Jhansi News: रिश्वत लेकर कालेजों को मान्यता दिलाने की मुख्य आरोपी जेल में बंद काव्या दुबे का निलंबन न होने से उठ सवाल
बुन्देलखंड विश्वविद्यालय की सह आचार्य काव्या दुबे रिश्वत के मामले में धर्मशाला जेल में निरुद्ध है। अभी तक काव्या दुबे को बुविवि प्रशासन ने निलंबित तक नहीं किया है।
Jhansi News: हिमाचल में रिश्वत के मामले में पकड़े गई बुविवि की सह आचार्य काव्या दुबे धर्मशाला जेल में निरुद्ध है। इस मामले में बुविवि प्रशासन ने अभी तक काव्या दुबे को निलंबित तक नहीं किया है। हालांकि बुविवि प्रशासन हिमाचल से काव्या दुबे के कागजों का इंतजार कर रहा है। इसके लिए यहां से वहां के लिए पत्र भेजा है। इस मामले में रजिस्ट्रार विनय सिंह का कहना है कि यहां से हिमाचल प्रशासन को काव्या दुबे के मामले में पत्र भेजा है। पत्र का जवाब आते ही कार्रवाई की जाएगी।
बुन्देलखंड विश्वविद्यालय की सह आचार्य काव्या दुबे रिश्वत के मामले में धर्मशाला जेल में निरुद्ध है। अभी तक काव्या दुबे को बुविवि प्रशासन ने निलंबित तक नहीं किया है जबकि मेरठ की डॉ सीमा शर्मा को वहां के प्रशासन ने निलंबित कर दिया है। काव्या दुबे के निलंबन को किन कारणों से रोका गया है। यह बात स्पष्ट नहीं हो पा रही हैं। यह माना जा रहा है कि काव्या दुबे सेवानिवृत्त निदेशक की बहू है।
इसलिए दवाब के चलते निलंबन रोका गया है। हिमाचल में रिश्वत लेते समय पकड़े जाने का समय काफी बीत चुका है। इस संबंध में बुन्देलखंड विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार विनय सिंह का कहना है कि काव्या दुबे के मामले में हिमाचल प्रशासन को पत्र भेजा है। पत्र का जवाब आते ही कार्रवाई की जाएगी। सूत्र बताते हैं कि अगर कोई भी सरकारी कर्मचारी जेल जाता है तो 24 घंटे के अंदर उसे निलंबित कर दिया था मगर बुविवि के नियम कुछ अलग ही बताते हैं। दिन व कई घंटे बीत जाने के बाद अब तक काव्या दुबे पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?।
मालूम हो कि हिमाचल विजिलेंस टीम को सूचना मिली थी कि कांगना जिले के गगल और इंदौरा क्षेत्र में बीएड कालेजों में राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के चार अधिकारियों ने मान्यता के नाम पर रिश्वत ली थी। टीम ने मौके से अलीगढ़ निवासी संजीव कुमार और झाँसी निवासी काव्या दुबे को गिरफ्तार कर लिया था। इनके पास से 11 लाख 48 हजार कैश बरामद किया था।
इसके अलावा टीम ने इंदौरा क्षेत्र में भी एनसीटीई के दो अधिकारी डॉ सीमा शर्मा निवासी भवानी नगर मेरठ और डॉ महेश प्रसाद निवासी शिवाजीनगर भोपाल को दो लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया गया था। बताया जा रहा है कि इंदौरा में पैसे लेते पकड़े दो आरोपियों में से डॉ महेश प्रसाद निवासी शिवाजी नगर भोपाल को इस लेन-देन की कोई जानकारी नहीं थी। सारी साठगांठ डॉ सीमा शर्मा ने की थी। ऐसे में डॉ महेश को मामले से बाहर कर दिया गया था।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) नईदिल्ली के इंस्पेक्शन डिविजन के डिप्टी सेक्रेटरी ने एक नोटिस जारी कर अलीगढ़ निवासी संजीव कुमार, झाँसी निवासी काव्या दुबे, मेरठ निवासी डॉ सीमा शर्मा और डॉ महेश शर्मा शिक्षकों को आगामी आदेशों तक किसी भी निरीक्षण के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। एनसीटीई की ओर से जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश में आठ कॉलेजों का निरीक्षण करने के लिए दो टीमों को नियुक्त किया गया था।
जिनमें दो-दो सदस्य शामिल किए गए थे। यह सदस्य एनसीटीई के अधिकारी नहीं है, बल्कि वे देश भर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से संबंधित संकायों को पढ़ा रहे हैं और निरीक्षण टीमों के पूल का हिस्सा थे, जिन्हें समय-समय पर शिक्षण संस्थानों का निरीक्षण करने का कार्य सौपां जाता था। जारी किए गए नोटिस में एनसीटीई का कहना है कि निरीक्षण टीम के सदस्यों को इस विश्वास के साथ कार्य सौंपा गया था कि वे हिमाचल के आठ संस्थानों का निरीक्षण स्वतंत्र, निष्पक्ष और तथ्यात्मक तरीके से करेंगे।
लेकिन चारों सदस्यों ने एनसीटीई के विश्वास को तोड़ा है। इसके चलते इन चारों सदस्यों को तत्काल प्रभाव से अगले आदेशों तक आगे कोईभी निरीक्षण करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।