Kanpur Dehat News: बेहमई हत्याकांड की याद में गांव के लोगों द्वारा श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन
Kanpur Dehat News: 1981 को कानपुर देहात के बेहमई गांव में कुख्यात डकैत फूलन देवी के द्वारा हथियारबंद अपने आधा सैकड़ा साथियों के साथ मिलकर सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया गया था।;
Tribute ceremony organized by people in memory of Behmai Hatyakand (Photo: Social Media)
Kanpur Dehat News: 1981 को कानपुर देहात के बेहमई गांव में कुख्यात डकैत फूलन देवी के द्वारा हथियारबंद अपने आधा सैकड़ा साथियों के साथ मिलकर सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। आज देर शाम इस हत्याकांड की याद को ताजा रखने के लिए गांव के लोगों द्वारा श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया। जिसमें गांव के पीड़ितों के साथ समस्त गांव के व्यक्तियों और क्षेत्र के संभ्रांत व्यक्तियों ने पहुंचकर समाधि स्थल पर उन निर्दोष 20 लोगों को श्रद्धा सुमन के पुष्प अर्पित करते हुए उसे घटना की याद को ताजा किया।
चारों तरफ से गोलियां बरसाने लगी
घटना के समय फूलन की गोली से बचे हुए वकील सिंह 90 वर्ष ने बताया कि यह सभी 20 लोग निर्दोष अपने घरों के बाहर बैठे हुए थे कि तभी अचानक फूलन देवी ने गांव को अपने हथियारबंद साथियों के साथ घेर लिया और घर से इन सभी लोगों को घसीट कर लाकर एक कतार में खड़ा कर ताबड़तोड़ उनके ऊपर चारों तरफ से गोलियां बरसानी लगी वकील सिंह नीचे गिर गए और उनके ऊपर लाशों के देर लग गए।
वहीं, प्रत्यक्षदर्शी तखत सिंह गुटकन देवी मुन्नी देवी धर्म सिंह वीरेंद्र सिंह मार्केट सिंह नाना महेश महाराज इन सब ने बताया कि वह कल दिन हम सबके लिए ऐसा दिन था जिसे हम पूरी जिंदगी नहीं भूल सकते मुन्नी देवी ने बताया कि उनकी शादी होकर आई थी और उनका चौथा चलकर मायके गई थी कि उनके पीछे-पीछे उनके पति के मौत की खबर भी पहुंच गई थी शादी के बाद से उन्होंने कभी अपने पति का मुंह तक नहीं देख पाया था और उनके पति गोलियों से छानी उनके शरीर और खून से लटपट उनके सब को देखकर आज भी वह मंजर सामने आ जाता है।
छूटने के बाद आज भी फरार चल रहा
44 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक लोग इस दर्द को महसूस कर रहे भले ही 14 फरवरी 2024 को एंटी डकैती कोर्ट रमाबाई नगर ने इस पूरे मामले पर 43 साल बाद फैसला सुनाया था, जिसमें सिर्फ पोश एक को सजा मिली थी, जिसकी कुछ समय बाद बड़ी मौत हो गई थी वहीं उन सभी लोग या तो मर गए थे या इधर-उधर थे वहीं इस घटना के मुख्य आरोपी मानसिंह जमानत पर छूटने के बाद आज भी फरार चल रहा है।
वही गांव के लोगों के साथ-साथ समस्त क्षत्रिय समाज ने 44 साल तक उत्तर प्रदेश में आने वाली भाजपा सपा बसपा सरकार से काफी उम्मीदें लगाई लेकिन उनकी उम्मीदें हमेशा ही हवा हवाई रही और एक कभी पूरा न होने वाले स्वप्न बनके रह गई घटना के समय मौजूदा सरकार ने गांव के लोगों को सामूहिक हत्याकांड के पीड़ितों को आर्थिक सहायता विधवाओं को पेंशन सरकारी नौकरी और गांव के विकास के लिए दावे तो बहुत किया लेकिन आज तक उन दागों को पूरा नहीं किया गया गांव के लोगों की हजारों मिनट के बाद वर्तमान भाजपा सरकार ने वर्ष 2023 में बेहड के बेहमई गांव को गांव से लखनऊ तक रोडवेज बस सेवा दी थी जिसका उद्घाटन शुभारंभ उत्तर प्रदेश सरकार के वर्तमान राज्य मंत्री अजीत सिंह पाल और एमएलसी अविनाश सिंह चौहान के द्वारा रोडवेज बस को हरी झंडी दिखाकर शुरू किया गया था लेकिन यह बस सेवा बंद पड़ी है पीड़ितों के द्वारा बताया गया कि भले ही कोर्ट से 43 साल बाद फैसला तो आया लेकिन इस फैसले से वह सब लोग नाखुश हैं क्योंकि यह फैसला उन्हें इंसाफ देने वाला फैसला नहीं था बल्कि एक उनके साथ मजाक किया गया था मुकदमे की केस डायरी ना होने के कारण वह लोग ऊपर भी ना जा सके ताकि इंसाफ के लिए हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा पाते घटना के 44 बर्ष बीतने के बाद भी हत्याकांड में शामिल कई डकैत पुलिस की पकड़ से दूर हैं। श्रद्धांजलि देने वालों में बाबूजी सिंह, पूर्व प्रधान गांधी सिंह, जयवीर सिंह, बाबूजी सिंह, शिवपाल सिंह, सरोवर सिंह, गुरुमुख सिंह, जंटर सिंह, तकदीर सिंह, बादाम सिंह, तख्त सिंह, अकबर सिंह, मरजाद सिंह, शिक्षक लालजी सिंह मौजूद रहे।
इन बेकसूर लोगों की हुई थी हत्या
राजपुर। बेहमई नरसंहार कांड में तुलसीराम, राजेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र सिंह, जगन्नाथ सिंह, वीरेन्द्र सिंह, रामाधार सिंह, शिवराम सिंह, रामचंद्र सिंह, शिवबालक, बनवारी सिंह पुत्र महाराज सिंह, लाल सिंह, नरेश सिंह, दशरथ सिंह, वनवारी सिंह पुत्र लाखन सिंह, हिम्मत सिंह, हुकुम सिंह, हरिओम सिंह, राम अवतार सिंह निवासी बेहमई, तुलसीराम निवासी राजपुर तथा नजीर खाॅ निवासी सिकन्दरा की बर्बरतापूर्वक हत्त्या कर दी गई थी।