Bulldozer in UP: यूपी में कितनी वैधानिक है बुलडोजर की कार्रवाई, जानिए- क्या कहता है कानून?

Bulldozer in UP: योगी सरकार का बुलडोजर की कार्रवाई पर newstrack.com इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए कानून के जानकार से बात की और यह समझने की कोशिश की क्या उत्तर प्रदेश में बुलडोजर की नीति कानून के मुताबिक है अथवा नहीं।

Update: 2022-06-13 13:30 GMT

योगी बुलडोजर की कार्रवाई पर बताते लखनऊ हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रिंस लेनिन। 

Bulldozer in UP: उत्तर प्रदेश में जुमे की नमाज (Jummah Prayer) के बाद भड़की हिंसा के आरोपियों पर योगी सरकार (Yogi Government) का सख्त एक्शन जारी है। कानपुर, प्रयागराज, सहारनपुर समेत कई जिलों में भड़की हिंसा के खिलाफ पुलिस जहां उपद्रवियों को गिरफ्तार कर जेल भेज रही है तो वहीं बाबा का बुलडोजर भी आरोपियों की संपत्तियों को ढहाने में लगा हुआ है। लेकिन इसको लेकर सियासत भी तेज हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव (SP Chief Akhilesh Yadav) से लेकर मायावती (Mayawati) तक ने योगी सरकार (Yogi Government) की कार्रवाई पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। ऐसे में यह जानना जरुरी है कि कानूनी तौर पर सरकार द्वारा की जा रही ये कार्रवाई सही है या नहीं? newstrack.com इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए कानून के जानकार से बात की और यह समझने की कोशिश की क्या उत्तर प्रदेश में बुलडोजर की नीति कानून के मुताबिक है अथवा नहीं।

सवाल- उत्तर प्रदेश में जो बुलडोजर चल रहा है, यह कितना वैधानिक है?

जवाब- लखनऊ हाईकोर्ट (Lucknow High Court) के वरिष्ठ वकील प्रिंस लेनिन (Senior Advocate Prince Lenin) के मुताबिक बुलडोजर की कार्रवाई ऐसे वक्त होती है जब कोई शख्स किसी सरकारी जमीन पर कब्जा कर वहां खुद की संपत्ति का निर्माण कर ले, तब सरकारी जमीन को खाली करवाने और अवैध निर्माण को गिराने के लिए बुलडोजर चलाया जाता है। उत्तरप्रदेश रेगुलेशन बिल्डिंग ऑपरेशन एक्ट 1958 (Uttar Pradesh Regulation Building Operation Act 1958) के प्रावधानों के तहत गैरकानूनी ढंग से बनी बिल्डिंग के मालिक को नोटिस भेजा जाता है। एक्ट के सेक्शन 10 में लिखा गया है कि नोटिस का जवाब देने में 2 महीने से ज्यादा का समय नहीं लगना चाहिए। हालांकि, ये अथॉरिटी पर निर्भर करता है कि वो कितना समय देती है। अगर अपराधी क्राइम करने के बाद लगातार फरार हो, पुलिस वॉरंट जारी होने के बाद भी वह सरेंडर ना कर रहा हो। तब प्रशासन दंड प्रक्रिया संहिता यानी CRPC के सेक्शन 83 के तहत उसकी संपत्ति पर कुर्की का आदेश देता है।

सवाल- क्या इस तरह की कार्रवाई को कानूनी तौर पर जायज ठहराया जा सकता है?

जवाब- प्रिंस लेनिन (Senior Advocate Prince Lenin) कहते हैं जब योगी आदित्यनाथ (Yogi Government) ने यूपी की बागडोर संभाली तो उन्होंने बड़े गुंडे माफियाओं द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर बनाई गई बिल्डिंगों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल करने को कहा था। लेकिन आज यूपी के अधिकारी, पुलिसवाले जरा जरा सी बात पर डराने-धमकाने के लिए भी किसी के घर बुलोडजर लेकर पहुंच जाते हैं। यह सही नहीं है, जबकि नियम के मुताबिक बुलडोजर का इस्तेमाल अवैध कब्जों और कोर्ट के आदेश के बाद होता है।

सवाल- क्या किसी आरोपी के परिवार के सदस्यों के नाम दर्ज प्रॉपर्टी पर ऐसी कार्रवाई हो सकती है?

जवाब- एडवोकेट लेनिन (Senior Advocate Prince Lenin) के मुताबिक जो आरोपी या अपराधी कोई जुर्म करता है उसके खिलाफ कानूनी तौर पर कार्रवाई करने का प्रावधान है, पुलिस-प्रशासन पहले उसकी गिरफ्तारी का प्रयास करते हैं अगर वह हाजिर नहीं होता है तो उसके खिलाफ कोर्ट के माध्यम से नोटिस जारी किया जाता है। उसके बाद भी अगर वह पेश नहीं होता तो कुर्की कर उस पर दबाव बनाया जाता है। लेकिन उससे संबंधित व्यक्ति जैसे- माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी आदि के नाम से दर्ज प्रॉपर्टी पर सीधे एक्शन नहीं लिया जा सकता है।

सवाल- हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ऐसी किसी कार्रवाई पर क्या कोई एक्शन ले सकता है सरकार के खिलाफ?

जवाब- एडवोकेट लेनिन कहते हैं, जब कोर्ट के समक्ष कोई मामला पहुंचता है तो वह दोनों पक्षों की बातों को ध्यान से सुनते हैं। उस मामले से जुड़े साक्ष्य कोर्ट के सामने रखे जाते हैं। उसके बाद अदालत सही और गलत का फैसला देती है। अब यूपी के प्रयागराज में जो कार्रवाई विकास प्राधिकरण के द्वारा की गई है। उसके खिलाफ आरोपी की पत्नी ने याचिका दाखिल की है अगर उनकी बात सही हुई, सभी साक्ष्य उन्होंने कोर्ट के सामने प्रस्तुत कर दिए तो हाईकोर्ट जरुर कोई आदेश दे सकता है, क्योंकि कोर्ट पूरी तरह से स्वतंत्र है और लोग न्याय के लिए उसकी दहजीत पर पहुंचते हैं।

सवाल- यदि कोर्ट इसे गलत पाती है तो इसकी भरपाई सरकार कैसे करेगी? मकान दोबारा बनवाया जाएगा? 

जवाब- इस पर प्रिंस लेनिन कहते हैं कि अभी तक मेरी जानकारी में ऐसा कोई मामला हाईकोर्ट नहीं पहुंचा था। अब जावेद अहमद की पत्नी की ओर से याचिका दाखिल की गई है तो देखना होगा हाईकोर्ट इस मामले को सुनने के बाद इस पर अपना क्या फैसला सुनाता है। क्योंकि सरकार की तरफ से भी अपना पक्ष रखा जाएगा और दोनों पक्ष को सुनने के बाद ही कोई फैसला आ सकता है।

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