UP Election 2022: झांसी की इस सीट पर बसपा और सपा के बीच होगी जोरदार टक्कर

UP Election 2022: मऊरानीपुर विधानसभा क्षेत्र में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की घोषणा होने के बाद चुनावी सरगर्मी बढ़ने लगी है। राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों से लेकर आम आदमी तक इस चुनाव में किसका पलड़ा भारी है।

Report :  B.K Kushwaha
Published By :  Divyanshu Rao
Update: 2022-02-01 12:45 GMT

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का चुनाव चिन्ह की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

UP Election 2022: मऊरानीपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट यूपी के झाँसी जिले की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। इस बार मऊरानीपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है। 2017 में मऊरानीपुर (सुरक्षित) में कुल 36.80 प्रतिशत वोट पड़े। 2017 में भारतीय जनता पार्टी से बिहारी आर्या ने सपा के डॉक्टर रश्मि आर्या को 16971 वोटों के मार्जिन से हराया था।

मऊरानीपुर विधानसभा क्षेत्र में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की घोषणा होने के बाद चुनावी सरगर्मी बढ़ने लगी है । राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों से लेकर आम आदमी तक इस चुनाव में किसका पलड़ा भारी है ,किसकी जीत हो सकती है ,चुनाव के मुद्दे क्या होना चाहिए आदि विषयों पर चर्चायें करने लगे हैं । मऊरानीपुर विधानसभा क्षेत्र को देश की सबसे बड़ी विधानसभा माना जाता है । वहीं यह क्षेत्र प्रदेश के सबसे पिछड़े क्षेत्र में शुमार है। यहां विकास दिखाई नहीं देता ।

मऊरानीपुर क्षेत्र में आजादी के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में झाँसी मऊ संयुक्त सीट से विनायक राव धुलेकर व गज्जूराम ने यहां का प्रतिनिधित्व किया। जब मऊरानीपुर सिंगल सीट हुई तो यहअनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट घोषित कर दी गई ,तभी से यह लगातार आरक्षित सीट चली आ रही है। सामान्य जाति के व्यक्ति को यहाँ से प्रतिनिधित्व करने का कभी मौका नहीं मिला।

समाजवादी पार्टी और बसपा पार्टी झंडे की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

वर्ष , 1962 ,67 ,74 में यहां से बुंदेलखंड की क़द्दावरनेता मानी जाने वाली श्रीमती बेनी बाई लगातार विधायक बनतीं रहीं ,सन 1977 में बेनी बाई को पराजित कर प्रेमनारायण अहिरवार यहां से विधायक बने। इसके बाद 1980 और1984 में कांग्रेस से भागीरथ चौधरी विधायक निर्वाचित हुये । 1989 में भाजपा के प्रागीलाल अहिरवार विधायक निर्वाचित हुये ।

वर्ष 1989 से 2007 तक का दौर बिहारी लाल आर्य व प्रागीलाल अहिरवार का रहा । दोनों क्षेत्र में परम्परागत प्रतिद्वंद्वी के रूप में क्षेत्र की राजनीति में छाए रहे ।लेकिन वर्ष 2007 में कानपुर देहात क्षेत्र से आये भगवती प्रसाद सागर ने बसपा से चुनाव लड़ते हुए क्षेत्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर दिया और विधायक चुने गए । वर्ष 2012 में समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी डॉ रश्मि आर्य विधायक निर्वाचित हुईं ,वर्ष 2017 में बिहारी लाल आर्य ने भाजपा का दामन थाम लिया और भाजपा के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए। इस बार मऊरानीपुर में बसपा और सपा की जोरदार भिड़ंत हैं।

सीट पाने के लिए आठ करोड़ तक हुआ खर्चा?

एक प्रत्याशी ने सीट पाने के लिए लाखों के अलावा करोड़ रुपया तक खर्च कर लिया है। सीट पाने के लिए राजनैतिक दल भी बदले गए हैं। जहां जितनी पैसों की डिमांड की गई, वहां डिमांड पूरी की गई। पहले एक राजनैतिक दल को छोड़कर तीन करोड़ रुपया खर्च कर सदस्यता ग्रहण की?। इस दल से जब प्रत्याशी घोषित नहीं किया तो तत्काल दल को बदलकर दूसरे दल में पांच करोड़ रुपया खर्च कर सदस्यता ग्रहण कर ली?। इसी दल ने उन्हें अपने दल का प्रत्याशी घोषित कर दिया। इस बात की चर्चा मऊरानीपुर सीट पर खुलेआम चल रही हैं।

वर्ष 2017 में किसे कितने वोट मिले

भाजपा प्रत्याशी बिहारी आर्या को 98,905, सपा प्रत्याशी डॉ रश्मि आर्या को 81,934, बसपा के प्रागीलाल अहिरवार को 77,919, नोटो 3,536, एसएचएस के अनिल श्रीवास को 1,416, आईएनडी के दुर्गा अहिरवार को 1,229, जय प्रकाश आनंद को 1,070, आईएनडी के तुलाराम अहिरवार को 958, बीएससीपी के मनोहर को 695, बीएमयूपी की श्रीमती बृजकुंवर देवी 638, एसजेपी के बृजलाल बिजरौनिया को 483 वोट मिले थे।

कब कौन प्रत्याशी जीता

वर्ष 2017 में भाजपा प्रत्याशी बिहारी आर्या को 98,905, सपा प्रत्याशी डॉ रश्मि आर्या को 81,934, वर्ष 2012 में सपा प्रत्याशी डॉ रश्मि आर्या को 67,785, बसपा प्रत्याशी राजेन्द्र राहुल अहिरवार को 61,137, वर्ष 2007 में बसपा प्रत्याशी भगवती प्रसाग सागर को 46,330, कांग्रेस प्रत्याशी बिहारी लाल आर्य को 35,584, वर्ष 2002 में भाजपा प्रत्याशी प्रागीलाल अहिरवार को 36,267, कांग्रेस प्रत्याशी बिहारीलाल आर्य को 33,942, वर्ष 1996 में कांग्रेस प्रत्याशी बिहारी लाल आर्य को 46,963, भाजपा प्रत्याशी प्रागीलाल को 46,082, वषर्ष 1993 में कांग्रेस प्रत्याशी बिहारी लाल आर्य को 49,367, भाजपा प्रत्याशी प्रागीलाल अहिरवार को 43,352, वर्ष 1991 में भाजपा प्रत्याशी प्रागीलाल अहिरवार को 32,058, कांग्रेस प्रत्याशी बिहारीलाल आर्य को 31,962, वर्ष 1989 में भाजपा प्रत्याशी प्रागीलाल को 49,306, कांग्रेस प्रत्याशी भागीरथ चौधरी को 34,659, वर्ष 1985 में कांग्रेस प्रत्याशी भागीरथ चौधरी को 29,400, भाजपा प्रत्याशी प्रेमनारायण अहिरवार को 18,956, वर्ष 1980 में इंक के प्रत्याशी भागीरथ को 33,660, भाजपा प्रत्याशी हरदास को 12,963, वर्ष 1977 में जेएनपी के प्रत्याशी प्रेमनारायण को 29,453, कांग्रेस प्रत्याशी भागीरथ को 28,665 वोट मिले थे।

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