Taj corridor scam: मायावती की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, सीबीआई का कसा शिकंजा, 22 मई को सुनवाई
Taj corridor scam: ताज कॉरिडोर घोटाला मामले में बसपा सुप्रीमों मायावती और पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। सीबीआई ने 20 साल पुराने मामले में फिर से एक्शन लेना शुरू कर दिया है।
Taj corridor scam: ताज कॉरिडोर घोटाला मामले में बसपा सुप्रीमों मायावती और पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। सीबीआई ने 20 साल पुराने मामले में फिर से एक्शन लेना शुरू कर दिया है। ताज कॉरिडोर घोटाले में CBI को नैशनल प्रॉजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड (NPCC) के तत्कालीन एजीएम महेंद्र शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की स्वीकृति मिल गई है। ताज कॉरिडोर घोटाला मामले में पहली बार शिकायत दर्ज करने की स्वीकृति मिली है। अब इस मामले में 22 मई को विशेष जज (एंटी करप्शन) सीबीआई पश्चिम कोर्ट में सुनवाई होगी। 20 साल बाद ताज कॉरिडोर घोटाला मामले में अभियोजन की स्वीकृति को बहुत अहम माना जा रहा है।
बता दें कि ताज कॉरिडोर घोटाला मामले में पैरवी कर रहे अधिकारी अमित कुमार ने 28 नवंबर 2022 को एनपीसीसी को पत्र भेजा था, जिसमें उन्होने तत्कालीन एजीएम महेंद्र शर्मा के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी। अमित कुमार ने एनपीसीसी से अभियोजन की स्वीकृति इसलिए मांगी थी, क्योंकि मायावती की सरकार में ताज कॉरिडोर को विकसित करने का ठेका एनपीसीसी को दिया गया था। घोटाले में एक अन्य आरोपी इशवाकू इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर कमल राधू के खिलाफ भी केस चलाया जाएगा।
क्या है ताज कॉरिडोर घोटाला मामला?
Also Read
उत्तर प्रदेश में 2002 में बसपा सुप्रीमों मायावती मुख्यमंत्री थी। मायावती ने ताजमहल के आसपास के क्षेत्र को विकसित करने के लिए ताज कॉरिडोर परियोजना की शुरूआत की थी। यह पूरा प्रोजेक्ट 175 करोड़ रुपये का था। लेकिन परियोजना के लिए केवल 17 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। परियोजना में हुए घोटाले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, इसके बाद जांच के आदेश दिए गए थे। सीबीआई ने पूरे मामले में मायावती व पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत सभी आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने नहीं दी थी अभियोजन की स्वीकृति
इस पूरे मामले की खास बात ये है कि 2007 में तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ अभियोजन में स्वीकृति देने से इनकार कर दिया। स्वीकृति न मिलने के बाद पूरा मामला फंस गया था। इसी तरह तत्कालीन प्रमुख सचिव, पर्यावरण आरके शर्मा और सचिव राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ भी अभियोजन की स्वीकृति न मिलने के कारण कोर्ट ने 9 मार्च 2009 को प्रोसिंडिगं ड्रॉप कर दी थी। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई, लेकिन हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को जायज ठहराया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई जो अभी लंबित है। वहीं आरके शर्मा की मौत हो चुकी है।