Bundelkhand University: जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी नहीं हटाए गए प्रशासनिक अफसर, क्या प्रशासन किसी दबाव या लाभ से ग्रसित है?

Bundelkhand University: बुन्देलखंड विश्वविद्यालय (Bundelkhand University) में कार्यरत कर्मचारियों की शिकायतों पर कुलपति के आदेश पर गठित की गई टीम ने जांच के दौरान प्रशासनिक अफसर को दोषी पाया था। जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी नहीं हटाए गए प्रशासनिक अफसर।

Report :  B.K Kushwaha
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2022-02-01 21:41 IST

Jhansi News: बुन्देलखंड विश्वविद्यालय (Bundelkhand University) में कार्यरत कर्मचारियों की शिकायतों पर कुलपति के आदेश पर गठित की गई टीम ने जांच के दौरान प्रशासनिक अफसर को दोषी पाया था। इसके बाद कमेटी ने उन्हें हटाने की संस्तुति भी की थी मगर साल बीत जाने के बाद भी उक्त प्रशासनिक अफसर अपनी सीट पर कब्जा जमाए हुए है। यह माना जा रहा है कि ऐसे प्रशासनिक अफसर का खौफ इतना है कि कुलपति, कुलसचिव भी कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे हैं।

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में कार्यरत कर्मचारियों के द्वारा उठाई गई मांग पर पूर्व कुलपति द्वारा एक चार सदस्यीय समिति का गठन पत्रांक बु०वि० / प्रशा0 / 2021 / 9305-14 दिनांक 16.01.2021 के द्वारा किया गया था। इस कमेटी में प्रोफेसर सुनील काबिया, प्रोफेसर एम. एम. सिंह, प्रोफेसर शिवकुमार कटियार एवं प्रोफेसर वी. के. सहगल शामिल थे। समिति के द्वारा एक अन्तरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिसके अनुसार तीन वर्ष से एक ही पटल पर जमे हुए तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को शासन की नीति के अनुसार तत्काल स्थानान्तरण किया जाना चाहिए । इस सम्बन्ध में टेक्नीकल पदों पर कार्यरत कर्मचारी एवं आवश्यक सेवायें (कार्यालय) में पदेन कर्मचारियों के स्थानान्तरण को इसमें सम्मिलित नहीं किया जाये।

महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करने से शिक्षण कार्य होता है बाधित

डॉ० डी० के० भट्ट, एसो० प्रो० को सम्पत्ति / विधि अधिकारी पद से हटाने के सम्बन्ध में शासनादेश संख्या 1230 /सत्तर-4-2009-3 (15)2009 दिनांक 05/05/2009 (संलग्नक-01) के अनुपालन में तत्कालीन कुलपति द्वारा पत्रांक S.VC/2007/ 6490-40 दिनांक 3/2/2007 को सम्पत्ति अधिकारी का पद समाप्त कर दिया गया था इसलिए इस पद पर किसी की भी नियुक्ति असंवैधानिक एवं नियम विरूद्ध हैं। डॉ० डी० के० भट्ट लीगल सेल, सम्पत्ति विभाग, आउटसोर्सिग जैसे कई महत्वपूर्ण पदो पर कार्य कर रहें है। जिससे शिक्षण कार्य बाधित होता हैं और यह छात्रों के साथ अन्याय है कि जिस शिक्षक को पठन पाठ्न का कार्य करना चाहिए वो छात्रों को समय न देकर अन्य गैर शैक्षणिक गति विधियों में व्यस्त रहते है। शिक्षको के द्वारा अनेक प्रशासनिक कार्यों में सहभागिता होने से केवल शिक्षण कार्य ही बाधित नहीं होता है, अपितु वित्तीय एवं प्रशासनिक अनियमित्ता भी होने की आशंका रहती है और साथ साथ शिक्षक अपने अन्य उत्तरदायित्यों के निर्वाहन तथा प्रशासनिक पद के लोभलालच में छात्रों के प्रति उदासीन हो जाते है जिससे वह अपने छात्रों के साथ अन्याय करने के साथ शिक्षा तंत्र को भी अर्पूणीय क्षति पहुंचाते है।



 


तीन साल से अधिक किसी भी शिक्षक की सेवा जारी न रखी जाए

समिति को कुछ सत्यापित एवं असत्यापित शिकायते भी प्राप्त हुई थी। छात्र संगठनों एवं कर्मचारियों के द्वारा इस प्रकार की मांग कई बार उठाई जा चुकी थी। भविष्य में स्थिति विस्फोटक न हो जाये इसके के लिए प्रशासन को अग्रसक्रिय होते हुए डॉ० डी० के० भट्ट को समस्त गैर शैक्षणिक पदों से विरत करते हुए उनको शैक्षणिक कार्यों को निष्ठापूर्वक कार्य करने का आदेश दिया जायें। समिति की प्रबल संस्तुति है कि लीगल सेल, आउटसोर्सिग, सम्पत्ति विभाग को कुलसचिव अथवा सहायक कुलसचिव (प्रशासन) को तत्काल प्रभाव से सौप दिया जाये। कर्मचारियों के रोष एवं मागों के मद्देनजर समिति के द्वारा यह भी संतुति की गई थी कि किसी भी एकेडमिक एवं प्रशासनिक पद पर शिक्षको को तीन वर्ष की अवधि से अधिक जिम्मेदारी दिया जाना शासन आदेशों एवं नियमों के विरुद्ध है इसलिए ऐसे सभी पद जैसे निदेशक आईक्यूएसेल, प्रोक्टर, यूजीसी सेल, छात्र कल्याण अधिष्ठाता, एडमीशन सेल प्रकोष्ठ, इन्चार्ज हेल्थ सेन्टर ट्रैनिंग एवं प्लेसमेंट आदि पदों पर तीन वर्ष की अवधि से अधिक किसी भी शिक्षक की सेवा जारी न रखी जाये।

कुछ शिक्षकों को कोई भी दायित्व नहीं दिया जाता और बाद में ऐसे शिक्षकों पर अकर्मण्य या उदासीन होने का आरोप लगता है, जो एक कटु सत्य है, इसलिए सभी को समान अवसर प्रदान किये जाने चाहिये। बु०वि० प्रशासन परीक्षा लेखा शोध भण्डार आदि सभी विभागों का कार्य सहायक कुलसचिवों को लगभग समान रूप से कौशल अनुसार आवंटित कर दिया जाना चाहिए जिससे बु०वि० के प्रशासनिक कार्यों को और गति प्राप्त हो सके, साथ ही सहायक कुलसचिवों को लीगल सेल, सम्पत्ति विभाग, आउटसोर्सिग भी दिया जाना नियमानुसार होना चाहिए। बावजूद इस रिपोर्ट के डॉक्टर डी.के. भट्ट आज भी विभिन्न प्रशासनिक पदों पर बने हुए हैं।

taja khabar aaj ki uttar pradesh 2022, ताजा खबर आज की उत्तर प्रदेश 2022

Tags:    

Similar News