UP Election 2022: BSP के वोटरों पर टिका है भाजपा और सपा का भविष्य
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश का चुनाव पिछले कई सालों से जातिवाद धार्मिक कट्टरता के आधार पर होता आ रहा है इन्हीं मुद्दों के सहारे करीब 25 वर्षों से नेता विधानसभा में पहुंचे यह देखा गया है
UP Election 2022: बबीना विधानसभा चुनाव के मतदान के लिए 9 दिन शेष बचे हैं इस बीच भाजपा, सपा और बसपा, कांग्रेस के प्रत्याशियों ने अपना जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है। वह घर घर जाकर मतदाताओं के पैर छूकर आशीर्वाद मांग रहे हैं। जनता भी उन्हें तिलक लगाकर माल्यार्पण करके जीतने का आश्वासन दे रही है, जिससे सभी दलों के नेता आशान्वित है ।
उत्तर प्रदेश का चुनाव पिछले कई सालों से जातिवाद धार्मिक कट्टरता के आधार पर होता आ रहा है। इन्हीं मुद्दों के सहारे करीब 25 वर्षों से नेता विधानसभा में पहुंचे यह देखा गया है। जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का समय आता है तो विकास का मुद्दा गौण हो जाता है और जातिवाद और धार्मिक ता हावी हो जाती है। इस बार भी बबीना विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जातिवाद का मुद्दा हावी होता दिख रहा है।
330820 मतदाताओं वाली बबीना विधानसभा में सबसे अधिक मतदाता अहिरवार जाति के उसके बाद राजपूत यादव कुशवाहा लगभग समान हालत में है। बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर जहां दशरथ सिंह राजपूत को अपना प्रत्याशी बनाया है। यह सोच कर कि अहिरवार और राजपूत मिलकर अगर वोट पड़ेंगे तो हमारी स्थिति काफी मजबूत हो जाएगी। वही समाजवादी पार्टी ने पिछली बार की तरह इस बार भी डॉक्टर चंद्रपाल सिंह के बेटे यशपाल सिंह को मैदान में उतारकर वर्तमान विधायक को कड़ी चुनौती पेश की है। इनके पास यादव और मुसलमान का वोट बैंक माना जा रहा है।
भाजपा ने इस सीट पर निवर्तमान विधायक राजीव सिंह पारीछा को प्रत्याशी बनाकर एक बार फिर समाजवादी पार्टी को चुनौती दी है। इनके पास सवर्ण बोट के साथ ही है कुशवाहा वर्ग के वोटों की संख्या अच्छी खासी संख्या है। कांग्रेश ने भी चंद्रशेखर तिवारी को मैदान में उतारकर भाजपा के ब्राह्मण वोट में सेंध लगाने की कोशिश की है।
बसपा के प्रत्याशी से हो सकता है भाजपा प्रत्याशी को नुकसान
यह माना जा रहा है की बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी दशरथ सिंह राजपूत जितने अधिक वोट लेंगे उतना नुकसान भाजपा प्रत्याशी को होगा। क्योंकि राजपूत मतदाता भाजपा का ही वोट बैंक माना जाता है क्योंकि इस बार बीएसपी ने राजपूत पर दांव खेला है। जातिगत फैक्टर को देखते हुए राजपूत वर्ग का रुझान दशरथ नन्ना की तरफ भी दिख रहा है हालांकि भाजपा राजपूत वर्ग को पिछली बार की तरह इस बार भी अपने पाले में लाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है यूपी के साथ एमपी के कई राजपूत नेता क्षेत्र में डेरा डाले हुए है।
इसी प्रकार अहिरवार वोट बैंक पर भाजपा की नजर लगी हुई भाजपा ने पिछले दिनों बसपा के कृष्ण पाल सिंह राजपूत जो कि पूर्व विधायक रहे हैं पूर्व ब्लाक प्रमुख विनोद गौतम पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री लाल अहिरवार पूर्व जिला पंचायत सदस्य दीपक राजपूत और कल्लू बरार को अपने पक्ष में करके बीएसपी के संगठन को तोड़ दिया था इसलिए भाजपा की नजर राजपूत के साथ ही बीएसपी के अहिरवार वोट पर भी लगी है।
लोगों का मानना है की बसपा और कांग्रेस प्रत्याशी प्रत्याशी जितनी अधिक वोट लेगा उतना ही नुकसान भाजपा प्रत्याशी को होगा और इसका फायदा समाजवादी पार्टी को मिलेगा। क्योंकि भाजपा प्रत्याशी के पास स्वयं के जातिगत वोटों की संख्या बहुत कम है उसे सवर्ण के साथ ही सपा के असंतुष्ट यादव, कुशवाहा ,राजपूत, पाल, साहू,कोरी, के साथ ही कम संख्या वाले पिछड़े वर्ग के वोट पर लगी है उसे उम्मीद है कि यह वोट भाजपा को मिलेगा क्योंकि उसकी निकटतम प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी है जिसके गुंडाराज को क्षेत्र की जनता अब तक नहीं भूली है। साथ ही बीएसपी और कांग्रेस की हालत पहले ही कमजोर है , इन दोनों दलों को वोट कटवा के रूप में माना जा रहा है।
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