क्या कार्पेट एक्सपो से खुलेगी बुनकरों की किस्मत, 60 देशों के 300 बायर पहुंचें बनारस
वाराणसी: बदहाली और मंदी की मार झेल रहे पूर्वांचल के बुनकरों की उम्मीद एक बार फिर से जगी है। उम्मीद हर साल लगने वाले कार्पेट एक्सपो से जुड़ी है। हर साल की तरह इस साल भी वाराणसी में कार्पेट से जुड़े कारोबारियों का मेला लगने वाला है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्धाटन करेंगे। इस दौरान दिल्ली में उनके साथ टेक्सटाइल मिनिस्टर स्मृति ईरानी भी मौजूद रहेंगीं।
कार्पेट एक्सपो से जुड़ी उम्मीदें
36 वें इंडिया कार्पेट एक्सपों से भारत के कालीन निर्माताओं की बहुत उम्मीदें जुड़ी हैं। आयोजकों के मुताबिक इस मेले में 270 कालीन निर्यातक अपने उत्पाद को प्रदर्शित करेंगे। निर्यातकों को उम्मीद पीएम नरेंद्र मोदी कालीन उद्योग के साथ भदोही क्षेत्र के लिए कई सौगात भी दे सकते हैं। इस एक्सपो में 60 देशों के 300 विदेशी खरीदारों ने अपना पंजीकरण करा लिया है। इसमें मुख्य रूप से अफगानिस्तान, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बहरीन, बांग्लादेश, बेल्जियम, ब्राज़ील, बुल्गारिया, कनाडा, चिली, चीन, कोलंबिया, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, इजिप्ट, फिनलैंड, फ्रांस आदि के बायर शामिल हैं। इसके अलावा घना और उज़्बेकिस्तान के बायर भी बार कार्पेट एक्सपो में खरीदारी के लिए शिरकत कर रहे हैं।
एक्सपो से जुड़ा है 10 लाख हस्तशिल्पियों का रोजगार
पूर्वांचल में भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी में वृहद पैमाने पर कालीन बुनाई का काम होता है। लगभग 10 लाख हस्तशिल्पी इस कारोबार से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से इस धंधे में गिरावट देखने को मिल रही है। मंदी के दौर से गुजर रहे कालीन उद्योग को बचाने के लिए सरकार की ओर से कोशिशें की जा रही हैं। कार्पेट एक्पोटर के चेयरमैन महावीर सिंह के मुताबिक इस मेले के आयोजन के पीछे का उद्देश्य यह यही कि हस्तनिर्मित भारतीय कालीन उद्योग और अन्य फ्लोर कवरिंग के सांस्कृतिक विरासर और बुनाई कौशल को बढ़ावा दिया जाए। इंडिया कार्पेट एक्सपो एशिया महाद्वीप में लगने वाले सबसे बड़े हस्तशिल्प कालीन मेलों में से एक है। इंडिया कार्पेट एक्सपो विदेशी खरीदारों व उनके भारतीय प्रतिनिधियों तथा भारतीय कालीन निर्माता और निर्यातकों को दीर्घकालीन व्यापार संबंधों को पूरा करने के लिए एक आदर्श मंच की रचना करता है।