब अधिकारियों ने विशेषज्ञों की सलाह पर अमल किया। मैन्युअल खुदाई के लिए इस सप्ताह की शुरुआत में दिल्ली स्थित एक फर्म से 12 रैट-होल माइनर्स को बुलाया। रैट माइनर्स ने स्पष्ट रूप से काम पूरा करने के लिए 36 घंटे का वक़्त मांगा था। क्योंकि, उनमें से दो ने मैन्युअल रूप से ड्रिलिंग की। शेष रैट माइनर्स ने मलबे को सुरंग से बाहर निकाला था।